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सम्भल को बदनाम करने की साज़िश बर्दाश्त नहीं की जाएगी –शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़

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By अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

सम्भल:कथित ‘अलक़ायदा आतंकी’ की गिरफ़्तारी के बाद चर्चा में आए उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले के स्थानीय लोग सकते में हैं. TwoCircles.net ने कई बार सांसद रहे यहां के कद्दावर नेता डॉ. शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ से बातचीत की और जाना कि वे क्या सोचते हैं.


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डॉ. बर्क़ का कहना है, ‘इस तरह का झूठा इल्ज़ाम लगाकर हमारी बस्ती को, हमारे शहर को, हमारे सम्भल को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. इसको बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगे, हर कुर्बानी देंगे क्योंकि यह हमारे साथ नाइंसाफ़ी है. यह संभल को बदनाम करने की कोशिश है. यहां पूरा शहर एक साथ है. सब मिलकर जद्दोजहद करेंगे.’

डॉ. बर्क़ का स्पष्ट तौर पर कहना है, ‘पहले आज़मगढ़, मालेगांव... यानी जहां-जहां मुस्लिम बहुल इलाक़े हैं, उन्हें किसी न किसी तरह से टारगेट किया जाता रहा है. लेकिन जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, ये चीज़ें और बढ़ती जा रही हैं. उनका मक़सद तो यह है कि देश के हालात बिगाड़ें, हर जगह झगड़ा-फ़साद कराएं. ‘सबका साथ –सबका विकास’ कहने की बात है, उस पर कोई अमल नहीं है. कथनी व करनी में फ़र्क़ पूरा देश देख रहा है.’


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डॉ. बर्क़ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस गिरफ़्तारी को राजनीति से प्रेरित क़दम मानते हुए बताते हैं, ‘यह पॉलिटिकली मोटिवेटेड क़दम है. इलेक्शन के फ़ायदे को ध्यान में रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है, ताकि यहां का वोटर डरा रहे और अपने वोटों का सही इस्तेमाल न कर सके.’ हालांकि डॉ. बर्क़ का यह भी कहना है कि हिन्दुस्तान की इतनी बड़ी आबादी में, किसी शहर में कोई आदमी ग़लत हो सकता है. मगर इसका मतलब यह थोड़े ही ना है कि पूरी आबादी को बदनाम करें, उन्हें प्रताड़ित करे. वे कहते हैं, 'ईमानदारी से जांच कीजिए. अगर ग़लत है तो क़ानून के मुताबिक़ उसे सज़ा दें. लेकिन किसी के साथ महज़ शक की बुनियाद पर आप ज़्यादती करेंगे तो हम इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे. चाहे इसके लिए हमें सड़कों पर आना पड़ा. चाहे हमें कुछ भी करना पड़े.’

डॉ. बर्क़ इस मामले में जल्दी ही पीएम मोदी व गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात करेंगे.

अलक़ायदा’ पर चुटकी लेते हुए डॉ. बर्क़ कहते हैं, ‘आसिफ़ जैसा गरीब आदमी जो अपने बच्चों का पेट तक नहीं पाल पा रहा है, ‘अलक़ायदा’ का चीफ़ हो सकता है? तो फिर ‘अलक़ायदा’ क्या है?’

डॉ. बर्क़ का कहना है, ‘यह देश मुसलमानों का भी है. क्या हमने इस देश की आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ी है? क्या हमने कुर्बानियां नहीं दी हैं? फांसी के फंदे को नहीं चूमा है? अगर मुसलमान साथ न होता तो क्या ये मुल्क आज़ाद हो पाता? हम वफ़ादार थे और वफ़ादार रहेंगे.’

वे आगे सवालिया अंदाज़ में पूछते हैं, ‘इस देश में गांधी का क़त्ल किसने किया? इंदिरा गांधी व राजीव गांधी को किसने मारा? क्या वे हिन्दू नहीं थे? जिन्होंने देश के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को पाकिस्तान से बेच डाला वो हमने सर्टिफिकेट मांगेगे? क्या वीर अब्दुल हमीद उन्हें याद नहीं? क्या ब्रिगेडियर उस्मान ने अपनी जान देकर कश्मीर को नहीं बचाया? मैं आपको बता दूं कि अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जिहाद का सबसे पहला फ़तवा मौलाना फ़ज़ले खैराबादी ने दिया. भारत में 40 करोड़ मुसलमान हैं. क्या इनको साथ लिए बग़ैर ये मुल्क चल सकता है?’

स्पष्ट रहे हैं कि 85 साल के डॉ. शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ संभल सीट से चार बार (1974, 1977, 1985, और 1989) उत्तर प्रदेश विधानसभा के विधायक रह चुके हैं. 1990-91 में वो यूपी के कैबिनेट मंत्री थे. उसके बाद 11वीं, 12वीं, 14वीं व 15वीं लोकसभा चुनाव में इस ज़िला से जीत दर्ज करके सांसद भी बने. डॉ. बर्क़ भी संभल के दीपासराय इलाक़े में रहते हैं.








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