By TCN News
लखनऊ :रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की सपा सरकार और भाजपा राम मंदिर के नाम पर फिर से प्रदेश में साम्प्रदायिक माहौल बनाने की रणनीति के तहत राम मंदिर के जिन्न को बाहर निकालने का प्रयास कर रही हैं. मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद हिंदुत्ववादी गिरोह मंदिर निर्माण की बात कर रहा है और प्रदेश सरकार आपराधिक चुप्पी साधे हुए है. मंच ने कहा है कि अयोध्या और फैजाबाद के ग्रामीण इलाकों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की साजिश भी की इसी घातक एजेंडे का नतीजा है. रिहाई मंच के सदस्यों का कहना है कि एक मुक्त जांच दल जल्द ही अलकायदा के नाम पर फंसाए गए सम्भल के पीडि़तों और साम्प्रदायिक हिंसा के शिकार हुए अयोध्या के मिर्जापुर माफी गांव का दौरा करेगा.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के नेता राजीव यादव ने कहा, 'अयोध्या में राम मंदिर बनाने का राग 2017 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर सपा और भाजपा के बीच हुए गुप्त समझौते के तहत अलापा जा रहा है. ठीक इसी तरह 2013 में भी चौरासी कोसी परिक्रमा के नाम पर सपा सरकार ने अशोक सिंघल और मुलायम सिंह यादव की मुलाकात के बाद विश्व हिंदू परिषद को माहौल बिगाड़ने की खुली छूट दे दी थी. जिसके बाद मुजफ्फरनगर दंगे के ज़रिए पूरे सूबे को साम्प्रदायिक हिंसा में झोंकने की कोशिश हुई थी.'
राजीव यादव ने आगे कहा कि सपा सरकार के संरक्षण में अयोध्या और फैजाबाद में मुसलमानों को डरा-धमकाकर दादरी जैसी घटनाएं दोहराने की कोशिश की जा रही है. इसके तहत ही 18 दिसम्बर को अयोध्या से लगे मिर्जापुर माफी गांव के मुस्लिम युवक नफीस खान पुत्र रईस खान की मोटर बाईक से गांव के ही लाल जी यादव की बाईक टकराने की मामूली घटना के बाद न सिर्फ सत्ताधारी दल के समर्थक होने के गुरूर में नफीस को सम्प्रदायसूचक गालियां दी गयीं बल्कि उसे बुरी तरह पीटा भी गया.
राजीव यादव ने बताया कि किसी तरह जान बचाकर घर पहुँचने के बाद जब आपातकालीन 100 नम्बर पर घर वालों ने फोन करके पुलिस को सूचित किया तब भी पुलिस नहीं आई और 80-90 लोगों की भीड़ ने नफीस के घर को चारों तरफ से घेर लिया और पथराव करने लगे. इस घटना के काफी देर बाद अयोध्या कोतवाल राम स्वरूप कमल पीएसी के साथ पहुंचे लेकिन उन्होंने नफीस और उसके परिवार को बचाने के बजाए हमलावरों को ही आश्वस्त किया कि जैसा वे चाहेंगे वैसा ही होगा.
वहीं परिजनों से मिले इंसाफ अभियान के प्रदेश सचिव गुफरान सिद्दीकी ने आरोप लगाया है कि घायल नफीस, उसके पिता और नफीस को बचाने आए पड़ोसी को हमलावरों ने पीट-पीट कर अधमरा कर दिया था. पुलिस पड़ोसी की मेडिकल जांच के नाम पर अस्पताल ले गई लेकिन बाद में उनका चालान कर दिया जिनके खिलाफ हमलावरों ने झूठा क्राॅस केस करवाया था. जबकि मेडिकल रिपोर्ट में नफीस के घायल होने की पुष्टि हुई है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश पुलिस की मुस्लिम विरोधी मानसिकता इस मामले में फिर से उजागर हो गई है क्योंकि पीडि़त मुस्लिम पक्ष ने लालजी यादव, संजय यादव, राम जी यादव, भगवान यादव, जमुना यादव, रिंकू यादव, राघोराम यादव, मुरारी यादव, गिरधारी यादव, महेश यादव, टीटी राम यादव, बिजली यादव, अगरू राम यादव, राम सजीवन यादव, भारत लाल यादव उर्फ भरत लाल यादव, शशिकपूर यादव, शिवराम यादव, सल्लू, दिनेश यादव, आशाराम यादव, मन्नू यादव, सन्नू यादव, दिन्नू यादव, राम अवध यादव, मंसाराम यादव (सभी मिर्जापुर माफी गांव के निवासी) के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है लेकिन पुलिस ने एक भी आरोपी को आज तक नहीं पकड़ा और वे अब भी आजाद घूम रहे हैं.
गुफरान सिद्दीकी ने कहा कि नफीस के परिजनों को अब भी हमलावर धमकी दे रहे हैं कि हमारी सरकार है, पीएसी भी उनको नहीं बचा पाएगी. उन्होंने कहा कि इस घटना ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि मुसलमानों के वोट लेने वाली सपा सरकार अब खुल कर संघ परिवार के मुस्लिम विरोधी एजेंडा लागू कर रही है.