Afroz Alam Sahil, TwoCircles.net
मध्य प्रदेश में एक और बड़े घोटाले की तस्वीर धीरे-धीरे साफ़ होती नज़र आ रही है. यह घोटाला राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान यानी NIOS से जुड़ा हुआ है. इसके तार मध्य प्रदेश के उन तमाम सेन्टरों से जुड़े हुए हैं, जहां बिना परीक्षा दिलाए ही एक बड़ी धन-राशि हड़प कर विद्यार्थियों को पास होने की मार्कशीट बांट दी जाती है. ये रैकेट सालों से चल रहा है. इसकी लिखित शिकायत इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत तमाम जांच संबंधी संस्थाओं से किया जा चुका है.
आरटीआई से मिले महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि NIOS ने जिस स्कूल को अपना परीक्षा केन्द्र बनाया था, उस परीक्षा केन्द्र में कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई. खुद लिखित रूप में उस स्कूल के प्राचार्य यह बात कह रहे हैं कि –‘NIOS की कोई परीक्षा उनके स्कूल में आयोजित नहीं हुई है. यदि इस स्कूल के नाम से केन्द्र बनाया गया है तो उक्त परीक्षाएं कहीं और सम्पन्न हुई होंगी.’
मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िला के सबलगढ़ एक निवासी का आरोप है कि –‘NIOS का यह घोटाला ‘व्यापम’ से कई गुणा बड़ा है. दरअसल, स्कूल के संचालक से सांठ-गांठ कर व मोटी रक़म लेकर उत्तर पुस्तिकाएं सीधे स्कूल संचालक को घर लिखने को दे दी जाती हैं और संचालक राजस्थान व अन्य प्रदेशों के छात्रों से 15 से 20 हज़ार रूपये प्रति छात्र लेकर घरों पर या अपने नीजि स्कूल में फ़र्ज़ी तरीक़े से लिखवा कर उत्तर पुस्तिकाएं बोर्ड को भेज दी जाती हैं.’
हैरानी की बात है कि मध्य प्रदेश में NIOS के परीक्षा में स्थानीय छात्र कम और राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर आदि के छात्र ज़्यादा होते हैं, जिन्हें घर बैठे डिग्री हासिल हो जाती है.
कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती. दिखावे के तौर पर कुछ सेन्टरों पर परीक्षाएं आयोजित भी होती हैं. लेकिन इन सेन्टरों में भी शिक्षक छात्रों को खुलेआम नक़ल कराते हैं. इससे संबंधित कई न्यूज़ यहां के स्थानीय अख़बारों में प्रकाशित होती रही हैं.
उदाहरण के तौर पर दैनिक भास्कर के वेबसाइट पर मौजूद यह ख़बर पढ़ी जा सकती है.
ब्लैकबोर्ड तो साफ करा दिए, सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए नकल कराने के फुटेज
निजी स्कूल संचालक पर रुपए लेकर 10वीं 12वीं पास कराने की गारंटी लेने का आरोप
इस तरह के अनेकों ख़बरें आए मध्य प्रदेश के अख़बारों में प्रकाशित होते रहते हैं. कुछ ख़बरों के कटिंग यहां भी देखा जा सकता है.
NIOS के परीक्षा में यह धांधली इसलिए और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि यह परीक्षा 10वीं व 12वीं के स्तर पर हो रही है. इस स्तर पर जिन विद्यार्थियों को बग़ैर परीक्षा दिए या नक़ल कराकर डिग्रियों की सौगात बांटी जा रही है, उन छात्रों का आगे चलकर भविष्य क्या होगा, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है. या तो ये छात्र आगे की पढ़ाई में इससे भी बड़े सौदेबाज़ी या घपलेबाज़ी को अंजाम देंगे या फिर कुंठित होकर अपना भविष्य चौपट कर लेंगे.
हालांकि यह मामला सौदेबाज़ी या घपलेबाज़ी से कहीं आगे का हो सकता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में शिकायतकर्ता ने इस बात की ओर ध्यान केन्द्रित कराया है कि मध्य प्रदेश में चलने वाले इस घोटाले की जांच इसलिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि :-
1. यदि कोई छात्र/छात्रा नौकरी के लिए तय आयु-सीमा पार कर चुके हैं, तो NIOS के माध्यम से 10वीं में पुन: प्रवेश लेकर नए जन्म-तिथी के साथ पुनः नौकरी की तैयारी करते हैं.
2. यदि किसी पर कोई अपराधिक प्रकरण चल रहा है तो एक नए नाम से NIOS में 10वीं में प्रवेश ले सकते हैं. और फिर इस परीक्षा पास करने के बाद उसकी एक नई पहचान बन जाती है.
3. यदि कोई विदेशी नागरिक है तो वो भी फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर NIOS में प्रवेश ले सकता है. 10वीं पास करने के बाद मूल निवासी प्रमाण-पत्र और अन्य दस्तावेज़ आसानी से बन जाते हैं.
4. यदि कोई 10वीं या 12वीं में अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर पाया है तो वो दुबारा NIOS में दाखिला लेकर और कुछ पैसे खर्च करके अच्छे अंक हासिल कर लेता है.
शिकायकर्ता ने आरोप लगाया है कि NIOS का डिग्री लेने के लिए छात्रों कहीं जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती, बल्कि शिक्षा माफिया 30-50 हज़ार रूपये लेकर मनचाही मार्कशीट छात्रों को उनके घर उपलबब्ध करा देते हैं. यह मार्कशीट भी असली होती है, क्योंकि परीक्षा की कॉपी छात्र नहीं बल्कि शिक्षा माफिया के लोग बैठकर लिखते हैं. शिकायतकर्ता ने अपने पीएम के नाम अपने शिकायत में चार कोचिंग सेन्टरों के नाम भी दिए हैं, जो इस कारोबार में अग्रणी हैं.
शिकायतकर्ता ने अपने इस शिकायत में NIOS में फैले भ्रष्टाचार के कई सबूत भी दिए गिनाए हैं. जैसे इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि –‘NIOS के भोपाल स्थित क्षेत्रीय केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. ए. के. शर्मा के स्वयं के पुत्र सिद्धार्थ शर्मा ने वर्ष 2010 में 1246872 रोल नम्बर के साथ CBSE से 12वीं की परीक्षा 67 प्रतिशत अंकों के साथ पास की. लेकिन फिर NIOS में सिद्धार्थ शर्मा ने साल 2011 में पुनः एकता हाई सेकेन्ड्री स्कूल, शिवपूरी में रोल नम्बर 100098103110 के साथ दाखिला लिया. जबकि सिद्धार्थ शर्मा का निवास भोपाल में है. एडमिशन फार्म NIOS के भोपाल स्थित क्षेत्रिय केन्द्र के कर्मचारी सीमा शर्मा द्वारा भरा गया. इस फार्म में पता भी भोपाल ही बताया गया. सिद्धार्थ शर्मा की किताबें, अकंसूची आदि भी भोपाल के पते पर ही भेजी गईं. लेकिन सिद्धार्थ ने परीक्षा शिवपूरी में दिया.’
शिकायतकर्ता का आरोप है कि –‘सिद्धार्थ शर्मा के परीक्षा में स्वयं उनकी माता रेखा शर्मा मूल्यांकनकर्ता थी. इस तरह से सिद्धार्थ ने अप्रैल 2011 की परीक्षा 90 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए. जो अपने आप में एक रिकोर्ड है. क्योंकि विश्व के इस सबसे बड़े ओपन स्कूल में आज तक कोई भी छात्र 90 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण नहीं हो सका है.’
भ्रष्टाचार का एक और सबूत नीचे के इस वीडियो में भी देखा जा सकता है :
ऐसे कई भ्रष्टाचार के सबूत हैं, जो किसी को भी हैरान कर देने के लिए काफी है. साथ ही इन भ्रष्टाचार के सबूतों की जांच होनी अत्यंत आवश्यक है.
हैरानी की बात यह है कि शिकायतकर्ता ने NIOS के परीक्षा में होने वाली धांधली के तमाम सबूत इस देश के तकरीबन तमाम जांच एजेन्सियों को भेज दिया है. यहां तक कि अपने शिकायत द्वारा इस देश के प्रधानमंत्री को भी अवगत करा दिया है. लेकिन बावजूद इसके मध्य प्रदेश में इस ‘धांधली का यह खेल’ बदस्तूर जारी है. धांधली करने वाले अधिकारी भी निश्चित हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इस प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान हैं. जब व्यापम जैसे मामले में किसी का कुछ बाल बांका नहीं हुआ तो इस मामले में भी कोई जांच नहीं होनी है.
मध्य प्रदेश का घोटालों के गढ़ में तब्दील होते जाना, इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि सिस्टम में कुछ न कुछ बड़ी गंभीर खामी ज़रूर है. शिक्षा के व्यावसायीकरण से कमाई और उगाही की यह तस्वीर बेहद ही डराने वाली है. एक ओर इस व्यवस्था के ज़रिए सफल होकर निकले युवकों के हाथ में जो ज़िम्मेदारियां होंगी, संदेह की घेरे में होंगी और दूसरी ओर असली योग्य युवक अवसरों के अभाव में कुंठा व निराशा में घुट कर जीने को मजबूर होंगे. यही मध्य प्रदेश का कड़वा सच है.