अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
समस्तीपुर:ज़िला समस्तीपुर की कल्याणपुर विधानसभा सीट अब प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है. लड़ाई आर-पार की है. एक तरफ जदयू से पूर्व सांसद हैं तो दूसरी तरफ़ लोजपा से वर्तमान सांसद का बेटा. ऐसे में 15 उम्मीदवारों के बीच होने वाली यहां की लड़ाई काफी दिलचस्प है.
जदूय के बागी नेता रामबालक पासवान व लोजपा के बागी नेता संतोष पासवान ने इस लड़ाई और भी दिलचस्प बना दिया है. राम बालक पासवान शिवसेना के उम्मीदवार हैं तो वहीं संतोष पासवान नेशनल जनता पार्टी (इंडियन) से अपनी क़िस्मत की आज़माईश कर रहे हैं.
ग्रामीण चिकित्सक संतोष झा का मानना है कि यहां इस बार कांटे की टक्कर है. मुक़ाबला दो ही उम्मीदवारों में है. हालांकि दोनों उम्मीदवार बाहरी हैं लेकिन यहां के लोगों में पूर्व सांसद महेश्वर हज़ारी, जो इस बार विधायक बनने के लिए मैदान में हैं, की तरफ़ झुकाव ज़्यादा है. हालांकि इन्हें प्रिंस राज के पिता रामचंद्र पासवान ने ही लोकसभा चुनाव में हराया था. लेकिन चुनाव जीतने के बाद इस तरह गायब हुए कि लोगों को इस चुनाव तक में नज़र नहीं आए. इसके विपरित हज़ारी हमेशा लोगों के बीच बने रहे हैं.
80 वर्षीय किसान किशोरी राम का कहना है, ‘नीतिश कुमार ने यहां बहुत काम किया है. ज़्यादातर सड़कें बन गई हैं. स्कूल बना है. अस्पताल भी बना है. इसलिए हमारा वोट तीर के साथ ही जाएगा.’ यही बात 76 साल के उदैनी शर्मा भी दोहराते हैं. लेकिन रनवीर कुमार शाह का मानना है कि ‘इस बार वोट मोदी को ही जाएगा. उन्होंने 15 साल लालू को भी देखा. 10 साल नीतिश को भी देख लिया. अब ज़रा भाजपा को भी देख लें.
शाह कहते हैं, ‘यह कितना अजीब है कि पहले लोग पढ़ाई के लिए बिहार आते थे, पर अब लोग पढ़ाई के लिए बाहर जा रहे हैं.’ महंगाई के सवाल पर रनवीर का कहना है, ‘महंगाई तो बढ़ता ही रहेगी. किस सरकार ने महंगाई रोक दी है?’
उमेश कुमार कहते हैं कि बिहार के विकास के लिए बीजेपी को ही जिताना होगा. हालांकि वह मानते हैं कि नीतिश कुमार सीएम पद के लिए सबसे सही उम्मीदवार हैं, लेकिन उनका कहना है, ‘नीतिश लालू से मिलकर बहुत गलत किए. उन्हें भाजपा के साथ ही रहना चाहिए था. उन्हें सीएम बनने से कोई भी नहीं रोक पाता. लेकिन लालची नीतिश अब लालू के साथ हैं और आप जानते ही हैं कि लालू से सबका मोहभंग हो चुका है. इसका खामियाजा अब नीतिश कुमार को भुगतना ही पड़ेगा.’
लेकिन खेतीबाड़ी करने वाले शिव कुमार का कहना है, ‘पिछली बार मोदी को ही वोट दिया था पर महंगाई और बढ़ गयी. किसानों की समस्या में लगातार बढ़ोत्तरी ही हो रही है. गरीबों के लिए देश में अब कहां कुछ है. सब पूंजीपतियों के हाथ में चला गया है. नीतिश ने कम से कम हमारी ज़मीने तो छीनने की कोशिश नहीं की ना. हमारे बच्चों को छात्रवृति भी तो मिल ही रही है. इसलिए इस बार मेरा वोट मोदी को नहीं, नीतिश कुमार को जाएगा.’ वहीं मो. चांद कहते हैं, ‘बिहार में चाहे जो भी हो, लेकिन इस विधानसभा सीट के समीकरण बता रहे हैं कि जीत जदयू की ही होने वाली है. 11-12 प्रतिशत मुसलमान और 20 प्रतिशत से अधिक यहां दलित हैं और सबके सब नीतिश कुमार के साथ हैं.’
छात्र रत्नेश ने जैसे ही बोलना शुरू किया कि किसानों को कई तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है. हमारे युवा बेरोज़गारी का दंश झेल रहे हैं... तभी उनके बाकी दोस्त चिल्लाने लगे. सबके अपने-अपने तर्क थे. उनका मानना था कि पहले हम युवाओं का सवाल मोदी जी से है कि उनके वादों का क्या हुआ? हम बेरोज़गारों के रोज़गार का क्या हुआ? कालाधन क्यों नहीं आया अभी तक. हम तो इस इंतज़ार में बैठे हैं कि हमारे अकाउंट में 15 लाख आ जाएं तो हम यहीं बिहार में अपना रोज़गार शुरू कर दें. फिर तो हम दूसरे राज्यों के लोगों को रोज़गार देंगे.
स्पष्ट रहे कि पिछली बार यानी 2013 विधानसभा उपचुनाव में जदयू की मंजू कुमारी की जीत हुई थी. वहीं 2010 में महेश्वर हज़ारी के पिता रामसेवक हजारी ने बतौर जदयू उम्मीदवार लोजपा के विश्वनाथ पासवान को 30197 वोटों के अंतर से हराया था.
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महेश्वर हजारी वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर संसदीय सीट से चुनाव जीते थे. हजारी 2 बार विधायक भी रह चुके हैं. तो वहीं प्रिंस राज लोजपा सांसद रामचंद्र पासवान के बेटे हैं और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भतीजे हैं. हालांकि महेश्वर हज़ारी भी दूर के रिश्ते में प्रिंस राज के चाचा लगते हैं.
इस सीट का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने इस बार अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत इसी विधानसभा सीट से की थी. एनडीए के नए-नवेले साथी बने रामविलास पासवान भी यहां अपनी चुनावी रैली कर चुके हैं.
कल्याणपुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है. पिछले चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत 51.34 रहा था. इस बार इसमें इज़ाफ़ा होने की काफी संभावना नज़र आ रही है. ऐसे में यहां लोजपा सांसद रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज का राजनीतिक भविष्य दांव पर है तो वहीं जदयू प्रत्याशी और पूर्व सांसद महेश्वर हजारी के लिए यह चुनाव जीतना किसी जंग से कम नहीं है. अब देखना दिलचस्प होगा कि जीत का सेहरा किसके सिर पर होता है.