अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना:नीतीश कुमार पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. मगर पहली बार हुआ जब उनके मंत्रिमंडल में लालू की पार्टी भी हिस्सेदार हुई. लालू के दोनों बेटों ने शपथ ली. मंत्रिमंडल के बंटवारे में भी लालू की ही चली. मोटे मलाईदार पद लालू के पार्टी के खाते में गए.
डिप्टी सीएम भी लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को बनाया गया. तेजस्वी इसके अलावा पथ निर्माण, भवन निर्माण, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भी संभालेंगे. वहीं लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को बिहार का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. साथ ही वे लघु जल-संसाधन और पर्यावरण एवं वन विभाग मंत्रालय भी संभालेंगे.
कुल मिलाकर मोदी विरोधी मुहिम के साथ सत्ता में आए महागठबंधन ने अपनी सरकार की तस्वीर पेश कर दी. यह तस्वीर बहुत-सी उम्मीदें पैदा करती है, मगर साथ ही कई आशंकाओं को भी जन्म देती है.
उम्मीदें इस बात की कि नीतीश कुमार सुशासन के अपने मंत्र को पांचवी बार भी अमली-जामा पहनाने की कोशिश करेंगे, मगर आशंकाएं इस बात की कि कहीं परिवारवाद, वंशवाद, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की आंधी सारे किए-कराए पर पानी न फेर दे.
इन उम्मीदों व आशंकाओं के साथ लोग दिन के 11 बजे से ही आम लोग व पार्टी कार्यकर्ता पैदल गांधी मैदान की ओर चलने लगे थे. क़रीब 12 बजे गांधी मैदान का गेट खोला गया. लोगों को क़तार लगाकर चेकिंग के बाद अंदर जाने दिया जा रहा था. बाहर कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं में काफी जोश दिख रहा था.
भले ही इस शपथ-ग्रहण समारोह में समाजवादी पार्टी का कोई भी नेता शामिल न हुआ हो, लेकिन गांधी मैदान के आस-पास की सड़कों पर सपा के झंडे व बैनर दिख रहे थे. हर जगह अखिलेश यादव के पाटलीपुत्र आगमन की बधाई दी जा रही थी.
दिन के एक बजे मंच पर सबसे पहले लालू के दोनों बेटे पहुंचे. फिर लालू-राबड़ी भी मंच पर पहुंच गए. फिर एक-एक करके मंच पर नेता आने लगें. नीतीश कुमार व लालू यादव बाहर से आने वाले मेहमानों को रिसीव करते रहे. फोटो का दौर चलता रहा. सुशील मोदी व नंदकिशोर यादव भी पहुंचे, लेकिन तुरंत मंच के आखिरी कोने में जाकर बैठ गए.
कुछ ही देर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी पहुंचे. पहले नीतीश ने हाथ मिलाया फिर लालू ने हाथ मिलाते हुए गले से लगा लिया. ऐसा होना था कि गांधी मैदान में लोग लालू के नारों के साथ चिल्ला पड़े. उसके बाद एक-एक करके नेता आते गए और मंच भरता गया.
शपथ ग्रहण समारोह अपने नियत समय 2 बजे से शुरू हुआ. सबसे पहले नीतीश कुमार ने शपथ ली, फिर तेजस्वी व तेजप्रताप और उसके बाद अब्दुल बारी सिद्दीकी ने. फिर एक के बाद एक नेता आते गए और शपथ लेते रहे.
लालू के बेटे तेजप्रताप ने अपने शपथ में ‘अपेक्षित’ को ‘उपेक्षित’ पढ़ डाला तो लोगों ने खूब चुटकी ली. न्यूज़ चैनलों के लोग चिल्ला पड़ें कि आज की न्यूज़ मिल गयी. शपथ का दौर खत्म होने के क़रीब आ रहा था लेकिन लोग राहुल गांधी का इंतज़ार कर रहे थे. शपथ के बीच में राहुल गांधी भी पहुंच गए. सबसे पहले लालू यादव से हाथ मिलाया. फिर एक-एक करके आगे की पंक्ति के नेताओं से मुलाक़ात की. इधर मैदान में पटाखे बजते रहे. साथ ही कई तरह के भोजपुरी गानों पर भी लोग झूम रहे थे. एक गाना मोदी पर भी था.
इस प्रकार शपथ-ग्रहण समारोह समाप्त हुआ. लेकिन इस बीच ज़्यादातर लोगों के मन में कई सवाल थे. लोगों की तरह-तरह की बातें थी. खासतौर लालू व उनके बेटों की बात अधिक चल रही थी. दरअसल, बिहार की यह खिचड़ी सरकार कई मायनों में विरोधाभासों से भरी हुई है. एक ओर नीतीश कुमार भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन की बात करते हैं, वहीं उनकी कैबिनेट में जगह पाने वालों का बैकग्राउंड कई बड़े सवाल खड़े करता है. सवाल इसलिए भी बड़े हो जाते हैं, क्योंकि इन चेहरों के कैबिनेट में शामिल होने का आधार यानी इनकी योग्यता क़तई नहीं है.
ऐसे में अगले पांच साल बिहार की तक़दीर में क्या होगा. सबकी निगाहें इस टिकी हुई हैं. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो पूरे देश में मोदी विरोधी राजनीति की शुरूआत होगी. मगर यदि यह प्रयोग जंगल-राज और भ्रष्टाचार के वायरस का शिकार हो गया तो यह मानना गलत न होगा कि साम्प्रदायिकता विरोधी एक बड़ी मुहिम देशभर में आंखें खोलने से पहले ही ज़मींदोज़ हो जाएगी.
देखें शपथ-ग्रहण समारोह की तस्वीरें...