अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भले ही चुनावी अभियान की डोर पीएम मोदी ने ही संभाल रखी हो. भले ही आधिकारिक तौर पर एनडीए की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया हो, लेकिन आज बीजेपी नेता व स्टार प्रचारक शाहनवाज़ हुसैन ने यह ऐलान ज़रूर कर दिया कि राज्य में अगर एनडीए की सरकार बनी तो गया से पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार को सीएम बनाया जाएगा.
हुसैन ने सोमवार को गया में पार्टी की एक मीटिंग में यह घोषणा की. उन्होंने कहा, 'मैं आपसे आग्रह करता हूं कि भारी संख्या में वोट देकर अपने नेता प्रेम कुमार को जिताएं. वह राज्य में मुख्यमंत्री पद के कैंडीडेट हैं. एनडीए सत्ता में आती है तो वही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे.’ इससे पूर्व खुद विधायक प्रेम कुमार ने भी गया टाउन में अपने प्रचार अभियान में खुद को सीएम पद के उम्मीदवार बता चुके हैं. प्रेम कुमार अपना दावा कई बार सोशल मीडिया पर खुद ही पेश कर चुके हैं.
इसके अलावा फेसबुक पर प्रेम कुमार के समर्थकों ने ‘डॉ. प्रेम कुमार फॉर सीएम ऑफ बिहार’ के नाम से बाक़ायदा फेसबुक पेज़ भी बना रखा है. जिसमें उन्हें बीजेपी की ओर से सीएम पद का उम्मीदवार बताया जाता रहा है. इतना ही नहीं, शहर में इसके लिए बैनर व पोस्टर भी लगा दिए गए थे, जिसे बाद में किसी कारणवश हटा लिया गया. उनके समर्थकों का कहना है कि गिरिराज सिंह ने भी जिस पिछड़ा समुदाय के सीएम बनने की बात कर रहे थे, दरअसल, वो प्रेम कुमार ही हैं. डॉ. प्रेम कुमार ही पिछड़े वर्ग का चेहरा हैं. हालांकि बीजेपी की तरफ़ से बिहार के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
स्पष्ट रहे कि डॉ. प्रेम कुमार 1990 से लेकर अब तक लगातार विधायक बने हुए हैं. वो बिहार में मंत्री पद पर भी रह चुके हैं. वो 6 बार गया टाउन से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और सातवीं बार अपनी क़िस्मत की आज़माईश कर रहे हैं.
मगध विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद प्रेम कुमार अब लखपति से अब करोड़पति बन चुके हैं. जनवरी 2005 के चुनाव में वो तकरीबन 35.31 लाख के मालिक थे. अगले नौ महीनों में यानी अक्टूबर 2005 चुनाव में वो 58.28 लाख के मालिक बन गए. 2010 चुनाव में उनकी सम्पत्ति में और इज़ाफ़ा हुआ. उनकी सम्पत्ति बढ़कर 91.69 लाख हो गई. लेकिन अब 2015 चुनाव में वो 1.53 करोड़ के मालिक हैं.
अगर प्रेम कुमार के आपराधिक रिकार्ड की बात करें तो 2015 में चुनाव आयोग को दिए उनके खुद का हलफ़नामा बताता है कि उन पर आईपीसी की धारा-147, 323, 337, 353 के तहत कोतवाली थाना में एक मामला (केस नं. 303/91) दर्ज है. 2010 के हलफनामे में उन्होंने खुद बताया है कि उन पर आईपीसी की धारा -143, 341, 353, 153A, 505, 295A के तहत जहानाबाद के पुलिस स्टेशन में एक मामला (378/1992) दर्ज था.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि विधायक जी पूरे 4 साल 9 महीने एसी कमरों में बंद रहते हैं, लेकिन आख़िर के 3 महीनों में सक्रिय हो जाते हैं. और फिर हिन्दू- मुसलमान करके चुनाव जीत जाते हैं.
आपको यह भी बताते चलें कि डॉ. प्रेम कुमार 2010 में भाकपा के जलालुद्दीन अंसारी 28,417 वोटों से हराकर अपने जीत का परचम छठी बार लहराया था.
नोट : TwoCircles.net प्रेम कुमार के सीएम पद के उम्मीदवारी से संबंधित खबर पिछले महीने 24 सितंबर को ही कर दिया था, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं. इस स्टोरी को पढ़कर प्रेम कुमार के व्यक्तित्व को और बेहतर तरीक़े से समझा जा सकता है.
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