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बिखर गया ‘झाड़ू’ का तिनका

शादाब अहमद मोइज़ी,

….. अभी गर्मी आई भी नहीं और गर्मी की आहट सुनते ही ‘झाड़ू’ मुरझाने लगा. क़रीब 50 दिन पहले ही तो झाड़ू खरीदा था लेकिन न जाने क्यों बरसात के पानी में भींगे बिना ही झाड़ू कमज़ोर पड़ने लगा. एक-एक करके उसके सारे तिनके निकलने लगे, लेकिन अब आप ही बताइये हम क्या करें? इस झाड़ू को खरीदते वक्त पांच साल की गारंटी मिली थी, लेकिन पाँच साल की गारंटी वाला झाड़ू अभी से ही अपना ब्रांड या यूँ कहें कि अपनी ‘हैसियत’ बताने लगा.

जब हमने झाड़ू खरीदा था तब तो बेचनेवाले ने बताया था कि यह झाड़ू एक-एक तिनके को जोड़कर बड़े ही लोकतांत्रिक तरीके से और ईमानदारी के साथ बनाया गया है. कहा गया था कि इसकी बनावट पिछले वाले झाड़ू की तरह नहीं है जो गलत ‘हाथ’ में पड़कर 49 दिन में ही टूट गया था.

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यह भी बताया था उस ईमानदार झाड़ू बेचनेवाले ने कि यह झाड़ू हर तरह की गंदगी को साफ़ करेगा, सबको साथ लेकर चलेगा और अपने भीतर की ताक़त पर पूरा भरोसा करेगा. लेकिन देखकर तो लगता है कि वादाखिलाफ़ी हो गयी. झाड़ू निकल गया ख़राब...और हद तो तब हो गयी जब झाड़ू के मालिक को इसके ख़राब होने की शिकायत की गयी और कहा गया कि छोटी-मोटी गड़बड़ियों को हाथों-हाथ ठीक कर दिया जाए. तो, बजाय उसे दुरस्त करने के झाड़ूवाले ने खुद ही झाड़ू के कुछ तिनकों को ‘लात मारकर’ बाहर का रास्ता दिखा दिया और बिना जवाब दिए चला गया. लेकिन अब बात आती है कि हम क्या करें...हम तो ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं खुद को.

एक बात तो साफ़ है कि जब झाड़ू पुराना हो जाता है तो खुद ही उसके तिनके टूटकर बिखर जाते हैं. ऊपर से सफ़ाई होने के बजाय गंदगी ही फैलती रहती है. इन सबका फायदा या तो दूसरे झाड़ूबरदार को ‘स्वछता अभियान’ के ज़रिए मिलता है या फिर ‘हाथ’ की सफ़ाई से गन्दगी साफ़ करने वाले को.

झाड़ू से अभी याद आया कि इस देश में दो तरह के सफाई वाले हैं. एक तो सफाईवालों का वह तबका है जो बड़े-बड़े प्रोजेक्ट की सफाई करता है - जैसे कोयला खदान, स्विस बैंक, हेलीकाप्टर; और दूसरा सफ़ाईवाला वह है जो समाज के निचले पायदान पर सफ़ाई करता रहता है, जो सफाई कम आपस में ही लड़ाई ज़्यादा करता है, कभी ठर्रे के लिए तो कभी चिखने के लिए.

लेकिन हमारी और ‘आप’की इस झाड़ू को झूठ बोलकर बेचे जाने और उसके बाद टूट जाने से और कुछ हो न हो, लेकिन एक बात तो साफ़ हो ही जाती है की दिखने वाली गंदगी झाड़ू से साफ़ हो सकती है लेकिन न दिखने वाली, कोनों में पड़ी हुई, दीमकों की तरह चिपकी हुई, घर के अंदर घर बना चुकी गन्दगी झाड़ू से नहीं ‘पेस्ट कंट्रोलिंग’ से ही साफ़ हो सकती है.


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