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मुसलमानों की असल समस्या सियासी जागरूकता का अभाव - रिहाई मंच

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By TCN News

गोण्डा/लखनऊ:गोण्डा में रिहाई मंच के सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा है, 'आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाने की साज़िशें फिर से शुरू हो रही हैं. केंद्र और राज्यों की सरकारें इस फ़िराक में दिखाई दे रही हैं. इसी साजिश के तहत पिछले दिनों सम्भल से बेगुनाह नौजवानों को अलकायदा के नाम पर तो लखनऊ समेत देश के दूसरे हिस्सों से आईएस के नाम पर पकड़ा जा रहा है.'समाजवादी पार्टी के मुस्लिम नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए शुऐब ने कहा कि इन मंत्रियों का ऐसा चेहरा शर्मनाक है. जरूरी है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए इन्साफपसंद अवाम संगठित हो.


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जुबैर खान का कहना है कि इंसाफ के बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता. रिहाई मंच इंसाफ के लिए संघर्ष करते हुए लोकतंत्र को बचाने का काम कर रहा है. यह आंदोलन जितना व्यापक होगा लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा.

शोधछात्र अनिल यादव को मुज़फ्फरनगर के संघ कार्यालय में बंदी बनाने और उन्हें प्रताड़ित करने के सवाल पर यह बात सामने आ रही है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने कथित घिनौने विचारों को छुपाने के लिए छात्रों तक को प्रताड़ित करने पर उतारू हो गया है.

मंच के ही नेता शकील कुरैशी ने कहा कि इस देश व प्रदेश में अब तक की तमाम सरकारों ने मुसलमानों को कुछ दिया तो नहीं उलटा जीवित रहने के मौलिक अधिकारों को भी उनसे छीनने का प्रयास कर रही हैं. सरकार चाहे जिसकी हो, कभी सांप्रदायिक हिंसा के बहाने तो कभी आतंकवाद के बहाने मुसलमानों का उत्पीड़न जारी है. एक षडयंत्र के तहत मुसलमानों की इस हालत के लिए उनकी अशिक्षा और बेरोजगारी को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है, जबकि इस समस्या की असल वजह मुसलमानों में सियासी जागरुकता का न होना है. अल्पसंख्यकों में सियासी जागरुकता लाकर लोकतंत्र को मजबूत करने के आंदोलन का नाम रिहाई मंच है.

इंसाफ अभियान के महासचिव और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता दिनेश चौधरी ने कहा, 'इस दौर में सबसे ज्यादा हमले दलितों और मुसलमानों पर हैं. लेकिन ब्राहमणवाद के खिलाफ नारा लगाने वाली पार्टी जहां उसी सवर्णवादी एजेण्डे को लागू कर रही है तो वहीं साप्रदायिकता से लड़ने के नाम पर मुसलमानों को वोट बटोरकर सत्ता में आई सपा ने अपने कार्यकाल में यूपी में दंगाईयों को खुली छूट देकर सबसे ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिलाया.'

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि खुफिया एजेंसियों के सांप्रदायिक खेल को मुस्लिम समाज अब धीरे-धीरे समझने लगा है और अब वह डरने के बजाय लड़ने के लिए तैयार हो रहा है. रिहाई मंच की अपील है कि भविष्य की राजनीति को बदलने और बदलाव की बयार को और संगठित करने के लिए आमजन अपने यहां रिहाई मंच की कमेटियों को कायम करें.


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