TwoCircles.net News Desk
लखनऊ :उत्तरप्रदेश की सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता और बीएचयू के गेस्ट फैकेल्टी संदीप पांडे को बीच सत्र में बीएचयू प्रशासन द्वारा हटा दिए जाने को प्रगतिशील मूल्यों के प्रति संघ परिवार पोषित असहिष्णुता का ताज़ा उदाहरण बताया है.
मंच ने इस पूरे प्रकरण पर बीएचयू प्रशासन पर संघ और भाजपा के स्वयंसेवक के बतौर काम करने का आरोप लगाते हुए इसे मोदी सरकार में एकेडमिक पतन की नजीर बताया है.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि –‘संदीप पांडे जैसे प्रतिष्ठित गांधीवादी और तर्कवादी फैकेल्टी को हटाकर बीएचयू प्रशासन ने साफ़ कर दिया है कि वो किसी भी कीमत पर तार्किक और प्रगतिशील विचारों को पनपने नहीं देना चाहता. उसका मक़सद बीएचयू जैसी संस्थान से सिर्फ अंधविश्वासी, लम्पट, साम्प्रदायिक और मूर्ख खाकी निक्करधारी छात्रों की खेप पैदा करना है, जो संघ परिवार के देशविरोधी कार्यकलापों में आसानी से लग जाएं.’
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा है कि संदीप पांडे को हटाने का निर्णय राजनीतिक है, जिसके तहत उन्हें नक्सली और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त बताया गया है.
उन्होंने इसे अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हस्तक्षेप कर उनको पुनः बहाल कराने की मांग की है.
राजीव यादव ने कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, संघ के समाज विरोधी विचारधारा के विरोधियों को शैक्षणिक संस्थानों से हटाकर उनकी जगह संघ और भाजपा कार्यकताओं को बैठाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इसी रणनीति के तहत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन का डायरेक्टर के.वी. सुरेश को बना दिया गया है. जिनकी योग्यता महज़ इतनी है कि वे विवेकानंद फाउंडेशन के सदस्य हैं. जिसके सदस्यों में गुजरात के मुस्लिम विरोधी जनसंहार को आयोजित करने के आरोपी प्रशासनिक अधिकारी से लेकर नृपेंद्र मिश्रा जैसे घोषित सीआईए एजेंट जैसे लोग हैं.
राजीव यादव ने कहा कि विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल के निजी संगठन इंडिया फाउंडेशन भी देश की बौद्धिक पूंजी को भोथरा करने का अभियान चलाए हुए हैं.
उन्होंने कहा कि यह अपने आप में जांच का विषय है कि मोदी के अमरीका दौरे के दौरान मेडिसन स्कवायर पर भी शौर्य डोभाल की कम्पनी ही इवेंट मैनेज करते हैं और वही पिछले दो साल से देश की सुरक्षा पर डीजीपी स्तर के अधिकारियों के सम्मेलन को भी आयोजित करती है.
उन्होंने कहा कि संघ और विदेशी कारपोरेट पूंजी की बड़ी बड़ी लॉबियां भारतीय मेधा और बौद्धिक शक्ति को अपने अनुरूप ढालने का अभियान चला रही हैं और इसमें रोड़ा लगने वाले लोगों को जबरन हटा रही हैं.
वहीं इंसाफ़ अभियान के प्रदेश महासचिव और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता दिनेश चौधरी ने कहा कि बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय का यह दुर्भाग्य है कि उसे जी.सी. त्रिपाठी जैसा वाइस चांस्लर मिला है, जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इकॉनोमिक्स विभाग के औसत से भी कम दर्जे के शिक्षक रहे हैं. जिन्हें उनके छात्र भी गम्भीरता से नहीं लेते थे.
उन्होंने कहा कि जीसी त्रिपाठी सिर्फ संघ के पुराने कार्यकर्ता होने की पात्रता के कारण कुलपति बनाए गए हैं.