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‘कविता: १६ मई के बाद’ यानी कॉरपोरेट लूट और फासीवाद के खिलाफ़ खड़ा होता कवि

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By TCN News,

लखनऊ: अच्छे दिनों का वादा कर आई नई सरकार ने जिस तरह सांप्रदायिकता और कॉरपोरेट लूट को संस्थाबद्ध करके पूरे देश में अपने पक्ष में जनमत बनाने की आक्रामक कोशिश शुरू कर दी है, उसके खिलाफ़ जनता भी अलग-अलग रूपों में अपनी चिन्ताओं को अभिव्यक्ति दे रही है. जिस तरह आदतन चुनावों के दरम्यान सांप्रदायिक माहौल ख़राब किया जा रहा है, कहीं ‘लव जिहाद’ को चुनावी हथियार बनाया जा रहा है तो कहीं मॉरल पुलिसिंग. इन सभी बर्बरताओं के खिलाफ़ देश की कविता भी मुखरता से सामने आ रही है. इन कविताओं को एक मंच पर लाने के लिए कल लखनऊ के सीपीआई कार्यालय में ‘कविता: 16 मई के बाद’ श्रृंखला के तहत कविता-पाठ का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, इप्टा, जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी ने संयुक्तं रूप से किया.


‘कविता: १६ मई के बाद’ यानी कॉरपोरेट लूट और  फासीवाद के खिलाफ़ खड़ा होता कवि

संचालन का प्रभार सम्हालते हुए संस्कृसतिकर्मी आदियोग ने शाद की नज़्म से शुरुआत करते हुए कवियों को अपनी बात कहने के लिए पांच मिनट का वक्तक दिया और आयोजन में आधार वक्तोव्या रखने के लिए कवि रंजीत वर्मा को आमंत्रित किया. रंजीत वर्मा ने आयोजन की पृष्ठंभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद जो फाशीवाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस देश में आया है और उसके बाद इस देश में जैसी राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियां बनी हैं, उसमें एक अहम सांस्कृसतिक हस्तणक्षेप की ज़रूरत आन पड़ी है. ऐसे में ज़रूरी है कि कविता को राजनीतिक औजार बनाकर एक प्रतिपक्ष का निर्माण किया जाए. इसी उद्देश्यर से बीते 11 अक्टूनबर को दिल्लीष से यह आयोजन शुरू हुआ और यह कविता यात्रा देश भर में अगले एक साल में ले जाई जाएगी.

कविता-पाठ के क्रम में सुभाष राय की एक लंबी के बाद अजय सिंह ने अपनी बहुचर्चित कविता ‘राष्ट्रतपति भवन में सुअर’ का पाठ किया. चंद्रेश्वनर ने अफ़वाहों के फैलने पर एक ज़रूरी कविता सुनाई. मंच पर मौजूद ब्रजेश नीरज, हरिओम, ईश मिश्र, किरन सिंह, नरेश सक्सेना, नवीन कुमार, प्रज्ञा पाण्डेय, पाणिनि आनंद, रंजीत वर्मा, राहुल देव, राजीव प्रकाश गर्ग ’साहिर’, संध्या सिंह, सैफ बाबर, शिवमंगल सिद्धान्तकर, तश्ना आलमी, उषा राय़, अभिषेक श्रीवास्त व ने अपनी सशक्तई कविताओं के माध्यबम से अपने-अपने हिस्से का प्रतिरोध दर्ज किया. कार्यक्रम की अध्यकक्षता वरिष्ठम कवि नरेश सक्सेअना ने की.


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