TwoCircles.net Staff Reporter
पटना:बिहार चुनाव में कुछ पार्टियों के चुनाव चिन्ह को आपको भ्रम में डाल सकते हैं. क्योंकि बिहार के इस महासंग्राम में कई पार्टियां ऐसी हैं जिनके चुनाव चिन्ह लगभग एक समान हैं.
मसलन, समाजवादी पार्टी और जम्मू-कश्मीर की नेशनल पैंथर्स पार्टी, दोनों का चुनाव चिन्ह ‘साईकिल’ है. और दोनों पार्टियां बिहार के इस चुनाव में अपने क़िस्मत की आज़माईश कर रही हैं. यही हाल झारखंड की झारखंड मुक्ति मोर्चा और महाराष्ट्र की शिवसेना का भी है. ये दोनों पार्टियां भी बिहार चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े कर रही हैं. और इन दोनों पार्टियों का चुनाव चिन्ह ‘तीर-धनुष’ है.
दूसरी तरफ़ निर्वाचन आयोग ने इन राजनीतिक दलों को अपने आरक्षित चुनाव चिन्ह का उपयोग करने की इजाज़त भी दे दी है. ऐसे में दुविधा है कि कहीं दोनों पार्टियां किसी एक सीट पर खड़े हो गयीं तो मतलाभ किसको मिलेगा?
हालांकि प्रथम चरण में ही ये पार्टियां एक ही सीट से खड़ी नज़र आ रही हैं. वारिसनगर विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा व शिवसेना दोनों पार्टियों के उम्मीदवार खड़े हैं. उसी तरह बेगुसराय से भी समाजवादी पार्टी और नेशनल पैंथर्स पार्टी, दोनों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं.
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए निर्वाचन आयोग ने दोनों पार्टियों को अपने चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल की इजाज़त देने के साथ-साथ यह शर्त भी जोड़ दी है कि एक ही सीट पर समान चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे मतदाताओं में भ्रम पैदा होगा.
चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर किसी सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कोई उम्मीदवार शिवसेना उम्मीदवार के खिलाफ़ खड़ा होता है. या फिर उसी तरह
नेशनल पैंथर्स पार्टी का उम्मीदवार मुलायम यादव की समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ़ चुनाव लड़ता है, तो इस स्थिति में एक ही चुनाव चिन्ह
का उपयोग नहीं कर सकता है. आयोग उनमें से किसी एक को अलग से चुनाव चिन्ह आवंटित करेगा. लेकिन आयोग ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि किस पार्टी
को अपने चुनाव चिन्ह की क़ुर्बानी देनी पड़ेगी?
चुनाव चिन्ह में ऐन वक़्त पर बदलाव किए जाने से छोटी पार्टियों का तो पता नहीं लेकिन समाजवादी पार्टी जैसे बड़े राजनीतिक दल को ज़रूर नुकसान उठाना पद सकता है.