By ज़जम for TwoCircles.net,
जब हमारा देश दुसरे गियर से पांचवे गियर में जाने की तैयारी कर रहा है तब 5 फ़ीट 5 इंच का आदमी देश की राजधानी को सर पर उठा रखा है।
जब लोग भारत को सोने की चिड़िया और सुपर पावर बनने का सपना देख रहें हैं तब इस आदमी ने सड़क -बिजली-पानी की बात कर मज़ा ही किरकिरा कर दिया.
चुनाव के समय जनता को अपने प्यारे नेताओ का हेलीकाप्टर और सुन्दर कार में आना अच्छा लगता है. नेता जब हम लोगों के सुनहरी भविष्य के बातें करते है तो जनता मंत्र मुग्ध जाती है. चुनावी रैली में समय कैसे गुज़र जाता है, पता ही नहीं चलता। लेकिन यह आदमी तो हमारे ही समस्याओं के बारे मैं बातें कर चला जाता है जैसा की हमें इन समस्यों के बारे में हमें पता ही नहीं। ना तो इसका भाषण मनलुभावन होता है न इसकी कार। जो हम रोज़ अपनी ज़िन्दगी देखतें और झेलते हैं वह ही सुना कर चला जाता है.
भाई, इनके कपडे तो देखो. कहीं से भी नेता लगता है? हमारा देश गरीब हो सकता है , इसका मतलब तो यह नहीं की नेता भी गरीबों वाला कपडा पहने। यह आदमी तो रोज़ एक ही जैसे कपडे पहन कर घूमता है, देखने का तो मन भी नहीं करता।
आपको राजनीती करनी है तो करें पर यह क्या है की आप हर भाषण से पहले यह गाते हैं की "इंसान का इंसान से हो भाईचारा ". भाई, यह क्या है? जो राजनितिक दलों ने जो धर्म और जाति की दीवार बरसों की मेहनत से खड़ी की है वह एक दिन में गिरा दें? क्या आप चाहते हैं कि जिन लोगों अपनी पार्टी और संस्थाएं इस दीवारों के सहारे खड़ी की है वह देश सेवा से वंचित रहें ?
आप कहते हो की रिश्वतखोरी बंद कर देंगे। क्या अपने कभी उन घुंस लेने वाले बाबुओ और उनके परिवार के बारे सोचा ? उनकी नई गाड़ी, बड़ी कोठी और विदेश यात्रा का क्या होगा? आम आदमी बड़ी गाड़ी, बांग्ला और विदेश यात्रा के बिना रह सकता है, वो नहीं। आप कहते हो की बिजली के दाम कम कर देंगे, पानी और wi-fi मुफत कर देंगे, बेचारे उद्योगपतियों के एकदम फ़िक्र नहीं आपको? जब उनका मुनाफा कम होगा तो वह कितने परेशान होंगे ? और इसके कारण सेंसेक्स गिरेगा तो देश का कितना नाम ख़राब होगा?
राजनितिक दल, अपना घोषणापत्र बनाते थे और जनता के सामने प्रस्तुत करते थे और वादों के झड़ी लगा देते थे, सुन कर मज़ा आता था. हमें ऐसा अहसास होता था कि यह राजनितिक दल जनता का कितना ख्याल रखते हैं. हमारे बारे में कितना सोचतें हैं और हम लोगों के लिए कुछ करने को लालायित हैं. यह एक साहब हैं, जो हम से ही हमारी समस्याओं को पूछ कर अपना घोषणापत्र बनाते हैं , हमें ज़रा भी उत्सुकता नहीं रहती. वह आनंद भी आपने हमसे छिन लिया है। ऊपर से घोषणापत्र इतना गहन बनाते हो, किसके पास इतना समय हैँ कि इसको पढ़े और समझे ?
आप तो बेरोज़गार हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप सारे मंत्रियों को चुनाव प्रचार मैं लगवा दो . सांसदओं को भी अपना घर बार छोड़ कर दिल्ली में प्रचार मैं लगे हुए हैं। अपने उनके आराम का ज़रा भी ख्याल नहीं रखा , इनको भीषण ठण्ड में गलियों चक्कर लगवा दिए। देश के विकास का काम ये मंत्री नहीं कर पा रहें, इसका ज़िम्मेदार आप नहीं तो कौन है? बहुत सारी संस्थानों को भी चुनाव प्रचार में लगना पड़ा है और वह राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग नहीं दे पा रही हैं।
वर्षो से राजनितिक दल चुनाव लड़ रही हैं लेकिन कभी आम आदमी को चंदे के लिए तंग नहीं किया। वह अपने कभी न खत्म होने वाले सन-साधन का पूरा इंतेज़ाम करने के बाद ही ही चुनाव मैदान मैं उतरती थी। आप तो चुनाव मैदान मैं कूद गए फिर चंदे के लिए हम लोगों को तंग करना शुरू कर दिया, भाई आप देश की राजनीती बदलने निकले हैं, हमे क्या?
हम लोगों ने बचपन से किरण बेदी जी का नाम सुना था। उनको सम्मान देने के बजाय अपने उनके जीवन के प्रमुख घटनाओ पर ही सवाल उठा दिए। भाई अपने देश के लाखों लड़कियों के बारे मैं नहीं सोचा जो किरण बेदी बनना चाहती थीं।
राजनितिक दल जो बेचारे ग़रीबों को चुनाव पर्व मानाने के लिए, मुफ्त की शराब और पैसे देते थे, । उससे से भी आपको परेशानी है। मझे लगता है की आप ग़रीबों का भला चाहते ही नहीं। चुनाव कोई बच्चों का खेल है ? आपने तो युवाओं को सड़क पर नचावा दिया, अपने पार्टी को वोट दिलवाने के लिए। उनको तो ज़िन्दगी भर नाचना ही है, अपने पढ़ाई, रोज़गार और अन्य समस्याओं को लेकर। आप ज़रा भी नहीं दूसरे का सोचते।
अपने नई पार्टी बनाई और चुनाव जीत कर, 49 दिनों मैं ताबड़ तोड़ जनता के लिए काम किया। आप क्या चाहतें हैं कि यह पार्टियां भी इसी रफ़्तार से जनता की सेवा में लग जाएँ ? आपको इन पार्टियों के उम्र, आकार और जिन अहसानो के बोझ तले दबी हुई हैं, उसका ज़रा भी ख़याल नहीं ? आप क्या चाहतें हैं कि आपके जनता के सेवा के दौड़ में यह पार्टियां अपनी जान गवा दें?
हमारे नेता जब 5-5 साल के अनतराल पर अपने व्ययस्त दिनचर्या में से समय निकाल कर, हमारे बीच आकर हाथ जोड़ कर वोट मांगते थे तो बड़ा ही गर्व होता था। उनके गालों की बढ़ती लाली , उनके नए कीमती कपडे और नई चमकदार गाड़ियों को देख लगता था की देश का ज़रूर विकास हो रहा हैँ। आप और आपके MLA तो हर समय जनता के बीच ही दिखते हैं , लगता आप लोगों को कुछ काम ही नहीं?
आप कहतें हैं की अपराधी छवि वाले लोगों को चुनाव लड़ने नहीं देंगे। क्यों भाई? दूसरी पार्टियां जो इन लोगों को MLA और MP बनवा कर जो सम्मान और मुख्य धारा में जोड़ने का काम कर रही हैं , इन महान कार्यों से आप कौन होते हैं रोकने वाले ?
सिर्फ बुरा काम नहीं किया, एक काम अछा किया है की दो विरोधियों को मिलवाया है। कांग्रेस और भाजपा की पुरानी दुश्मनी खत्म करवा दी। सुना है दिल्ली चुनाव में दोनों मिलकर काम कर रहें हैं।
मुझे लग रहा है की आपको तो देश से प्यार ही नहीं। नहीं तो आप इतने लोगों को बेहाल नहीं करते और अपनी सेटिंग कर कहीं सेट हो गए होते और देश भी सेट रहता और दूसरे लोगों के सेटिंग भी सेट रहती , पर अपने तो इन सब पर रायता फैला दिया।
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