अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
समस्तीपुर:समस्तीपुर ज़िले के वारिसनगर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग बेहद ही दिलचस्प होने वाली है. इस विधानसभा से इस बार 15 उम्मीदवार मैदान-ए-जंग में हैं और सबका दावा है कि इस बार क़िला फ़तह वहीं करेंगे.
लेकिन मुमताज अहमद का मानना है कि भले ही जीत का दावा कोई भी करे, पर लड़ाई तो सिर्फ़ नीतीश और मोदी में ही है. बाकी सब वोट काटने के सिवा कुछ ख़ास नहीं कर पाएंगे.
मजदूरी करने वाले सीताराम सहनी कहते हैं, ‘इस बार वोट तो नीतिशे को देंगे. पिछली बार मोदी को दिया था, लेकिन ख्वबवो में भी अच्छे दिन नजर नहीं आए.’ साईकिल बनाने का काम करने वाले नसीम अहमद का तर्क है कि फिर से नीतिश को ही मौक़ा देना चाहिए. उन्होंने बिहार में विकास किया है. पहले से अच्छी मिलने वाली बिजली उनका आधार है. रिक़्शा चलाने वाले जोगिन्दर राम भी इस बार नीतिश की पार्टी को ही वोट देने का मन बना चुके हैं.
लेकिन दिलीप शर्मा का कहना है, ‘इस बार बिहार में परिवर्तन बहुत ज़रूरी है. बिहार के किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. पूरे इलाक़े में सुखाड़ की हालत है और सरकार को कभी भी इसकी फ़िक्र नहीं हुई.’
अजय कुमार के मुताबिक़ इलाक़े में विकास के काम हुए हैं. कई छोटे-बड़े पुल, सड़क आदि का निर्माण हुआ है. बिजली की हालत में ज़बरदस्त सुधार है. 37 ट्रांसफर्मर भी लगाए गए हैं. वहीं छात्र संतोष का कहना है कि पिछले पांच साल में हाईस्कूल का भवन, पुस्तकालय, सामुदायिक भवन का निर्माण हुआ है. अच्छी बात है कि लड़कियां अब स्कूल जाने लगी हैं.
मतदाताओं के समीकरण के बारे में एडवोकेट रेयाज अहमद बताते हैं, ‘इस सीट पर मुसलमान थोड़े कम हैं,पर जितने हैं, सभी नीतिश कुमार के साथ हैं. महागठबंधन के साथ यहां का दलित व पिछड़ा समुदाय भी है. मोदी की दाल यहां नहीं गलने वाली और नीतिश ने विकास का काम भी किया है.’
गुफ़रान अहमद का भी कहना है कि आज के राजनीतिक माहौल में काम करने वाले को वोट दिया जाएगा. जनता को झूठे वादे नहीं, बस काम चाहिए.
दिनेश शाह का कहना है, ‘सबको देख लिया. इस बार भाजपा को भी देख लेना चाहिए. केन्द्र में भाजपा की सरकार है, राज्य में भी बन जाएगी तो विकास ज़्यादा होगा.’ वे यह भी बताते हैं कि दलहन व प्याज़ की थोड़ी महंगाई है, वो प्राकृतिक आपदा की बदौलत. बाकी सब कुछ तो ठीक ही है. धीरे-धीरे मोदी जी सब ठीक कर देंगे’
स्पष्ट रहे कि 2010 में यहां जदयू प्रत्याशी अशोक कुमार की जीत हुई थी. उन्होंने राजद के गजेंद्र प्रसाद सिंह को 19,500 वोटों से हराया था. 2005 में यहां से लोजपा प्रत्याशी महेश्वर हजारी चुनाव जीते थे.
यहां से जदयू प्रत्याशी अशोक कुमार को नीतिश कुमार का करीबी माना जाता है. इस लिहाज से भी यहां की लड़ाई काफी मायने रखती है. नीतिश कुमार उनके पक्ष में यहां चुनावी रैली भी कर चुके हैं.
हालांकि पप्पू यादव व तारिक़ अनवर भी अपनी ‘जन अधिकार पार्टी’ के प्रत्याशी अशोक वर्मा के लिए चुनावी सभा कर चुके हैं. इसी सभा में पप्पू यादव की ज़ुबान फिसल गई थी और यहां के शिक्षकों की तुलना कुत्तों से कर दी थी.
उन्होंने कहा था कि बिहार में और देश में कुत्तों पर कम से कम 18 हजार रूपये खर्च होता है, लेकिन एक आम आदमी के परिवार की आमदनी 4 से 6 हजार रूपये मात्र है. राज्य के 4.2 फीसदी स्कूलों में टीचर नहीं है. यदि टीचर है तो वे टीचर इंसान को पढ़ाने के लायक नहीं है.’
2010 विधानसभा में मतदान का प्रतिशत 55.81 रहा था, इस बार और बढ़ने की उम्मीद नज़र आ रही है. यहां मतदान पहले चरण यानी 12 अक्टूबर को है.