Quantcast
Channel: TwoCircles.net - हिन्दी
Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

समस्तीपुर लाइव: विभूतिपुर में अब भी वामपंथ मजबूत, समाजवाद से मिलेगी टक्कर

$
0
0

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

समस्तीपुर:बिहार के समस्तीपुर जिले का विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र कभी वामपंथियों के लिए मास्को कहलाता था. वामपंथी इसे लालगढ़ के रूप में भी शुमार करते हैं तो वहीं कुछ लोग इसे बिहार के लेनिनग्राद के नाम से भी जानते हैं. एक वक़्त था कि सीपीएम के रामदेव वर्मा यहां राज करते थे. वे यहां से 6 बार जीत दर्ज करके विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2010 में जदयू के रामबालक सिंह ने वामपंथियों के इस क़िले को भेदकर समाजवादियों का झंडा गाड़ दिया है.

इस बार यहां लड़ाई त्रिकोणीय है. ऐसे में पहले वामपंथियों और अब समाजवादियों के इस गढ़ में दक्षिणपंथी कितना कामयाब हो पाते हैं, यह देखना दिलचस्प रहेगा.

.

इस बार भी जदयू ने रामबालक सिंह को ही अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं माकपा के रामदेव वर्मा भी मैदान में सीना तानकर खड़े हैं. एनडीए गठबंधन की ओर से लोजपा के रमेश राय ताल ठोंक रहे हैं.

वामपंथी विचारधारा का समर्थन करने वाले मनीष का कहना है, ‘इस बार जीत नीतिश की ही होगी.’ यह पूछने पर कि ऐसा क्यों? आप तो खुद को वामपंथी विचारधारा का बता रहे थे. इस सवाल पर मनीष थोड़े मायूस होकर बोलते हैं, ‘विचारधारा तो हमारी अभी भी वही है. लेकिन हमारी विचारधारा में कुछ मतलबी नेता भी शामिल हो गए हैं. हमारी लड़ाई दक्षिणपंथियों से है. ऐसे में हमें उसका साथ देना चाहिए जो हमारे दुश्मन को मैदान में पटखनी दे रहा हो.’

मनीष की बातें कई मायनों में अहम है. वे थोड़ा विचार करते हुए बताते हैं, ‘हमारी पार्टी के नेताओं की कथनी व करनी में धीरे-धीरे काफी फ़र्क आ रहा है. यही वजह है कि बिहार से वामपंथियों का दबदबा लगभग खत्म-सा हो गया है. यह सोचने की बात है कि जब आपकी लड़ाई मोदी से है तो क्यों नहीं महागठबंधन के साथ शामिल होने की कोशिश की गई? हद तो यह है कि वामपंथियों में भी एकता नहीं हैं. कई जगहों पर सीपीआई और सीपीएम अलग-अलग लड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि दोस्ताना लड़ाई है. अरे! कहीं चुनावी लड़ाई भी दोस्ताना होती है क्या?’

.

किसान उमेश महतो के अनुसार यहां के लोग अभी तय नहीं कर पा रहे हैं. वैसे मुक़ाबला रामदेव व रामबालक में ही है. उमेश महतो खुद नीतिश के पक्ष में जाने की ख्वाहिश रखते हैं.

लेकिन देवेन्द्र कुमार का कहना है कि रामदेव वर्मा कुशवाहा लोगों का वोट काट रहे हैं, इसलिए जदयू को फर्क पड़ेगा. इसका लाभ किसी और को भी मिल सकता है.

एक बात यहां खुलकर सामने आ रही थी कि भले ही राज्य की पूरी पॉलिटिक्स विकास के मुद्दे पर हो रहा हो, लेकिन यहां वोट लोग जातीय समीकरण को ध्यान रखकर ही वोट देने की सोच रहे हैं. 74 वर्ष के रामचरित राय का स्पष्ट तौर पर कहना है, ‘हम कुर्मी हैं और अपना वोट कुर्मी-पुत्र को ही देंगे.’ जब हमने पूछा कि क्यों? आपके लिए विकास मायने नहीं रखती क्या? तो हंसकर बोलते हैं, ‘आपको पता है कि विकास-पुरूष किसे कहा जाता है. और जाकर पता लगाइए कि उन्हें विकास पुरूष के तौर पर सबसे पहले किसने प्रचारित किया.’
फिर रामचरित राय बताते हैं कि नीतिश के शासन में काफी विकास हुआ है. लड़कियों को साईकिल मिली है. लेकिन मोदी जी ने क्या किया है? नौजवान लोगों को रोज़गार क्यों नहीं मिला? वे आगे बताते हैं कि औरतों को आरक्षण जो दिया वो अद्भुत है. हालांकि मर्दों को इससे समस्या है, क्योंकि औरत तुरंत थाने चली जाती है.

पेशे से अध्यापक मो. इस्लाम का कहना है, ‘बिहार में इस बार खास बात यह है कि भले ही मर्द भाजपा के साथ हों लेकिन घर की औरतें नीतिश के ही साथ हैं. एक सचाई यह भी है कि बिहार में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत काफी बढ़ा है. औरतें नीतिश के प्रति काफी जागरूक हुई हैं और अगर विकास की बात करें तो यहां विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 286 करोड़ का काम विधायक ने करवाया है.'मो.इस्लाम के बातों की पुष्टि कुछ ही देर में हो गई. उसी दिन वहां वशिष्ट नारायण व बलियावी की चुनावी सभा थी और वहां सबसे अधिक संख्या महिलाओं की ही नज़र आ रही थी.

इन सबके विपरीत शिक्षक रामशगुन महतो का दावा है कि लोग अब परिवर्तन चाहते हैं. हर काम में कमीशन देना पड़ता है. दलाली दिए बगैर कोई काम होता ही नहीं. पैसे लेकर लोगों को टीचर बना दिया जाता है. कृषि मेला सिर्फ गबन का ज़रिया है. आम लोग ख़फ़ा हैं. बीच में ही पास में खड़े लोग बोलते हैं कि अरे मास्टर जी! आपकी पार्टी जो हम लोगों का ज़मीन छीनने पर लगी है, उस पर भी कुछ बोलिए’ तब शगुन महतो हंसते हुए बोलते हैं, ‘विकास के लिए ज़मीन लेना ज़रूरी है.’

स्पष्ट रहे कि 2010 विधानसभा चुनाव में यहां जदयू के रामबालक सिंह 12301 वोटों से सीपीएम के रामदेव वर्मा को हराकर विधायक बने थे. जबकि पिछले 27 सालों से यहां रामदेव वर्मा ही विधायक की गद्दी पर बैठते आए हैं.

मुख्यमंत्री नीतिश कुमार यहां भी एक चुनावी रैली कर चुके हैं. यहां उनके स्टारडम का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि रैली वाले दिन रैली स्थल पर जब नीतीश पहुंचे तो हेलीकॉप्टर देखने के लिए भीड़ अनियंत्रित हो गई और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया. नीतीश कुमार की रैली सिंघिया इलाके में थी.

इस बार यहां सिर्फ 8 प्रत्याशी मैदान में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत 58.67 था, उम्मीद है कि इस बार इसमें और इज़ाफ़ा होगा. यहां चुनाव प्रथम चरण यानी 12 अक्टूबर को है.

विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों की सूची

Untitled

Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

Trending Articles