By TCN News,
लखनऊ: रिहाई मंच ने लखनऊ जेल प्रशासन पर निमेष कमीशन द्वारा कचहरी विस्फोटों में फर्जी तरीके से गिरफ्तार बताए गए तारिक कासमी और अन्य आरोपियों की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए जेल अधीक्षक को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है.
रिहाई मंच के अध्यक्ष और तारिक कासमी के वकील मोहम्मद शुऐब ने जारी बयान में कहा कि तारिक कासमी के हाई सेक्योरिटी सेल में जेल प्रशासन ने गोरखपुर के अपराधी चंदन को रख दिया है, जो तारिक कासमी को सम्प्रदायसूचक गालियां और जान से मारने की धमकी देता है. उन्होंने कहा कि यह सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा है. शिकायत के बावजूद जेल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं उक्त अपराधी तारिक और आतंकवाद के आरोप में बंद अन्य लोगों को मारने की धमकी के साथ यह भी कहता है कि प्रशासन उसके साथ है.
तारिक कासमी (TCN file photo)
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि हाई सेक्योरिटी सेल में अक्सर आतंकवाद के आरोपियों को ही रखा जाता है, ऐसे में किसी अपराधी को उनके बैरक में रखे जाने से इसकी आशंका बढ़ जाती है कि ऐसा आतंक के आरोपियों को जान से मरवाने के लिए जेल प्रशासन कर रहा है. उन्होंने कहा कि कचहरी विस्फोटों में आरोपी बनाए गए खालिद मुजाहिद की जेल अभिरक्षा में 18 मई 2013 को हुई हत्या के बाद यह सम्भावना और भी बढ़ जाती है कि तारिक कासमी को भी मारने की साजिश रची जा रही है क्योंकि खालिद की ही तरह तारिक की गिरफ्तारी को भी निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने फर्जी बताया था.
उन्होंने कहा कि निमेष कमीशन की रिपोर्ट में दोषी बताए गए पुलिस और खुफिया विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सपा सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं किया जाना और खालिद की हत्या की जांच में बार-बार पुलिस को क्लीन चिट दिया जाना साबित करता है कि पुलिस और खुफिया विभाग के अधिकारी अब इस मामले में ज़िंदा बचे और खालिद की हत्या के गवाह तारिक कासमी को भी सरकार की सांठगाठ के साथ मारने की साजिश रच रहे हैं. इसी लिहाज़ से चंदन नाम के अपराधी को वहां हत्या के उद्देश्य से रखा गया है. उन्होंने कहा कि तारिक कासमी को मारने की कोशिश पहले भी जेल प्रशासन कर चुका है, जिसके खिलाफ़ उन्होंने सरकार और प्रशासन को पत्र लिख कर शिकायत की थी.
रिहाई मंच ने तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी से मिलकर भी इस सवाल को उठाया था. उन्होंने कहा कि पूरे देश में आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से फंसाए गए मुस्लिम युवकों की दूसरे खूंखार अपराधियों से हत्या करवाने की परम्परा नई नहीं है. ठीक इसी तरह महाराष्ट्र के यरवदा जेल में 8 जून 2012 में खुफिया विभाग और एटीएस के अधिकारियों ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवाद के झूठे आरोप में पकड़े गए दरभंगा निवासी कतील सिद्दीकी को भी अपराधियों से मरवा दिया था. ठीक इसी तरह पिछले महीने ही जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में निचली अदालत से विवादित फांसी की सजा पाए हिमायत बेग - जिसकी सजा पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं और यहां तक कि तीन जांच एजेंसियों एनआईए, दिल्ली स्पेशल सेल और सेंट्रल क्राइम ब्रांच बेंगलूरू ने भी उसे क्लीनचिट दिया है - पर भी 19 फरवरी को यरवदा जेल में एक अपराधी ने जानलेवा हमला किया था. रिहाई मंच ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर तत्काल अमल कर जेल अधीक्षक को बर्खास्त करने की मांग की है.
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