Quantcast
Channel: TwoCircles.net - हिन्दी
Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

विहिप अयोध्या साज़िश के ख़िलाफ़ ‘चिश्ती सद्भावना यात्रा’

$
0
0

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

हिन्दू संतों के भीतर से ही सामाजिक सौहार्द और समरसता की आवाज़ें उभर कर सामने आ रही हैं. एक तरफ़ जहां अयोध्या में कुछ हिन्दुत्ववादी संगठन पत्थर तराशने और राम मंदिर का निर्माण करवाने का ऐलान करके माहौल ख़राब करने की कोशिश में लगे हुए हैं, वहीं अयोध्या की ज़मीन से जुड़े कुछ लोग ‘चिश्ती सद्भवना यात्रा’ निकाल कर इस मुल्क को अयोध्या की सांझी विरासत से रूबरू कराने में जुटे हुए हैं.

IMG_4757

अयोध्या की फ़िज़ाओं में नफ़रत का घोलने वालों के ख़िलाफ़ आपसी सौहार्द का पैग़ाम लेकर अयोध्या के ही महंत युगल किशोर शास्त्री खुलकर सामने आए हैं. वो इन दिनों 22 दिसंबर से 27 दिसंबर तक ‘चिश्ती सद्भावना यात्रा’ पर थे. 636 किलोमीटर का सफ़र तय करके शास्त्री कल दिल्ली पहुंचे. ये उनकी 24वीं यात्रा थी.

इस यात्रा की समाप्ती पर आज 28 दिसम्बर को दिल्ली के वूमेन प्रेस क्लब में समाजसेवी शबनम हाशमी, अपूर्वानंद व जॉन दयाल द्वारा युगल किशोर शास्त्री व उनकी टीम का अभिनन्दन करते हुए उनके कामों की सराहना की.

उसके बाद एक प्रेस वार्ता के ज़रिए अपनी बातों को लोगों के सामने रखा. युगल किशोर शास्त्री ने भी अपनी बातों को खुलकर सबके रखा और कहा कि यह उनकी 24वीं यात्रा है. इसके बाद भी वो पूरे मुल्क में साम्प्रदायिक ताक़तों के ख़िलाफ़ जन-चेतना यात्रा की लौ जलाए रखेंगे और विभाजनकारी ताक़तों से लोगों को आगाह करते रहेंगे.

युगल किशोर शास्त्री यहां मौजूद लोगों को अपने यात्रा और अपने जीवन के कई घटनाओं से रूबरू कराया. उन्होंने बताया कि फ़ैज़ाबाद में एक प्रेस क्लब का संस्थापक हूं. लेकिन जब स्थापना के कुछ ही दिनों के बाद वहां भगवान का पोस्टर देखा तो इस्तीफ़ा दे दिया. उनका कहना था –‘प्रेस न तो हिन्दू होता है, और न मुसलमान तो फिर प्रेस क्लब में भगवान की मूर्ती या फोटो क्यों?’

उन्होंने कहा कि –‘अयोध्या में बाबरी मस्जिद था, इससे किसी को इंकार नहीं होना चाहिए. इसको गिराने वालों का नारा भी सबको याद होगा –‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो.’ यानी वो मस्जिद को ही गिराने की बात कर रहे थे.’ उन्होंने अपने सुझाव के तौर पर कहा कि –‘अयोध्या में न मस्जिद बने, ना मंदिर, बल्कि विवादित जगह को राष्ट्रीय पवित्र धरोहर घोषित किया जाए. और उसके आस-पास की घेराबंदी करके अस्पताल का निर्माण किया जाए.’

जॉन दयाल ने कहा कि –‘ये पत्थर बड़ी ख़तरनाक चीज़ है. इससे एक तरफ़ बड़े-बड़े घर बनते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ लोगों के घरों व अरमानों को भी तोड़ जाते हैं.’

वहीं अपूर्वानंद ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि –‘दुर्भाग्य से हमने ज़्यादातर यात्राएं देश को तोड़ने वाली ही देखी हैं, लेकिन शास्त्री जी की ये 24वीं यात्रा देश को जोड़ने वाली साबित होगी.’

अपूर्वानंद ने स्पष्ट तौर कहा कि –‘हम उसे विवादित जगह नहीं मानते. बल्कि 1949 में वहां मूर्ति रखकर उसे विवादित बनाया गया. ऐसे में हमारी तरफ़ से ऐसा कोई पैग़ाम नहीं जाना चाहिए कि वहां सर्व-धर्म स्मारक बने, बल्कि वो मस्जिद थी. मस्जिद हर मुहल्ले में होती है. इसका समाधान स्थानीय लोग करें.’

दरअसल, युगल किशोर शास्त्री इकलौती ऐसी आवाज़ नहीं हैं. और भी कई आवाज़ें हैं, जो मुल्क के अलग-अलग हिस्सों में साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए जी-जान से जुटी हुई हैं. ज़रूरत इनको समय रहते पहचानने का है और इनकी आवाज़ को घर-घर तक ले जाने का है.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 597

Trending Articles