Quantcast
Channel: TwoCircles.net - हिन्दी
Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

सबको राहत, बेगुनाह आमिर को क्यों नहीं?

$
0
0

Afroz Alam Sahil, TwoCircles.net

नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ें बताते हैं कि देश के विभिन्न जेलों में साल 2014 में 938 क़ैदियों को जेल से रिहाई के बाद आर्थिक मदद दी गई है. वहीं 2196 क़ैदियों को पुनर्वासित किया गया. इसके अलावा साल 2014 में 79121 क़ैदियों को लीगल एड भी हासिल कराया गया है.

वहीं आंकड़ें यह भी बताते हैं कि 2013 में भी 1911 क़ैदियों को जेल से रिहाई के बाद आर्थिक मिली. 1883 क़ैदियों को पुनर्वासित किया गया और 67386 क़ैदियों को लीगल एड भी हासिल कराया गया.

लेकिन 14 सालों तक जेल में अंडरट्रायल रहने वाला मो. आमिर ख़ान की कहानी कुछ अलग है. वो इन दिनों अपने मुवाअज़े व पुनर्वास की लड़ाई लड़ रहे हैं. इसके लिए वो देश के तमाम अहम नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी मुलाक़ात कर चुके हैं. लेकिन अभी तक उन्हें कोई मदद सरकार की ओर से नहीं मिली है.

आमिर के इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मार्च 2014 में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया था. आयोग ने मार्च 2014 में ही केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर चार हफ्तों में जवाब मांगा था. और अब 5 दिसम्बर को दिल्ली सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि आतंकवाद के आरोपों से बरी हुए बेगुनाह मो. आमिर को 5 लाख की आर्थिक मदद क्यों न दिया जाए? दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के पास इस नोटिस का जवाब देने के लिए 6 हफ्ते हैं, जो इसी महीने के 20 जनवरी को पूरे हो जाएंगे.

Mohd. Aamir Khan

दिल्ली सरकार के प्रवक्ता अरूणोदय प्रकाश का कहना है कि –‘मुझे इस संबंध में अभी जानकारी नहीं है. देखना होगा कि पत्र किस विभाग या मंत्रालय को आया है.’

इस संबंध में हमने दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेकेट्री एस.एन. सहाय से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी.

आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान कहते हैं, –‘जिस आमिर के ज़िन्दगी अहम साल जेल में ख़त्म हो गए हों. जिसका पूरा घर बर्बाद हो गया हो,क्या उसकी भरपाई 5 लाख के मुआवज़े से हो सकती है? सरकार को मुवाअज़े के साथ-साथ सरकारी नौकरी भी देनी चाहिए. मैं इस मामले में आमिर के साथ हूं और हक़ के लिए लड़ता रहूंगा.’

लेकिन दिल्ली सरकार को मिले नोटिस के बारे में उनका कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.

अमानतुल्लाह खान आमिर के मामले को विधानसभा में भी उठा चुके हैं.

तिहाड़ जेल के उप-महानिरक्षक (DIG) मुकेश प्रसाद का कहना है कि –‘सरकार के सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की पॉलिसी की तहत जेल से रिहा होने वाले क़ैदियों को आर्थिक मदद दी जाती है, ताकि वो जेल के बाहर एक सम्मानित ज़िन्दगी जी सके. अपना घर-परिवार चला सके.’

वहीं आमिर का कहना है –‘जब हमारे देश में किसी चरमपंथी या माओवादी को सरेंडर करने पर सरकार उनके पुनर्वास की बात करती है, तो मुझ जैसे बेगुनाहों को जिन्हें 14 साल तक अपने बेगुनाही की सज़ा काटनी पड़ी हो, को पुनर्वास के लिए सरकार मदद क्यों नहीं करती? जबकि जेल में हमारा आचरण भी प्रशंसनीय रहा. यह बात मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि खुद जेल प्रशासन मेरे आचरण प्रमाण पत्र में कह रही है, जिसे हमने सूचना के अधिकार से हासिल किया है.’

स्पष्ट रहे कि पुरानी दिल्ली के मो. आमिर को 27 फ़रवरी 1998 को गिरफ़्तार किया गया था और आतंकवाद के आरोप लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया था. आमिर ग़िरफ़्तारी के वक़्त 18 साल के थे और 14 साल बाद जब वो जेल से रिहा हुए तो उनकी लगभग आधी उम्र बीत चुकी है. दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई अदालतों ने उन्हें आतंकवाद के आरोपों से बरी किया है.

इस समय मो. आमिर आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक जुझारू मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और साथ ही अपने ज़िन्दगी के जंग को जीतने का संघर्ष कर रहे हैं.

उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार उन्हें आर्थिक मदद के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित नौकरी भी ज़रूर देगी ताकि वो देश में अब सम्मानित नागरिक की हैसियत से ज़िन्दगी गुज़ार सकें. हालांकि आमिर का मानना है कि कोई भी पैसा उनके उन 14 सालों को नहीं लौटा सकतें.

क्या कहते हैं नियम :

गृह मंत्रालय के नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक़ अलग-अलग राज्यों में आर्थिक मदद या क़ैदियों के पुनर्वासन के अलग-अलग नियम हैं. दिल्ली में 6 महीने से 5 साल तक जेल में रहने वाले क़ैदी को पुनर्वासन के नाम पर 30 हज़ार रूपये की आर्थिक मदद की जाती है. वहीं 5 से 10 साल तक जेल में रहने वाले को 40 हज़ार और 10 साल से उपर रहने वालों को 50 हज़ार रूपये की मदद दी जाती है.

इसके लिए दिल्ली का नागरिक होना ज़रूरी है. साथ ही जेल के अंदर आचरण भी सही पाया गया हो. परिवार की आमदनी तमाम स्त्रोतों को मिलाकर एक लाख से नीचे हो.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

Trending Articles