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नया हिंदुत्ववादी एजेंडा – इस्लाम के साथ लड़ाई इतिहास की सबसे लम्बी लड़ाई होगी

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By मो. रेयाज़, TwoCircles.net,

नई दिल्ली: दिल्ली में हाल ही में संपन्न हुए विश्व हिन्दू कांग्रेस में निकलकर आई जिस रोचक बात ने भिन्न-भिन्न समुदायों का ध्यानाकर्षण किया है, वह है हिन्दू समाज के खतरे के लिए जिम्मेदार कारक.. इस कांग्रेस के दौरान लोगों को बांटे गए पर्चे से यह बात सामने निकल आ रही है कि हिन्दू समाज को पाँच ‘M’ से ख़तरा है. इन पांच M का मतलब भी साफ़ है; मार्क्सवाद, मैकालेवाद, मिशनरी, मैटेरियलिज्म और मुस्लिम अतिवाद.

यह बातें उक्त कांग्रेस के अवसर पर बांटे गए पर्चों में लिखी हैं. साथ ही साथ इन पर्चों में यह भी बताने की एकतरफा कोशिश की गयी है कि क्यों यह पांच कारक हिन्दू समाज के लिए खतरे की भांति कार्य कर रहे हैं. ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम के प्रायोजकों में देश के कई अग्रणी व्यापारी समुदायशामिल थे.

यह विवादास्पद पर्चा TCN को उन पत्रकारों द्वारा मिला, जो यह कार्यक्रम की कवरेज में व्यस्त थे. दिनांक 21 से 23 नवंबर तक चले इस कांग्रेस में इस पर्चे को बांटा गया. रोचक बात यह है कि इस पर्चे के ऊपर एक दानवी पंजानुमा चिन्ह बना है, जिसकी व्याख्या करते हुए पर्चे में कहा गया है कि यह पांच ‘M’ मायासुर दानव के पंजे की पांच उँगलियों के समान हैं. और इस दानव का सिर्फ़ एक ही ध्येय है, धर्म के पैर काट देना.

पर्चे में आगे कहा जा रहा है कि ‘कभी इस दानव के पंजा हिन्दू समुदाय पर कभी गुरिल्ला के रूप में हमला करता है तो कभी जिहादी के रूप में. और जब यह दो उंगलियां अपना काम करने में व्यस्त होती हैं, तो अन्य उंगलियां सांस्कृतिक मोर्चे पर ‘किस ऑफ़ लव’ सरीखे प्रहार करती हैं.’

सभी कारकों पर बारी-बारी आते हुए संक्षिप्त और एकतरफा चर्चा का माहौल पर्चे में बनाया गया है. मार्क्सवाद के बारे में कठोर टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि ‘यह पंजे के अंगूठे की तरह है, जिसने कई तरीके की नामाकूल(जिसकी जगह पर्चे में गाली का इस्तेमाल किया गया है) औलादों – जैसे, साम्यवादी, समाजवादी, लिबरल, माओवादी, अराजकतावादी और वामपंथ के कई रूपों – को जन्म दिया है. वामपंथियों का लक्ष्य सिर्फ़ संस्थानों पर कब्जे जमाने का है, जहां से वे अपने खतरनाक मंसूबों को जन्म दे सकें.’

वामपंथी एजेंडे के हिन्दुत्ववादी स्वरूप के साथ आगे बढ़ते हुए पर्चे में लिखा गया है कि ‘चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, पत्रकारिता हो या कोई भी अन्य क्षेत्र, हर क्षेत्र में वामपंथियों ने घुसपैठ की और अपना कब्ज़ा जमा लिया. वामपंथी समाज का सिर्फ़ एक ही काम है, हिन्दू समाज की हरेक मोर्चे पर धुलाई करना और प्रकारांतर से यह साबित करना कि मुसलमान सेकुलर है, जबकि हिन्दू साम्प्रदायिक.’

इसके बाद मैकाले की नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए पर्चे में लिखा गया है कि ‘देश में जो कुछ भी हुआ, वह पश्चिमी देशों को खुश करने के लिए हुआ. शिक्षा, आर्थिक मॉडल, संविधान का स्वरूप, हरेक वर्ग का इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सुविधाएं और बाकी सभी कुछ पश्चिम देशों में हो रही चीज़ों की कार्बन कॉपी है. देश में इस तरीके के बदलावों का सबसे बड़ा नुकसान हिंदुत्व को हुआ क्योंकि हिन्दू संस्कृति, इतिहास, समाज और अध्यात्म को पश्चिम के साथ तराजू में रख नकार दिया गया.’

ईसाई समुदाय के बढ़ते प्रभुत्व और शिक्षा व रहन-सहन पर प्रश्नांकन करते हुए पर्चे में कहा गया है कि ‘ईसाई एशिया के मुस्लिम व वामपंथी देशों में दिल जीतने की कोशिश में लगे हुए हैं. साथ ही साथ धर्म परिवर्तन कराके वे अपनी संख्या भी बढ़ा रहे हैं, जिसके लिए हिन्दू राष्ट्र उनका सबसे मुफ़ीद ठिकाना है.’

पर्चे में आगे लिखा गया है कि ‘अंग्रेज़ी माध्यम की शिक्षा, फैशन के नित नए तरीकों, टेलीविज़न और फ़िल्मों ने लोगों को खुद के समाज के खिलाफ़ ही लाकर खड़ा कर दिया है. ये चीज़ें युवा पीढ़ी को स्वार्थ, अहंकार, दंभ और अपनी संस्कृति के प्रति घृणा से भर दे रही हैं. समलैंगिकता, पैसे की होड़ और अन्य दूसरी चीज़ें इसी पद्धति का नतीज़ा हैं.’

इस्लाम पर आते हुए पर्चे की भाषा फ़िर से उसी स्वर में चली जाती है, जहां वह मार्क्सवाद पर बात करते वक्त थी. पर्चे में कहा गया है कि ‘इस्लाम का मकसद मुस्लिमों का ब्रेनवाश कर, उन्हें ब्लैकमेल कर, डरा-धमकाकर उन्हें जिहादी बनाना है. दूसरे अर्थों में इस्लाम का मकसद है कि हिन्दू समाज को रास्ते से हटा देना ताकिइस्लामी ताकतों की कदमताल का रास्ता और पुख्ता हो सके. सारे मंचों का उपयोग हिन्दू राष्ट्रवाद के एजेंडे को दबाने के लिए किया जा रहा है. इसके लिए इस्लाम भारत के सर्वधर्म प्रभुता की छवि का दोहन कर रहा है. इस्लाम के साथ लड़ाई इतिहास की सबसे लम्बी लड़ाई होगी.’

इन पर्चों और इन पर लिखी बातों का समाज पर क्या असर होगा, इसका अंदाज़ लगा पाना अभी मुमकिन नहीं है. भाजपा के शीर्ष नेताओं, विश्व हिन्दू परिषद् और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष पदाधिकारियों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ था, जिसके स्वागत भाषण में अशोक सिंघल ने कहा था कि पृथ्वीराज चौहान के लगभग ८०० साल बाद स्वाभिमानी हिन्दू ने सत्ता में वापसी की है.




(अनुवाद: सिद्धान्त मोहन)

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