By TCN News,
लखनऊ: शहीद मौलाना ख़ालिद मुजाहिद की अवैध गिरफ्तारी के विरोध में 16 दिसंबर 2014 को ‘अवैध गिरफ्तारी और इंसाफ की लड़ाई’ विषय पर लखनऊ प्रेस क्लब में सेमीनार आयोजित किया गया है. रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि पुलिस हिरासत में क़त्ल कर दिए गए मौलाना ख़ालिद मुजाहिद को 16 दिसंबर 2007 को एसटीएफ-एटीएस और खुफिया एजेंसियों द्वारा जिस तरह अवैध तरीके से गिरफ्तार किया गया था, यह कार्यक्रम उसके खिलाफ़ आयोजित किया गया है.
आगामी 16 दिसंबर को लखनऊ प्रेस क्लब में दोपहर साढ़े ग्यारह बजे से आयोजित सेमिनार को अवैध गिरफ़्तारी विरोध दिवस के परिप्रेक्ष्य में रखा जा रहा है. मोहम्मद शुएब ने आगे कहा कि अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ़ यह संघर्ष तब और भी ज़रूरी हो जाता है जब देश के हर एक कोने से अवैध गिरफ्तारियों की खबरों का आना आम हो और देश की जेलों में कुल कैदियों का 53 प्रतिशत हिस्सा मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों का हो. आज देश में जिस तरह का परिदृश्य सामने है उसे देखकर लगता है कि देश के मुसलमान, दलित और आदिवासी व्यवस्था के चारा बन कर रह गए हैं और इन वर्गों के लिए इन्साफ केवल एक ‘दिवास्वप्न’ मात्र बन चुका है.
मौलाना ख़ालिद मुजाहिद
मौलाना ख़ालिद मुजाहिद की हिरासत में की गई हत्या के आरोपी एसटीएफ-एटीएस-आईबी के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में विवेचना अधिकारी द्वारा फाइनल रिपोर्ट लगाने की कोशिश को जिला न्यायालय बाराबंकी द्वारा यह कह कर अस्वीकार कर दिया था कि मामले की सही विवेचना नही की गई है और मामला उच्चाधिकारियों के खिलाफ़ है इसलिए क्लोजर रिपोर्ट खारिज की जाती है. इस बाबत मोहम्मद शुऐब ने कहा कि इससे यह बात पुख्ता हो जाती है कि विवेचना अधिकारी द्वारा इस मुकदमे में निष्पक्ष विवेचना की जगह आरोपी अफसरों को बचाने के प्रयास ही ज्यादा किए गए थे.
अब पुर्नविवेचना के तहत इस मुकदमें में 5 जनवरी 2015 को प्रगति रिपोर्ट अदालत द्वारा मांगी गई है. यही नहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी आगामी 19 जनवरी तक राज्य सरकार से इस मामले में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद यह साफ हो जाता है कि इस प्रकरण में सरकार जानबूझ कर इंसाफ का कत्ल कर देने को आमादा है और ऐसी स्थिति में लोकतंत्र और इंसाफ के हक में रिहाई मंच अपने संघर्ष को जारी रखेगा.
मोहम्म्द शुऐब ने कहा कि आज जिस तरह से देश में वर्ण-व्यवस्था का दानव व्यापक पैमाने पर मौजूद है और देश के गरीब, आदिवासी, मुसलमान अपनी आबादी से ज़्यादा जेलों में सड़ रहे हैं, उसे देखते हुए यह साफ हो गया है कि देश के शासक वर्ग के लिए इन वर्गों की समस्याएं कोई मायने नही रखती हैं.
श्री शुऐब ने आगे कहा कि इन परिस्थितियों में रिहाई मंच इन वर्गों के इंसाफ के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगा और आम जनता से भारी से भारी मात्रा में इस सेमीनार में शरीक होने के लिए अपील करते हैं ताकि देश के लोकतंत्र को महफूज रखने की इस लड़ाई को और धार दी जा सके.
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