By TwoCircles.net staff reporter,
मुंबई: सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामलों में डीजी वंजारा और अमित शाह के बाद गुजरात पुलिस के पूर्व डीजीपी पीसी पांडे को भी सीबीआई अदालत द्वारा क्लीन चिट देकर इस केस के आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया है.
1972 बैच के पुलिस अधिकारी पीसी पांडे साल 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख इनकाउंटर मामले में 35वें आरोपी थे. वे साल 2006 में सोहराबुद्दीन शेख इनकाउंटर मामले के चश्मदीद गवाह तुलसीराम प्रजापति के फर्जी इनकाउंटर मामले में भी आरोपी थे. अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज़ करने हेतु पीसी पांडे ने अर्जी डाल रखी थी.
सोहराबुद्दीन शेख (file photo)(Courtesy: IBNlive)
पीसी पांडे के वकील सचिन पवार ने कहा, ‘हमने इस बिना पर आग्रह किया था चूंकि श्र्री पांडे सिर्फ़ अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे थे और उनपर केस चलाने के पहले सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी, इसलिए न्यायालय से गुज़ारिश है कि उन्हें आरोपमुक्त कर बरी किया जाए.’
ज्ञात हो कि पिछले दिनों भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम इन मामलों से हटा दिया गया था. अमित शाह के साथ-साथ डीजी वंजारा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत दे दी थी.
पूर्व डीजीपी पांडे पर अमित शाह के आह्वान पर सोहराबुद्दीन की हत्या के लिए मीटिंग कर अन्य अफसरों को शामिल करने का आरोप लगाया गया था. उन पर केस की जांच की गति को धीमा करने का भी आरोप लगाया गया. पीसी पाण्डेय पर मामले को दबाने का भी आरोप लगाया गया था.
कोर्ट ने पीसी पांडे को बरी करते हुए कहा कि चूंकि पांडे पर केस चलाने के पहले सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी, इसलिए पांडे पर कोई केस नहीं बनता है. इसके अलावा अदालत ने कहा कि अपने पद पर रहते हुए पांडे ने जो आदेश दिए थे, वे उनके अधिकार क्षेत्र में आते थे. इस लिहाज़ से पीसी पांडे पर पद के दुरुपयोग का मामला तो बनता ही नहीं है. मामले की सुनवाई एमबी गोसावी कर रहे थे.
केन्द्र में भाजपा की सरकार आने के बाद गुजरात में बीते दशक में हुए ख़ूनी खेल के बहुत सारे अभियुक्त व आरोपी अब राहत की साँस लेते दिखाई दे रहे हैं. भारतीय न्याय व्यवस्था के प्रति आस्था व सम्मान व्यक्त करते हुए यह कहना गलत न होगा कि इन मामलों की जांच कर रही अदालतों ने आरोपियों को बरी करने के लिए जो-जो कारण गिनाए हैं, वे कुछ हद तक बचकाने हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी करते वक्त अदालत ने कहा था कि अमित शाह पर चलाया गया केस राजनीतिक रूप से प्रेरित है, जबकि यह विदित है कि तब से लेकर अभी तक गुजरात में सरकार भाजपा की ही है. पीसी पांडे को बरी करते वक्त जो कारण बताया गया, उससे कानूनी लूपहोल भी सामने आने लगते हैं. ज्ञात हो कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत पुलिस अफ़सर से पूछताछ की जा सकती है, लेकिन पीसी पांडे के पक्ष में ऐसा नहीं किया गया था.
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