By TCN News
लखनऊ: भारत के कोनों-कोनों तक पहुंचकर राहत कार्य करने वाली अमरीका संस्था इन्डियन मुस्लिम रिलीफ एंड चैरीटीज़ यानी IMRC के सातवें सालाना स्वास्थ्य जागरूकता अभियान में इस साल अमरीका के १० चिकित्सक शिरकत करेंगे. 20 फरवरी से 6 मार्च तक होने वाला यह अभियान लखनऊ, हैदराबाद और केरल में आयोजित होगा.
इन दस डाक्टरों में महिला रोग, शिशु रोग, सर्जरी, जनरल मेडिसिन के साथ अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं.
अभियान से जुड़ी डा. फरीदा घोगावाला बातचीत में बताती हैं, 'इसके पहले ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए कोई मंच की तलाश में थी. उसके बाद मेरा संपर्क IMRC और संस्था के इस मुहिम से हुआ. मुझे पता चला कि संस्था भारत में ज़रूरतमंद लोगों के लिए किस तरह से काम कर रही है.'
वे आगे बताती हैं, 'अब मुझे चार साल हो गए हैं. इन चार सालों में मैंने असम, उत्तर प्रदेश और हैदराबाद में संस्था के साथ मिलकर अपने मक़सद को अंजाम दिया है.'
डा. जॉन रॉज़ेन्बर्ग का मानना है कि यह मुहिम ज़रुरतमंदों को जीवनदान और ज़रूरी स्वास्थ्य सुविधाएं दे रही है. वे कहते हैं,'ये कोई छोटा और आसान काम नहीं है. लेकिन हम लगे हुए हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मुक़म्मिल सुविधाएं पहुंचा सकें.'
लखनऊ के पास बाराबंकी रोड पर स्थित जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 20 फरवरी से 23 फरवरी तक लगाए जाने वाले कैम्प से इस अभियान की शुरुआत होगी.
लखनऊ के बाद हैदराबाद में ब्राईट फ्यूचर स्कूल(हसन नगर), इंडो-यूएस स्कूल(किशन बाग़), शाहीन नगर मरकाज़ और बाबा नगर इंडो-यूएस स्कूल में 26-29 फरवरी तक यह मेडिकल जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
इसके बाद केरल के कोझिकोड शहर के कूदारंजी, मुक्कम और कोडियाथूर गाँवों में 3 मार्च से लेकर 6 मार्च तक अभियान का अंतिम सत्र चलेगा.
IMRC की यह स्वास्थ्यसंबंधी पहल साल 2010 में शुरू हुई थी. तब से लेकर आजतक कम से कम छः बार इस मुहिम के दम पर IMRC ने भारत के गाँवों, बस्तियों और शहरों में घूम-घूमकर ज़रूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा दी है. इस अभियान की ख़ास बात यह है कि इस सालाना कार्यक्रम से लोगों और क्षेत्र के लोकल डॉक्टरों को स्वास्थ्य सेवाओं की बारीक और मौलिक जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही लोगों को हेल्थ केयर की मौलिक जानकारी से रूबरू कराया जाता है. बीते साल हैदराबाद, बीजापुर और बांगरपेट में मिलाकर लगभग दस हजार मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं दी गयी थीं.
संस्था के निदेशक मंज़ूर घोरी कहते हैं, 'इस मुहिम के बाद से हमें पता चला कि गरीबों को होने वाली कई असाध्य बीमारियां एकदम लाइलाज नहीं हैं. ये बीमारियां गरीबी, गन्दगी और लापरवाही से लाइलाज हो जाती थीं. थोड़ी जानकारी और सावधानी से उनका इलाज किया जा सकता है.'
IMRC के बारे में बात करें तो संस्था की नींव साल 1981 में रखी गयी थी. तब से लेकर आज तक अमरीका की यह चैरिटेबल संस्था अन्य लगभग 100 संस्थाओं के साथ मिलकर देश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कई किस्म के कार्यक्रम चला रही है. संस्था का उद्देश्य ज़रूरतमंद तबके को शिक्षा, आपातकालीन सेवाएं, स्वास्थ्य व न्यायसम्बंधी ज़रूरतें, खाना और छत की ज़रूरतें मुहैया कराना है. असम दंगे 2012, मुज़फ्फरनगर दंगे 2013, 2014 की कश्मीर बाढ़ और 2015 की चेन्नई बाढ़ के वक़्त संस्था ने घरों-घरों तक जाकर लोगों को ज़रूरी सेवाएं प्रदान की हैं. संस्था की लोगों से अपील है कि वे यदि भोजन या पैसों के रूप में IMRC को चन्दा देना चाहते हैं तो वे www.imrcusa.orgपर जाकर साथ निबाह सकते हैं.