By अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नई दिल्ली:बिहार के चुनाव के बाद अब ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) ने उत्तर प्रदेश के उप-विधानसभा चुनावों में दांव खेलने की पूरी तैयारी कर ली है. लेकिन इस बार यह दांव काफ़ी सधा हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि इस बार ओवैसी की पार्टी ‘जय मीम –जय भीम’ के नारे के साथ उतरने की तैयारी में है.
पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आगामी कुछ ही महीनों में यूपी की तीन सीटों पर होने वाले उप-विधानसभा चुनाव में मजलिस तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
इन तीन विधानसभा सीटों में से दो सीट पर मजलिस दलित उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. यानी मुस्लिम के साथ-साथ दलित वोट-बैंक को साथ लेकर एक बेहद ही मज़बूत समीकरण बनाने की कोशिश ओवैसी इस चुनाव में करने की सोच रहे हैं.
ओवैसी का यह दांव इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी(बसपा) किसी भी उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती है. ऐसे में मायावती के चुनावी संग्राम में न उतरने की सूरत में बसपा का एक बड़ा वोट-बैंक ओवैसी के पाले में जा सकता है. साथ ही यूपी का मुसलमान तबक़ा मुलायम के समाजवादी पार्टी से काफ़ी नाराज़ दिख रहा है, ऐसे में मुस्लिम वोट-बैंक का भी एक बड़ा हिस्सा ओवैसी के साथ जा सकता है. ऐसे में अगर सचमूच ऐसा हो गया तो यूपी में यह एक नये राजनीतिक समीकरण का बुनियाद साबित हो सकता है.
मजलिस के उत्तर प्रदेश प्रभारी मो. यामीन खान TwoCircles.net से बातचीत में बताते हैं, ‘पार्टी ने यह तय कर लिया है कि इस उप-विधानसभा चुनाव में तीनों सीटों पर लड़ना है. उम्मीदवारों के नामों का चयन भी तय कर लिया गया है. लेकिन उम्मीदवारों के नाम पर आख़िरी मुहर तो पार्टी के मुखिया बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ही लगाएंगे.’
2017 में मायावती के साथ गठबंधन के बारे में पूछने पर वो बताते हैं कि पार्टी ने तो आज तक गठबंधन का कोई ऐलान किया ही नहीं है. किसी पार्टी से गठबंधन होगा या अकेले ही चुनाव लड़ेंगे, यह तो पार्टी का मुखिया तय करेगा.’
स्पष्ट रहे कि यूपी के तीन विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की मौत के कारण यह सीट खाली हुई है. तीनों सीटों पर पहले से सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का क़ब्ज़ा था और इस बार पार्टी अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करके मैदान में ओवैसी से पहले ही कूद चुकी है.
चुनाव की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि चुनाव आयोग अगले तीन-चार महीनों में यह चुनाव करा सकती है. इन तीन सीटों में मुज़फ़्फ़रनगर, देवबंद और बीकापुर विधानसभा का नाम शामिल है.
दरअसल, यूपी की चुनावी बिसात में यह ओवैसी के पार्टी का आगाज़ है. लेकिन दलित-मुस्लिम का यह गठजोड़ अगर ओवैसी के फेवर में गया तो आगे 2017 की पटकथा बेहद ही आसान होगी. ओवैसी को इस प्रयोग से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि यूपी की जनता ओवैसी का कितना साथ देती है.