Quantcast
Channel: TwoCircles.net - हिन्दी
Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

राजपूतों और व्यवस्था की शिकार एक दलित लड़की

$
0
0

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

वैशाली:बिहार में सरकार का चेहरा बदल गया है, मगर मिज़ाज नहीं बदले हैं. पिछले शासनकाल में एक दलित लड़की सीमा (बदला हुआ नाम) के साथ हुई ज़ोर-ज़बरदस्ती की कोशिश का इंसाफ़ अभी तक नहीं हो पाया है.


Letter 1

यह घटना बिहार के वैशाली जिले जुड़ावनपुर थाना क्षेत्र के वीरपुर गांव की है. सीमा की मां फूलमती देवी(बदला हुआ नाम) बताती हैं, ‘मेरी 15 साल की बेटी दर्जी के यहां जा रही थी. तभी रास्ते में राजपूत बिरादरी के कुछ लड़कों ने पहले छेड़खानी की और फिर उसे पकड़कर मकई के खेत में ले जाने लगें. जब मेरी लड़की चिल्लाने लगी तो कुछ लोग जमा हो गए. लोगों को देखकर वह सब भाग गए.’

फूलमती देवी बताती हैं, ‘मेरी बेटी उन सभी को पहचानती है. क्योंकि सारे लड़के गांव के ही थे. नाम सामने आ जाने पर उन्होंने गांव के दलितों की पिटाई की और साथ ही यह धमकी भी दी कि कोई पुलिस के पास गया तो सबको जला डालेंगे. सबकी इज़्ज़त लूट लेंगे. गांव के हम दलित डर गए क्योंकि पूरे गांव में सिर्फ़ दो ही घर पासवान के हैं.’


letter 2

फूलमती के मुताबिक़ इस घटना के बाद राजपूतों का मनोबल और बढ़ गया. बार-बार लड़की को उठा लेने की धमकी देते थे. तब हम अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस थाने गए. लेकिन पुलिस वालों ने हमें भगा दिया. बल्कि अब उल्टा उन राजपूतों ने हमारी लड़की पर ही केस कर दिया जबकि पुलिस हमारी शिकायत तक लेने को तैयार नहीं हुई.

लड़की के पिता राघव पासवान(बदला हुआ नाम) बताते हैं कि एक संस्था की मदद से हमने कोर्ट में इसकी शिकायत दी. कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई लेकिन पुलिस ने अब तक कुछ नहीं किया. बल्कि अब वे हर दिन जान से मारने की धमकी देते हैं.

राघव बताते हैं, ‘इस गांव में हमारे पास इस घर के सिवाय कुछ नहीं है. आख़िर घर छोड़कर कहां जाएं? हम अपनी फरियाद लेकर रामविलास पासवान के पास भी जा चुके हैं. जीतनराम मांझी को भी पत्र दिया था, तब वह बिहार के मुख्यमंत्री थे. लोजपा नेता पारसनाथ पशुपति को पत्र और जदयू नेता श्याम रजक से भी मुलाक़ात कर चुके हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.’

यानी राजपूतों की ज़ोर-ज़बरदस्ती का शिकार इस लड़की का परिवार अब अपनी फ़रियाद लेकर दर-दर की ठोकरें खा रही है. लड़की को गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. राज्य सरकार से लेकर केन्द्र के कैबिनेट मंत्री तक वे अपनी शिकायत पहुंचा चुके हैं. मगर कोई सुनने वाला नहीं है.

इस मामले को देख रही एडवोकेट सविता अली का कहना है, ‘पुलिस उन्हीं राजपूतों का साथ दे रही है. अब तक पुलिस ने इस मामले में कुछ नहीं किया है. यह परिवार काफी डरा हुआ है. लड़की को गांव छोड़कर जाना पड़ा तो वहीं मां-पिता भी जान बचाते फिर रहे हैं और पुलिस कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है.’

राजपूतों की दबंगई बदस्तूर जारी है और लड़की का परिवार ख़ौफ़ के साये में दिन-रात घुट-घुट कर जीने के लिए मजबूर है. इस मामले की शिकायत नीतीश कुमार तक गई है. हद तो यह है कि राज्य अनुसूचित जाति आयोग भी जून 2014 में ही वैशाली ज़िला के ज़िला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को अभियुक्तों के विरूद्ध त्वरित कार्रवाई करने का आदेश दे चुकी है, उसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. आयोग ने दुबारा सितम्बर 2014 में भी आदेश दिया लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. जबकि यह घटना 20 मार्च 2014 की है.

फूलमती का कहना है कि चुनाव के दौरान इसी अक्टूबर महीने में हम लोग पटना आकर श्याम रजक से भी मिलें थे. श्याम रजक ने एसपी को फोन भी किया था, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुख्यमंत्री से ही अब उम्मीद है कि लेकिन नीतीश कुमार के लोग उनसे मिलने ही नहीं देते. हालांकि उनका कार्यालय भी कार्रवाई के लिए एक पत्र लिख चुका है. ऐसे हम क्या करें और कहां जाएं?

सामाजिक परिवर्तन का नारा देने वाली इस नई सरकार में भी इस मामले की सुनवाई न होना बड़े सवाल खड़े करता है. सबसे महत्वपूर्ण सवाल कि क्या सारे वायदे सिर्फ़ चुनाव तक के लिए ही थे? या चुनाव के बाद भी सियासतदानों को अपने कुछ वायदों की याद बाक़ी है.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

Latest Images

Trending Articles





Latest Images