By मो. इस्माईल खान, TwoCircles.net,
नई दिल्ली/ हैदराबाद: राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् का एकसाथ ज़िक्र आपको अचरच में ज़रूर डाल सकता है, लेकिन मौजूदा गृह मंत्रालय द्वारा ‘आतंकवाद’ के खिलाफ़ शुरू की गयी ‘लड़ाई’ के परिप्रेक्ष्य में जब मुस्लिम शिक्षण संस्थानों को निशाने पर लिया जाएगा तो लगभग यही परिणाम सामने आएंगे.
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् के तहत चल रहे सैकड़ों शिक्षा केन्द्रों, जिनमें मुख्यतः मदरसों के साथ अन्य डिप्लोमा कोर्सों से जुड़े शिक्षा केन्द्र भी शामिल हैं, को जनवरी महीने में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से नोटिस मिली. इस नोटिस में इन संस्थानों से कट्टरपंथ के लिए उठाए जा रहे कदमों को चिन्हित करने और उन्हें खत्म करने का आग्रह किया गया है. रोचक बात तो यह है कि इस नोटिस को भेजने का माध्यम राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् को बनाया गया है.
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् के सम्मेलन में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के तहत क्रियान्वित राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् भारत में उर्दू भाषा की शिक्षा के संचालन के लिए इकलौती जिम्मेदार संस्था है. अरबी, फ़ारसी और उर्दू शिक्षा केन्द्रों के प्रमुखों को प्रेषित इस नोटिस की एक प्रति TwoCircles.net के पास मौजूद है. यदि फ़ौरी तौर पर हिन्दी में इस नोटिस का शीर्षक पढ़ा जाए, तो वह होगा – ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कैबिनेट कमेटी द्वारा पारित राष्ट्रीय सुरक्षा टास्क फ़ोर्स की सिफारिशों का क्रियान्वन’.
इस नोटिस में संप्रग-2 के कार्यकाल में गठित उच्च स्तरीय नरेश चंद्रा कमेटी की सिफारिशों का सन्दर्भ है. देश मंो राष्ट्रीय सुरक्षा पैमानों के मैनेजमेंट के लिए 2011 में नरेश चंद्रा कमेटी का गठन किया गया था.
परिषद् द्वारा भेजी गयी नोटिस में कहा गया है, ‘टास्क फ़ोर्स की सिफारिशों के तहत खुफिया विभाग को सरकारी और गैर-सरकारी तंत्र का उपयोग कर कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहे प्रयासों को चिन्हित कर उनका तोड़ निकालना होगा.’
नोटिस में आगे कहा गया है, ‘कट्टरपंथ के खिलाफ़ यह मुहिम बहुद्देशीय है. इसके लिए ख़ुफ़िया विभाग, मानव संसाधन व विकास मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय, राज्यों के पुलिस बल और सभी विकास सम्बन्धी विभाग इससे संबद्ध होंगे. गृह मंत्रालय इस मुहिम की अगुवाई करेगा लेकिन इसके लिए समूची सरकार का योगदान ज़रूरी है.’
सभी शिक्षा केन्द्रों को भेजी गयी इस नोटिस में केन्द्र प्रमुखों से इस मुहिम के तहत उठाये गए कदमों के ब्यौरे के साथ जवाब सौंपने के लिए कहा गया है. राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् के अंतर्गत संचालित अरबी केन्द्रों के इंचार्ज और रीसर्च अफ़सर कलीमुल्लाह से जब TCN ने संपर्क किया, तो आश्चर्यचकित होकर उन्होंने कहा, ‘हमें लगता था कि पत्रकारों के लिए हमारे संस्थानों का कोई मतलब नहीं है.’
जब हमने इस नोटिस का मकसद पूछा तो कलीमुल्लाह ने कहा, ‘उन्हें इन जगहों पर तालीम पा रहे सभी लोगों का रिकॉर्ड बनाना है. इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना उनका मकसद है कि कहीं कोई छात्र गैर-सामाजिक गतिविधियों में तो संलिप्त नहीं है.’
यह पूछने पर कि क्या मदरसों को राष्ट्रीय सुरक्षा के घेरे में लाना उचित है, उन्होंने कहा, ‘हम केन्द्र सरकार द्वारा पारित आदेशों के हिसाब से चल रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि एक महीने पहले राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् को सरकारी टास्क फ़ोर्स की सिफारिश-संबंधी नोटिस केन्द्र सरकार से मिला था. इसके बाद परिषद् ने आदेशानुसार अपने अधीन संचालित शिक्षा केन्द्रों को यह नोटिस भेजा, जो हम सब को मिला है.
कलीमुल्ला ने यह स्पष्ट किया कि यह नोटिस सिर्फ़ मदरसों को नहीं भेजी गयी है. एनजीओ व अन्य शैक्षणिक संगठनों की मदद से चल रहे कई सारे शिक्षण संस्थान इस नोटिस की ज़द में हैं. कलीमुल्ला ने बताया कि वे सिर्फ़ अपने विभाग के अधीन संचालित संस्थानों की जानकारी दे सकते हैं और उनके विभाग के अंतर्गत संचालित सभी केन्द्रों को यह नोटिस भेजी गयी है.
परिषद् द्वारा मुस्लिम शिक्षण संस्थानों को भेजी गयी नोटिस
कलीमुल्ला ने बताया कि जिन भी संस्थानों को यह नोटिस भेजी गयी है, उन्हें आदेशों का पालन कर यथास्थिति के परिचय के साथ परिषद् को अपना जवाब भेजना होगा. इस जवाब में उन्हें ज़िक्र करना होगा कि अपने संस्थान में राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र उन्होंने कौन-से कदम उठाए.
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् के एक अधिकारी ने बताया कि परिषद् की ओर से सभी शिक्षण केन्द्रों को यह नोटिस प्रेषित की गयी है. उन्होंने आगे बताया कि परिषद् को यह नोटिस गृह मंत्रालय के सचिव की ओर से प्राप्त हुई थी, जिसके मुख्य बिंदुओं को सभी विभागों और केन्द्रों को भेज दिया गया है. अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि इस नोटिस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, अल्पसंख्यक मामलों से जुड़े मंत्रालय, यूजीसी के चेयरमैन और सभी राज्यों के डीजीपी को भी भेजा गया है.
TCN ने इस पड़ताल के सिलसिले में असिस्टेंट डायरेक्टर(प्रशासनिक) डा. कमल सिंह और केन्द्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् के डायरेक्टर डा. ख़्वाजा इकरामुद्दीन से बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क करने की सभी कोशिशें कमोबेश असफल रहीं.
हैदराबाद में मदरसे, प्राइमरी स्कूल के साथ अरबी विषयों के लिए शिक्षा केन्द्र चलाने वाले एक मुस्लिम शिक्षण संस्थान को भी यह नोटिस प्राप्त हुई है. नाम न छापने की शर्त पर इस संस्थान के इंचार्ज ने अपनी भावनाएँ साझा कीं. उन्होंने TCN से कहा, ‘हम तालीम देने के लिए संस्थान चला रहे हैं, न कि ब्रेनवाशिंग कर रहे हैं. शिक्षा के केन्द्रों को आतंकवाद के खिलाफ़ चल रही लड़ाई में नहीं खींचना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अभी तो वे हमसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांग रहे हैं, मुमकिन है कि अगली सरकार हमसे छात्रों की जानकारी पुलिस थानों में देने को कहे. मुस्लिम संस्थानों को प्रदर्शित करने का यह तरीका निहायत ही नामंज़ूर है.’ भविष्य में मदरसों में तालीम ले रहे बच्चों को संदिग्ध करार दिए जाने पर भी उन्होंने चिंता ज़ाहिर की. उन्होंने TCN को यह भी बताया कि वे इस नोटिस के मानकों का पालन नहीं करेंगे और अपने संस्थान को परिषद् से अलग कर लेंगे. आगे ज़रूरत पड़ने पर वे मुकदमा भी दायर करेंगे.
अपनी बात को खत्म करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम परिषद् से इस ख्वाहिश से जुड़े थे कि दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन अब यह देखते हुए कि परिषद् शिक्षा से ज़्यादा आतंकवाद की लड़ाई पर ज़ोर दे रहा है, उनके साथ रहने का कोई मतलब नहीं बनता है. हमें वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी होगी.’
(अनुवाद: सिद्धान्त मोहन)
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