By TwoCircles.net staff reporter,
वाराणसी: मानवाधिकार जननिगरानी समिति, जनमित्र न्यास, व डेनिश इंस्टिट्यूट अगेंस्ट टॉर्चर(डिग्निटी) के संयुक्त तत्वावधान में न्यायमूर्ति स्व. रंगनाथ मिश्रा की स्मृति में एक द्विवर्षीय अभियान ‘उत्पीड़न के खिलाफ़ संगीतकार’ की शुरुआत वाराणसी से की गयी.
कार्यक्रम के प्रवेशसत्र की शुरुआत हाल में ही गुज़री बनारस घराने की मशहूर नृत्यांगना सितारा देवी को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई. इसके बाद बनारस के गाँव में बालविवाह के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रही और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने वाली दो लड़कियों यास्मीन और नंदिनी को सम्मानित कर उनके अवदानों से लोगों को परिचित कराया गया.
अभियान का आगाज़ करते बनारस घराने के विकास महाराज, प्रभाष महाराज व अभिषेक महाराज
इस कार्यक्रम की रूपरेखा पर बात करते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा, ‘हमारा प्रश्न साफ़ है कि क्या हम अहिंसा पर आधारित समाज के रचना कर सकते हैं? घृणा से घृणा को कौन खत्म कर पाया है? इसके लिए भारत, अफ़गानिस्तान, अमरीका, इराक़ और इस जैसे कई उदाहरण हमारे सामने पड़े हैं. कहीं सफलता नहीं मिली. फाशीवाद, दक्षिणपंथ और बेबुनियादी हिंसा के खिलाफ़ लड़ाई के लिए ज़रूरी सकारात्मक बल कला व संगीत के अलावा कहीं नहीं मिल सकता है.”
संगीत की ही आवश्यकता और कार्यक्रम के भविष्य को प्रकाशित करते हुए डॉ. लेनिन ने कहा, ‘हमें एक बैलेंस की ज़रूरत है. किसी भी बायस्नेस से लड़ाई मुमकिन नहीं है. अपने सामाजिक बैलेंस को बरकरार रखते हुए ही हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अल-क़ायदा, आईएसआईएस, अमरीकी ताकतों और बाक़ी सभी कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ़ लड़ सकते हैं. इस लड़ाई में हमें संगीत ही वह आधार दे सकता है, जिसकी हमें ज़रूरत है. हर समाज में गलतियां हुई हैं, उन गलतियों के समर्थन और विरोध में हिंसा हुई है. हमें हिंसा का प्रचार रोकना है और इस नए बदलाव के लिए संगीत बेहद ज़रूरी है. अगले दो सालों में इस कार्यक्रम को पचास-साठ शहरों में ले जाने की हमारी योजना है.’
यास्मीन और नंदिनी को सम्मानित करते मानवाधिकार संगठनों के सदस्य
बनारस घराने के प्रसिद्ध सरोद वादक और यश भारती सम्मान से सम्मानित विकास महाराज और उनके पुत्रों प्रभाष महाराज और अभिषेक महाराज की तिकड़ी ने इस लम्बी लड़ाई में संगीत की महत्ता को बताया, फ़िर अपने सरोद-सितार की संगत से जो सन्देश देना चाहा, वह लगभग साफ़ और सफल होता दिखा.
अनुपस्थित होने में नाकाम रहे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश अमर शरण ने इस आयोजन के लिए सभी संस्थाओं को शुभकामनाएं दी.
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