By अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नई दिल्ली:हिंदी के प्रमुख अख़बार दैनिक भास्कर के कई संस्करणों में प्रकाशित एक ख़बर का सोशल मीडिया पर कड़ा विरोध हो रहा है. इस ख़बर में एक मुस्लिम परिवार के छत पर ईद मिलादुन्नबी के मौक़े से फहराए गए इस्लामिक झंडे को पाकिस्तान का झंडा बताया गया है.
मुस्लिम समुदाय के स्थानीय लोगों ने भी अख़बार का विरोध किया है और स्थानीय ज़िलाधिकारी को अख़बार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए ज्ञापन भी सौंपा है. वहीं जयपुर में भी इसका विरोध हुआ है और वहां के आईजी को भी ज्ञापन सौंपा गया है.
दरअसल, यह कहानी राजस्थान के दौसा की है, जहां हलवाई बाज़ार में एक मुस्लिम परिवार के घर पर इस्लामिक झंडा लगाया गया था. लेकिन दैनिक भास्कर ने इस झंडे को पाकिस्तानी झंडा क़रार देते यह ख़बर प्रकाशित की थी ‘हलवाई बाज़ार में एक घर की छत पर पाक का झंडा लहरा रहा है. पाक का झंडा कब लहराया, इस बारे में किसी को स्पष्ट पता नहीं है. आस-पास के लोगों से पूछताछ में पता चला कि पाक का झंडा 2 दिन से देख रहे हैं. पाक झंडा जिस घर की छत पर लहरा रहा है, वह अब्दुल खलील का है. हालांकि उस घर में 3-4 परिवार रहते हैं.’
ख़बर में आगे प्रशासन व खुफिया एजेंसी पर सवाल उठाते हुए यह भी लिखा गया है, ‘पाक के झंडे में स्पष्ट तौर पर चांद-तारा बने हैं. खुलेआम एक घर की छत पर पाक का झंडा लगाना यह प्रशासन की बड़ी नाकामी है. प्रशासन कई दिन से मुख्यमंत्री के संभावित दौरे को देखते हुए तैयारी में जुटा है, लेकिन शहर में देशद्रोही गतिविधि से अनभिज्ञ है. यह खुफिया एजेंसी की बड़ी चूक है. दो दिन से सीआईडी सीबी के लोगों को पाक झंडे लहराने की कानोंकान ख़बर ही नहीं लगी. पुलिस प्रशासन भी नाकाम रहा है. नीलकंठ पर पुलिस चौकी बनी है. चौकी में तैनात पुलिसकर्मी हलवाई बाजार के रास्ते से आते-जाते हैं, लेकिन किसी ने भी इस बारे में नहीं टोका कि पाक का झंडा क्यों लगा है.’
इतना ही नहीं, भास्कर के रिपोर्टर ने स्थानीय एसपी का बयान भी लिया है और अपने बयान में एसपी योगेश झंडा लगाने वालों से सख्ती से निपटने की बात भी कर रहे हैं. ख़बर में स्पष्ट तौर पर लिखा है ‘एसपी योगेश यादव का कहना है कि मकान पर पाकिस्तान का झंडा लगाना गंभीर मामला है. इस मामले में शीघ्र कार्रवाई की जा रही है. पुलिस पाक का झंडा लगाने वालों से सख्ती से निबटेगी.’
यानी यह ख़बर लिखते समय अख़बार के रिपोर्टर ने यह तक बता दिया है कि घर में कितने मुस्लिम परिवार रहते हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस अख़बार का यह रिपोर्टर या फिर संपादक, जिस पर कि प्रत्येक ख़बर की सत्यता की पुष्टि करने की ज़िम्मेदारी होती है, ह भी फ़र्क़ नहीं कर सके कि जो झंडा लगा है वो इस्लामी है ना कि पाकिस्तानी. और उससे भी हैरानी की बात यह है कि स्थानीय एसपी ने भी बयान देने से पहले उस पाकिस्तानी झंडे को देखना मुनासिब नहीं समझा, जो ख़बर लिखे जाने के बाद भी लगा रहा. जबकि अब उन्हीं की प्रशासन उस झंडे को ईद मिलादुन्नबी का झंडा बता रही है.
हिंदी के प्रमुख अखबार की इस गैर-जिम्मेदाराना हरक़त का सोशल मीडिया और समाज में कड़ा विरोध हो रहा है. सोशल मीडिया पर इस खबर के विरोध में मुहिम चलाई गयी है. मीडिया के जानकारों का कहना है कि दैनिक भास्कर 'हिट्स'बटोरने के लिए इस तरीके की हरक़तें करता रहता है, साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता यह कह रहे हैं कि धंधा चलाने के लिए अखबार साम्प्रदायिक सौहार्द्र को भी चूल्हे में झोंकने की तैयारी में हैं.
हालांकि देश में यह पहला मामला नहीं है. इससे पूर्व भी बिहार में चुनाव के दौरान मुहर्रम के मौक़े पर लगाए गए इस्लामी झंडे को पाकिस्तानी झंडा बताकर पुलिस-प्रशासन के बयान के आधार पर वहां के स्थानीय मीडिया ने काफी प्रमुखता से ख़बर प्रकाशित की थी. इस ख़बर को दिखाकर एक खास पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लोगों के दिलों में साम्प्रदायिकता का खूब ज़हर घोला था. जिसका फ़ायदा उस खास पार्टी चुनाव को नतीजों में भी मिला. जहां बीजेपी का बिहार के कई ज़िलों में खाता भी नहीं खुला, वहीं चम्पारण में वो 13 सीटों पर जीतने में कामयाब रही है. TwoCircles.net ने इस सच्चाई को उसी समय रिपोर्ट किया था. उस ख़बर को आप यहां नीचे पढ़ सकते हैं.
Related:
मोतिहारी के साम्प्रदायिक सौहार्द्र से खेलते मीडिया व पुलिस