By TwoCircles.net staff reporter,
नागपुर: ‘प्रधानमंत्री जी, फ़ोन उठाइए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस से कहिए कि पिछड़े मुसलमानों तक लाभ का कोटा पहुंचे’, ऐसा कहा एमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने जब वे नागपुर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे.
मजलिस इत्तिहाद उल मुसलिमीन यानी ‘एमआईएम’ के मुखिया ओवैसी ने शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में मुसलमानों के पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिलाने का आह्वान करते हुए यह बात कही. यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा किया था, इसलिए उनसे आग्रह है कि वे पिछड़े मुसलमानों की स्थिति सुधारने के लिए महाराष्ट्र की फड़नवीस सरकार को निदेशित करें.
असदुद्दीन ओवैसी (TCN file photo)
ओवैसी ने केन्द्र में कांग्रेस के 50 सालों के शासन और राज्य में कांग्रेस-एनसीपी व भाजपा-शिवसेना के शासनकालों का हवाला देते हुए कहा कि इस समयांतराल में मुस्लिम पिछड़ा वर्ग के साथ नाइंसाफी हुई. सचर कमेटी के साथ-साथ अन्य कई कमेटियों और संगठनों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा कि महाराष्ट्र के मुस्लिम किस तरह मूलभूत सुविधाओं से भी दूर हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को उसी के गढ़ नागपुर में ललकारते हुए ओवैसी ने मंच से कहा, ‘यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आका इस बात को अच्छे तरीके से जान लें कि जब तक मुस्लिमों के आरक्षण का रास्ता साफ़ नहीं हो जाता है, मैं चुप नहीं बैठूंगा.’
इसके साथ ओवैसी ने दलितों, आदिवासियों और मुसलामानों को एक साथ लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसको और प्रसारित करने की नीयत से उनकी पार्टी ने ‘जय भीम, जय मीम’ का नया नारा दिया है, जिसका आशय साफ़ है कि मुस्लिम और दलितों की लड़ाई एक है. 1956 में भीमराव अम्बेडकर ने नागपुर में दलितों को संबोधित किया था, उस लिहाज़ से नागपुर मुस्लिमों के साथ-साथ दलितों का भी एक बड़ा केन्द्र है.
महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में एमआईएम को मिले समर्थन से ओवैसी और उनकी पार्टी के मनोबल में बढ़ोतरी हुई है. यदि एमआईएम इस साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में भागीदारी की तैयारी में है तो दलितों और मुस्लिमों को साथ लेकर चलने का फ़ैसला एमआईएम के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
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