Quantcast
Channel: TwoCircles.net - हिन्दी
Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

जिस कदर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी ने बढ़ाया मान

$
0
0

By TCN News,

रामपुर: यह जानना आश्चर्य का ही विषय है कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के ख़जाने में दुर्लभ पाण्डुलिपि ‘जामिउत तवारिख’ संरक्षित है. रामपुर रज़ा लाइब्रेरी और रामपुर के निवासियों के लिए यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि रज़ा लाइब्रेरी की इस अत्यन्त दुर्लभ पाण्डुलिपि की प्रतिलिपि हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मंगोल यात्रा के दौरान 17 मई 2015 को मंगोलिया के महामहिम राष्ट्रपति श्री साखिगिन इलबेडोर्ज को भेंट की गई.

इस पाण्डुलिपि ‘जामिउत तवारिख’ में 13वीं सदी के मंगोलो के इतिहास पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है. यह पाण्डुलिपि इलखानेत राजा गज़न खान (1295-1304) के द्वारा किये गए भव्य परियोजनाओं में से एक है. यह कार्य उनके वज़ीर रशीदुद्दीन फजलुल्लाह हमदानी के द्वारा पूरा किया गया. उन्होंने इसे फारसी में लिखा था और इसमें ओलजीतजू (1304-1316) तक का इतिहास लिपिबद्ध है, इसके काम के विस्तार के कारण इसे पहला दुनिया का इतिहास करार दिया गया. इस पाण्डुलिपि में 80 से अधिक लघु चित्र हैं, यह पाण्डुलिपि खण्ड प्रथम का एक भाग है और इसकी कोई अन्य प्रतिलिपि मौजूद नहीं है.



इस दुर्लभ पाण्डुलिपि के रचनाकार रशीदुद्दीन हमदानी ईरान के शहर हमदान से सम्बन्ध रखते थे और संयोग की बात है कि रज़ा लाइब्रेरी के वर्तमान निदेशक प्रो0 एस0 एम0 अज़ीज़उद्दीन हुसैन के पूर्वज भी ईरान के शहर हमदान से सम्बन्ध रखते थे.

यदि वैश्विक सभ्यताओं की कुछ महत्त्वपूर्ण स्थापनाओं को गिना जाएगा तो रामपुर रज़ा लाइब्रेरी का नाम लेना ज़रूरी होगा. इस लाइब्रेरी में विभिन्न धार्मिक परम्पराओं के वर्णन के अतिरिक्त भारतीय इस्लामिक शिक्षा एवं कला का महत्वपूर्ण ख़जाना है.

इतिहास में जाएं तो मालूम होता है कि इसकी नींव रामपुर के नवाब फैजुल्लाह खां द्वारा 1774 में रखी गई. रामपुर के नवाब विद्वानों, कवियों, चित्रकारों, कैलीग्राफरों तथा संगीतकारों के कामों के बहुत बड़े संरक्षक और पैरोकार रहे थे. आज़ादी मिलने के बाद रामपुर की रियासत भारतीय संघ में सम्मिलित कर दी गई. फिर 6 अगस्त 1951 से लाइब्रेरी एक ट्रस्ट की देखरेख में आ गई. पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रो० सैय्यद नूरूल हसन के प्रयासों से भारत सरकार ने 1 जुलाई 1975 को रामपुर रज़ा लाइब्रेरी को पार्लियामेण्ट एक्ट 1975 के अधीन राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित किया.

मौजूदा वक़्त में इसके बोर्ड के अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल हैं. लाइब्रेरी में अरबी, फारसी, पश्तो, संस्कृत, उर्दू, हिन्दी और तुर्की भाषाओं की 17,000 पाण्डुलिपियाँ है. यहां चित्रों और विभिन्न भाषाओं के ताड़पत्रों का अच्छा संग्रह है. यहां पर लगभग 60,000 किताबें हैं जो कि विभिन्न भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में हैं.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

Latest Images

Trending Articles





Latest Images