By ए. मिरसाब, TwoCircles.net,
महाराष्ट्र में जब सारी बड़ी राजनीतिक पार्टियां महाराष्ट्र में बिना किसी गठजोड़ के अपने बूते पर चुनाव लड़ने जा रही हैं, ऐसे में वे छोटे-बड़े किसी भी वर्ग को नज़रंदाज़ नहीं करना चाह रही हैं. कठिन रस्साकशी के बीच टूटे २५ साल पुराने भाजपा-शिवसेना गठबंधन से शिवसेना को अपना वोटबैंक बनाने में कड़ी मशक्क़त का सामना करना पड़ रहा है. एक अल्पज्ञात मुस्लिम संगठन ‘महाराष्ट्र मुस्लिम एकता परिषद्’ ने उद्धव ठाकरे द्वारा नीत शिवसेना को अपना समर्थन देने का फ़ैसला किया है. परिषद् के अनुसार यह फैसला साम्प्रदायिक विषयों पर उद्धव ठाकरे की राय जानने के बाद यह फैसला लिया गया.
महाराष्ट्र मुस्लिम एकता परिषद् द्वारा यह घोषणा तब की गयी है, जब राज्य में चुनाव प्रचार पूरे ज़ोर पर है और सभी पार्टियां इस बात को साबित करने में तुली हैं कि उन्हें चुनना यानी समाज के हर तबके के विकास और लाभ को चुनना है. यह भी बात क़ाबिल-ए-गौर है कि इस ज़हीन होती जा रही लड़ाई में, सभी पार्टियों के लिए एक-एक मत का नुकसान बड़ा नुकसान साबित हो सकता है.
परिषद् के अध्यक्ष आकिफ़ दाफेदार ने कहा कि मुस्लिम की चार मूलभूत समस्याओं पर उद्धव ठाकरे के जवाब और उन जवाबों से संतुष्ट होने के बाद ही शिवसेना को समर्थन देने का निर्णय लिया गया है. आकिफ़ के अनुसार, परिषद् ने उद्धव ठाकरे से कहा कि दूसरे संस्थानों द्वारा अतिक्रमित की गयी वक्फ़ बोर्ड की ज़मीनों को पुनः हासिल किया जाए, आतंक की घटनाओं में फास्ट-ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए, आतंक के मामलों से बाइज्ज़त बरी हुए लोगों को मुआवज़ा दिया जाए और मौलाना आज़ाद फाइनेंस कार्पोरेशन के फंड को बढ़ाकर ४००० करोड़ कर दिया जाए.
सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे नी इन बातों को ध्यानपूर्वक सुना और यह आश्वासन दिया कि यदि महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनती है तो उनकी इन मांगों को अमल में लाने के लिए ज़रूरी क़दम उठाए जायेंगे. उद्धव ठाकरे ने यह भी आश्वासन दिया कि शिवसेना महाराष्ट्र में साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखेगी, मुस्लिमों के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया जाएगा और समाज के हर तबके को उचित न्याय मिलेगा.
कुछ दिनों पहले मुस्लिम नेता और राज ठाकरे के संगठन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के उपाध्यक्ष हाजी अराफ़ात शेख ने मनसे पर मुस्लिमों के साथ उचित व्यवहार न करने का आरोप लगाते हुए शिवसेना का हाथ थाम लिया था. शिवसेना पार्टी में शेख के दाखिले को एक उपहार और मौके की तरह देख रही है, क्योंकि इससे दूसरे मुस्लिम समुदायों में भी पकड़ बनाने का मौक़ा मिल सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अराफ़ात शेख के साथ सूबे के लगभग ३० लाख क़ुरैशी बंधु जुड़े हुए हैं, जो कमोबेश पूरे प्रदेश में फैले हैं.
(अनुवाद: सिद्धान्त मोहन)
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