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'हमला करने वाले वकीलों की ड्रेस में थे, पुलिस ने इन्हें नहीं रोका'

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TwoCircles.net News Desk

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के बाद अब इलाहाबाद कचहरी में रोहित वेमुला और जेएनयू प्रकरण को लेकर धरना दे रहे छात्रों और कार्यकर्ताओं पर गुरुवार को वकीलों ने हमला कर दिया. धरना दे रहे लोगों को ‘देशद्रोही’ और ‘पाकिस्तान समर्थक’ कहकर उन पर हमला किया गया. इस हमले में कुछ छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं. खासतौर पर जनवादी पार्टी के के.के. पाण्डेय, सीपीआई के अविनाश मिश्रा और आईसा के सुनील मौर्या को काफी गंभीर चोटें आई हैं.

इस हमले में वकीलों ने महिलाओं को भी नहीं बख्शा. उन पर जातिवादी और अभद्र टिप्पणियां की गईं. प्रदर्शन में मौजूद पीयूसीएल के जेनरल सेकेट्री उत्पला शुक्ला व शहरी गरीब मोर्चा की प्रभा व मानविका को काफी चोटें आई हैं.

स्पष्ट रहे कि रोहित वेमुला और जेएनयू मुद्दे की निष्पक्ष जांच, कन्हैया कुमार सहित अन्य छात्र नेताओं की रिहाई और अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर कुछ वामपंथी संगठनों ने धरना-प्रदर्शन आयोजित किया था. इस धरने में विशेष तौर छह वामपंथी दल –भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (लेनिनवादी), सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट), रिवोलूशनरी सोशलिस्ट पार्टी आफ इंडिया शामिल थे. इसके अलावा ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक-एसएफ़आई, आईसा, एआडीएसओ, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, जनवादी पार्टी सहित इलाहाबाद के छात्रों, ट्रेड यूनियन नेताओं, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, सिविल सोसाइटी और साहित्य जगत के कुछ लोग शामिल थे.

इस हमले की वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया ने कड़ी निन्दा की है. पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य के सचिव संजय सिंह पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि –‘पुलिस घटनास्थल पर मौजूद थी, हमला करने वाले वकीलों की ड्रेस में थे, लेकिन पुलिस ने इन्हें नहीं रोका. बस खड़े होकर तमाशा देखते रहें.

इस संबंध में प्रदर्शनकारियों ने कर्नलगंज थाने आकर हमलावरों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाई है.

गुण्डे वकीलों द्वारा किए गए इस हमले की कड़ी निंदा लखनऊ की सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने भी की है. मंच ने कहा है कि आगामी 16 मार्च को लखनऊ में होने वाला ‘जन विकल्प मार्च’ सपा और भाजपा के सांप्रदायिक गठजोड़ को बेनक़ाब करेगा.

इंसाफ़ अभियान के प्रदेश प्रभारी व हाईकोर्ट अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इलाहाबाद में आरएसएस पोषित वकीलों द्वारा यह हमला पूर्वनियोजित व पुलिस के संरक्षण में हुआ है.

उन्होंने कहा कि जिस तरीक़े से संघी गुण्डों ने महिला कार्यकर्ताओं पर हमले ही नहीं किए, बल्कि उनके साथ अभद्रता और भद्दी-भद्दी गालियां दी, उसने इन संघी राष्ट्रवादियों का महिला विरोधी चेहरा बेनक़ाब किया है.

रिहाई मंच प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि कल अमित शाह के यूपी में बहराइच दौरे के बाद जिस तरीक़े से लखनऊ में और आज इलाहाबाद में संघियों ने हिंसक हमले किए उसने साफ़ कर दिया कि सपा सरकार के पुलिसिया संरक्षण में भाजपा के गुण्डे हमले कर रहे हैं. इसीलिए हमलावरों को पकड़ना तो दूर उनके खिलाफ़ एफ़आईआर तक दर्ज नहीं किया जा रहा है.


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