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अल्पसंख्यक को कभी एहसास ही नहीं हुआ कि मोदी हमारे भी प्रधानमंत्री हैं –अब्दुल बारी सिद्दीक़ी

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बिहार के वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीक़ी से विशेष बातचीत

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना:बिहार चुनावों के नतीजों के बाद से ही देश में ‘सहिष्णुता’ व ‘असहिष्णुता’ के मामले को लेकर सियासी माहौल गर्म है. राष्ट्रीय जनता दल के जीते विधायक व बिहार के मौजूदा वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीक़ी ने TwoCircles.netसे बात करते हुए इस माहौल को और भी गरमा दिया है.


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उन्होंने विशेष बातचीत में बिहार के नतीजों और मुल्क में अल्पसंख्यकों के हालातों के मद्देनज़र कुछ बेहद ज़रूरी बातें कही हैं, जो भविष्य की राजनीति में मुमकिन बड़े बदलाव की आहट देती हैं.

TwoCircles.netने बिहार के वित्तमंत्री से कई मसलों पर लंबी बातचीत की. हमने यह जानने की कोशिश की कि अल्पसंख्यक आबादी के लिए उनके व उनकी सरकार के पास क्या है? मुसलमानों के विकास की योजना है? मुसलमानों की सियासत में हिस्सेदारी और फारबिसगंज जैसे मसले पर क्या सोचते हैं? यह बातचीत शपथ-ग्रहण समारोह के एक दिन पहले की है.

इस बातचीत में उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘देश के लोगों को यह उम्मीद थी कि मोदी पूरे मुल्क के प्रधानमंत्री होंगे. सबके लिए काम करेंगे. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का जो एक्ट है, उससे देश के अल्पसंख्यक तबके को कभी भी एहसास नहीं हुआ कि वो हमारे भी प्रधानमंत्री हैं.’

वह आगे बताते हैं, ‘उनके दल के लोगों ने भी अल्पसंख्यकों को टारगेट किया. कभी लव-जिहाद का मामला उठाया. कभी यह कहने लगे कि जिन्होंने बीजेपी को वोट दिया है, वो ‘रामजादे’ हैं और जिन्होंने नहीं दिया वो ‘हरामजादे’ हैं. उनके मंत्री लोगों को पाकिस्तान भेजने में लग गए. इससे देश के अल्पसंख्यकों - खासतौर पर मुसलमानों को - यह लगने लगा कि जो संविधान ने उन्हें अधिकार दिए हैं, उन अधिकारों को यह सरकार छिनना चाहती है.’

बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि 1990 से 1995 के दौरान राजद की सरकार में सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ी थी, लेकिन जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सत्ता में आए तो इसमें कमी साफ़ तौर पर देखी जा सकती है.

आगे उन्होंने कहा, ‘अब महागठबंधन की सरकार में यह ख़्याल रखना लाज़िम है कि मुसलमान अगर पिछड़ गए हैं तो इसका कारण क्या है? उनको ऊपर उठाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है? बिहार के 89 फीसदी लोग देहातों में रहते हैं, उनके हालात कैसे सुधरे? स्किल डेवलपमेंट की तरफ़ हम कैसे बढ़ें? बुनकर बिरादरी को कैसे सशक्त किया जा सकता है? बेरोज़गारी दूर करने की क्या कोशिशें हो सकती हैं? मुसलमानों के शैक्षिक हालात को कैसे सुधारा जा सकता है? इन सब सवालों की तरफ़ हमारा विशेष ध्यान रहेगा. साथ ही मुसलमानों के जो नेता चुनाव जीतकर आए हैं, मुझे उनसे उम्मीद हैं कि वो अपने लोगों के मामलों व मसलों को सरकार व सदन रखेंगे.’

अब्दुल बारी सिद्दिक़ी 1977 में बहेड़ा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने थे. उसके बाद वो 1980, 1985 और 1990 का तीन विधानसभा चुनाव हारे. उनके राजनीतिक करियर को लेकर कई सारी अटकलें लगने लगीं. 1992 में वे एमएलसी चुने गये. 1995 में फिर विधायक बने. इसके बाद लगातार 2000, 2005 और 2010 में विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. इस बार भी अलीनगर सीट से भाजपा के मिश्रीलाल यादव को 13460 वोटों से पराजित किया है. सिद्दिकी बिहार सरकार में वर्षों तक कई विभागों के मंत्री भी रहे हैं. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी रह चुके हैं. फिलहाल वह मौजूदा सरकार में वित्त विभाग के मंत्री हैं.

इस विशेष बातचीत को आप नीचे क्रमवार देख सकते हैं:


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