Quantcast
Channel: TwoCircles.net - हिन्दी
Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

कलम के सत्याग्रही यानी पीर मुहम्मद मुनिस

$
0
0

By TCN News,

‘पीर मुहम्मद मुनिस सिर्फ क़लम के सिपाही नहीं बल्कि क़लम के सत्याग्रही थे क्योंकि उन्होंने चम्पारण की पीड़ा और संघर्ष के बारे में सिर्फ लिखा ही नहीं, बल्कि उस लड़ाई में शामिल भी थे. नई पीढ़ी को आज़ादी के इस दीवाने के सुनहरे इतिहास से रूबरू होना ज़रूरी है.’

यह बातें बिहार योजना परिषद सदस्य एवं हिक्मत फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री सैय्यद गुलरेज़ होदा (सेवानिवृत आई.ए.एस.) ने एक बैठक के दौरान कही.

श्री होदा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में पीर मुहम्मद मुनिस को महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, पत्रकार, दोस्त व हिन्दू-मुस्लिम इत्तेहाद का अलमबरदार बताया.

हिक्मत फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस बैठक में शामिल डॉ. खुर्शीद अनवर व पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल ने पीर मुहम्मद मुनिस के जीवन पर प्रकाश डाला. पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल ने कहा कि ‘पीर मुहम्मद मुनिस हिन्दी के अनन्य सेवक थे. हिन्दी भाषा के मौन साधक थे. वे बिहार में हिन्दी पत्रकारिता के जनक थे. उन्होंने हमेशा अपने लेखनी व व्याहारिक जीवन के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया. उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग से उन मौलवियों व पंडितों पर भी वार किया, जिन्होंने दंगे-फ़साद में हमारी एकता को भंग करने का काम किया.’

बैठक में शामिल अन्य वक्ताओं ने चम्पारण के सत्याग्रह आंदोलन और उसमें योगदान करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की. देश के पहले सत्याग्रह के रूप में प्रसिद्ध 1917 के चम्पारण सत्याग्रह में पीर मुहम्मद मुनिस, राजकुमार शुक्ल, शैख गुलाब, बाबू शीतल राय, पंडित कलमनाथ तिवारी और प्रजापति मिश्र जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे.

इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आज़ादी के दीवानों पर व्याख्यान-माला का आयोजन किया जाएगा. साथ ही इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आज़ादी के दीवानों पर व्याख्यान-माला का आयोजन किया जाएगा. इस व्याख्यान-माला के शुरूआत की पहली कड़ी के रूप में ‘प्रथम पीर मुहम्मद मुनिस स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन आगामी 19 अप्रैल, 2015 को पश्चिम चम्पारण में बेतिया शहर के महाराजा हरेन्द्र किशोर पब्लिक लाईब्रेरी में किया जाएगा. पीर मुहम्मद मुनिस ही वह शख्स थे जिन्होंने चम्पारण के क्षितिज से उठकर पत्रकारिता व लेखन में शिखर प्राप्त किया.

इस बैठक में उर्दू के जाने-माने साहित्यकार डॉ. खुर्शीद अनवर, मो. नूर आलम, प्रो. बबुआ जी सिंह, प्रो. जितेन्द्र मिश्रा, मो. अली हुसैन ने अपने विचार व्यक्त किए. अंत में पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल के धन्यवाद ज्ञापन के बाद बैठक की कार्रवाई समाप्त हुई.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

Latest Images

Trending Articles





Latest Images