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'स्वाभिमान रैली'ने बदली बिहार की हवा

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By TwoCircles.net Staff Reporter,

पटना: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बिहार की जनता के स्वाभिमान को ललकारने के विरोध में महागठबंधन के ‘स्वाभिमान रैली’के बाद बिहार के विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा ‘नागरिक पहल’ के बैनर तले नागरिक मार्च निकाला जा रहा है.

पटना में मंगलवार को यह मार्च जेपी गोलम्बर, गांधी मैदान से निकाला गया, जिसे बुद्ध स्मृति पार्क तक जनसभा में तब्दील होना था लेकिन बिहार पुलिस ने इस मार्च को गोलम्बर के पास ही रोक दिया. काफ़ी बहस के बाद इस रैली को गांधी मैदान के बाहर चक्कर लगाने की इजाज़त दी गई.

इस रैली के संयोजक रुपेश बताते हैं, ‘भारतीय लोकतंत्र का खूबी है कि नेता मतदाताओं से अपनी बात कहें लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और उनके दल के नेताओं ने बिहार के संदर्भ में जो बातें कही हैं उससे कहीं न कहीं हमारा बिहार अपमानित हुआ है.’

रूपेश का कहना है, ‘हम बिहार के नागरिक बिहार के बारे में किसी भी पूर्वाग्रह से ग्रसित सोच एवं विचार का कड़ा प्रतिरोध करते हैं और ऐसी सोच रखने वालों का भी विरोध करते हैं.’

रूपेश के मुताबिक नरेन्द्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री के डीएनए पर संदेह व्यक्त किया था. इसके पहले उनके कैबिनेट सहयोगी नितिन गडकरी कह चुके हैं कि बिहार के डीएनए में ही जातिवाद है. दूसरी तरफ़ सैकड़ों हत्याओं के आरोपी को ‘महात्मा गांधी’ का दर्जा देने वाले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि जो नरेन्द्र मोदी को वोट नहीं देगा, वो पाकिस्तानी है.

इस मार्च में पटना के अरशद अजमल, कपिलेश्वर, प्रदीप प्रियदर्शी, पंकज, नैय्यर फ़ातमी, विनोद कुमार, तमवीर अख़्तर, रघुपति, संजय कुमार सिंह, बबिता, शैला, रागिनी, पप्पू कुमार, सरफ़राज़ व प्रभाकर कुमार जैसे कई बुद्धिजीवी, सांस्कृतिक कर्मी, शिक्षाविद व सामाजिक कार्यकर्ता मुख्य रूप से शामिल हुए.


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