By TCN News,
नई दिल्ली: आज राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘गंभीर स्वरूप ले चुके और अंतराष्ट्रीय समुदाय को संकट में डालने वाले आतंकवाद के मुद्दे से निपटने के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यता है.’ राष्ट्रपति भवन में भारतीय विदेश सेवा के 2013 बैच के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार और अन्य आपराधिक गतिविधियों के कारण उग्रवादियों की प्रचुर हथियारों ओर अन्य संसाधनों तक पहुंच संभव हो रही है.
राष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘समस्याग्रस्त क्षेत्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है औऱ कई महत्वपूर्ण शहर खतरे में हैं. इन शहरों की न सिर्फ ऐतिहासिक औऱ सामाजिक पहचान खतरे में है बल्कि इनका पतन देश की राजनीतिक अस्थिरता का प्रतीक बन रहा है. शीतयुद्ध समाप्त होने के बाद भी शांति विश्व के लोगों की पहुंच से बाहर है.’
वर्तमान वैश्विक स्थिति को जटिल बताते हुए राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा कि वर्तमान दौर को समझने के लिए एकपक्षीय दृष्टिकोण उपयुक्त नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय राजनयिकों को विश्व में हुए बदलावों पर तीव्रता से ध्यान देना होगा. उन्हें इन बदलावों को समझने और इनका विश्लेषण करने की क्षमता और विशेषज्ञता विकसित करनी होगी.
राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने प्रवासी भारतीयों को देश की कूटनीति का महत्वपूर्ण भाग बताते हुए युवा राजनयिकों से उन पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा.
अपने संबोधन के अंत में श्री मुखर्जी ने युवा राजनयिकों से प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ देश और देशवासियों की सेवा करने का आह्वान किया.
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