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मदरसा शिक्षक आंदोलन : नितीश कुमार के गले की हड्डी

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अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net,

पटना: सोमवार को पटना के गर्दनी बाग का इलाक़ा ‘नितीश कुमार मुर्दाबाद’ के नारों से गूँज उठा. नौबत लाठीचार्ज तक आ गई. लेकिन कुछ लोगों के सूझ-बूझ से स्थिति नियंत्रण में आई. फौरन सरकारी अधिकारी हाज़िर हुए. प्रदर्शनकारियों को काफी समझाने की कोशिश की गई लेकिन प्रदर्शनकारी किसी भी बात को मानने के लिए बिलकुल तैयार नहीं हुए. वे सड़कों को जाम करके बैठ गए. यहां तक कि अचानक तेज़ बारिश भी उनके हौसलों को पस्त नहीं कर सकी बल्कि उनके जोश में और इज़ाफ़ा हो गया.

दरअसल ये प्रदर्शनकारी बिहार के 737 मदरसों के 2459 कोटि के शिक्षक थे, जिन्हें तकरीबन पिछले पांच सालों से बिहार सरकार ने कोई भुगतान नहीं किया है. प्रदर्शन कर रहे मदरसा शिक्षकों की मांग है कि सरकार उनके वेतन का भुगतान विधानसभा चुनाव से पहले करे.

सीतामढ़ी से आए 47 वर्षीय अहमद रज़ा कहते हैं, ‘हम सड़कों पर बिल्कुल भी नहीं आना चाहते थे लेकिन सरकार ने हमें सड़क पर आने को मजबूर कर दिया है.’ वहीं मो. शमसाद बताते हैं, ‘हमारे बच्चे अब भूखों मरने लगे हैं, अब हमारे पास एक ही विकल्प है या तो संघर्ष करें या मर जाएं.’ ऐसे ही मिलती-जुलती कहानियां इस प्रदर्शन में शामिल सैकड़ों शिक्षकों की हैं.



हालांकि इन प्रदर्शनकारियों के कुछ नेता नितीश कुमार के दफ़्तर भी गए थे. जहां उनकी मुलाक़ात नितीश कुमार के सचिव राकेश कुमार सिंह से हुई. इस मुलाक़ात के बारे में ‘बिहार स्टेट मदरसा टीचर्स एसोसियशन’ के महासचिव दानिश क़मर ने बताया, ‘नितीश कुमार के सचिव ने इस मुलाक़ात में टाल-मटोल की कोशिश की है. हम कल गर्दनी बाग धरना स्थल से मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करेंगे. फिर भी हमारी मांगें नहीं मानी गई तो फिर भूख हड़ताल पर बैठेंगे.’

स्पष्ट रहे कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने 31 अगस्त 2010 को विधानसभा में 2459 कोटि के मदरसा शिक्षकों व मौलानाओं के वेतन भुगतान का घोषणा किया था. इस घोषणा के बाद 15 फरवरी 2011 को सरकार द्वारा वेतन भुगतान के लिए 108 करोड़ 20 लाख 40 हजार की राशि को स्वीकृति भी मिली. लेकिन इस राशि में सिर्फ़ 205 मदरसों के शिक्षकों को ही भुगतान किया जा सका. शेष मदरसों के शिक्षक अब तक भुगतान की राह देख रहे हैं. ऐसे मदरसों की संख्या 737 है.



एसोसिएशन के महासचिव दानिश कमर बताते हैं, ‘वर्तमान में 737 मदरसों की फाइल सभी स्तर से जांच होकर शिक्षा विभाग में विचाराधीन है. इसके अलावा 300 मदरसों की फाइल मदरसा बोर्ड में और बाकी फाइल जिला शिक्षा विभाग कार्यालय में पड़ी है.’ आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1987 में पूरे बिहार में सिर्फ 986 मदरसों को बिहार मदरसा बोर्ड ने मान्यता दिया है.

मदरसा शिक्षकों के इस आंदोलन को बिहार की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में यह क़यास ज़ाहिर है कि यह आन्दोलन इस चुनाव में कहीं नितीश कुमार के गले की हड्डी न बन जाए.


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