By TwoCircles.net staff reporter
अयोध्या:बीते रोज़ अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद् की हरक़तों ने माहौल को तल्ख़ और तनावपूर्ण बना दिया है. इसकी शुरुआत अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को लेकर आए दो ट्रकों के आने के बाद शुरू हुई.
तकरीबन छः महीनों पहले विश्व हिन्दू परिषद् ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए देश भर से पत्थर जुटाने की मुहिम की शुरुआत की थी. इस मुहिम का ही नतीज़ा निकला कि सोमवार को दो ट्रक इन पत्थरों को लेकर अयोध्या पहुंच गए.
मीडिया से बात करते हुए विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया, 'अयोध्या में विहिप की संपत्ति रामसेवक पुरम में दो ट्रक पत्थर लाए गए हैं. राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास ने शिलापूजन भी कर दिया है.'
पीटीआई से बातचीत करते हुए महंत नृत्य गोपालदास ने बताया कि मोदी सरकार की ओर से 'संकेत'दिए गए हैं कि राम मंदिर का निर्माण अभी होगा. लेकिन बाद में चैनलों द्वारा घेरे जाने पर नृत्य गोपालदास ने कहा कि इसमें केंद्र सरकार का कोई रोल नहीं है. यह पत्थर राजस्थान और गुजरात के रामभक्तों द्वारा भेजे गए हैं.
यदि केंद्र सरकार की मौन सहमति की बात को सच मानकर भी चलें तो भी विहिप की इस कार्रवाई को कानूनी नहीं ठहराया जा सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब राम जन्मभूमि का मामला अब सर्वोच्च न्यायालय के पास है. ऐसे में किसी भी तरह का निर्माण या तनावपूर्ण कार्य गैरकानूनी है.
ऐसे में प्रश्न उठता है कि उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिने जाने वाले अयोध्या में बिना प्रदेश सरकार की सहमति के ऐसी कार्रवाई कैसे हुई? यह भी प्रश्न है कि प्रदेश सरकार के खुफ़िया तंत्र के पास इसकी भी जानकारी न थी कि ऐसा कुछ शुरू होने जा रहा है. बहरहाल, सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले में गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी है.
विहिप की इस कार्रवाई से राम मंदिर का निर्माण हो या न हो, लेकिन एक बात साफ़ है. भाजपा और संघ 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में इस औचक मूवमेंन्ट का फायदा लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं. राम मंदिर मामले के पक्षकार हाशिम अंसारी ने भी इसे पॉलिटिकल स्टंट और 2017 विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक ड्रामा करार दिया है.
बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में, जहां मुजफ्फरनगर हो या दादरी, हर महीने साम्प्रदायिक घटनाएं होती रहती हैं, वहाँ के एक अति-सवेदनशील इलाके में विहिप की हरक़त से तराजू के पलड़े पर रखा हुआ साम्प्रदायिक सौहार्द्र किस ओर झूलेगा.