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‘पाई पाई जोड़कर आगे की पढ़ाई जारी रखूंगी’

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Saba Yaseen for TwoCircles.net

फ़ैज़ाबाद : 22 साल की आयशा की ख्वाहिश वकालत की पढ़ाई करके जज बनने की है, लेकिन देश में लॉ पढ़ाई करने वाले अन्य बच्चों की तरह आयशा की क़िस्मत नहीं है. इनके घर के हालात ऐसे हैं, जो आगे आयशा की पढ़ाई पर किसी भी तरह खर्च हो सके.

हालांकि काफी मुश्किल हालात में आयशा ने रुदौली डिग्री कॉलेज से 52 फीसद नबंरो के साथ बीए तक की डिग्री हासिल कर ली है. अब घर में आमदनी का कोई ज़रिया नहीं बचा, इसलिए आयशा की पढ़ाई यहीं ठहर गई है, लेकिन उनके हौसलों की उड़ान बाकी है.

अपने इरादे को मज़बूत किए घर का सारा काम करने के बावजूद वक़्त निकाल कर आयशा चार महीने से सिलाई सीख रही हैं, ताकि उनकी ठहरी हुई जिंदगी को बेहतर मुकाम मिल सके. मोहल्ले में चल रहा सिलाई कढ़ाई सेंटर उनके सपनो को पंख दे रहा है.

Ayesha

आयशा कहती हैं कि –‘ मैं सिलाई इसलिए सीख रही हूं ताकि सिलाई का काम करके कुछ पैसे कमा सकूं. और फिर पाई पाई जोड़कर आगे की पढ़ाई जारी रखूंगी.’

स्पष्ट रहे कि आयशा का घर फ़ैज़ाबाद मुख्यालय से क़रीब 40 किमी दूरी पर रुदौली कस्बा के घोसियाना मोहल्ला में है. एक छप्पर के घर में आयशा सपने दिन-रात पल रहे हैं.

मोहम्मद सलमान, आयशा के अब्बा हैं, जो पहले दर्जी का काम करके किसी तरह से परिवार की जिम्मेदारी अपने मज़बूत कंधो से खींच रहे थे. लेकिन अचानक तीन साल पहले फालिज़ की वजह से अब बिस्तर पर हैं, जहां वो मौत से हर दिन सामना कर रहे हैं.

लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में इलाज कराते-कराते तंगहाली ने इस परिवार को ऐसा जकड़ा है कि दो महीने से इलाज के पैसे नहीं हैं. आयशा की अम्मी अब दूसरों के घरों में जाकर घरेलू काम करती हैं और किसी तरह से अपने बच्चों व पति का पेट पाल रही है.

आयशा के चार भाई-बहन हैं. सबसे बड़ी बहन कनीज़ फ़ातिमा की शादी तीन साल पहले हो चुकी है. आयशा का 17 वर्षीय भाई अली मियां 8वीं क्लास तक पढ़ने के बाद सिलाई का पुश्तैनी हुनर सीख गया है. आसमा बानो 15 साल की सबसे छोटी हैं, जो आठवीं तक ही पढ़ पाई है, 9वीं क्लास के लिए फीस का इंतजाम नहीं हो पाने पर अब घर पर ही रहती हैं.

ऐसे हालात में आयशा के लिए लॉ की पढ़ाई करना काफी मुश्किल महसूस होता है, लेकि आयशा के इरादे काफी बुलंद हैं. वो दिन-रात मेहनत करके अपने सपने को साकार करने की कोशिश में लगी हुई हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि आयशा की मेहनत एक न एक दिन ज़रुर रंग लायेगी.

सबा यासीन रुदौली में रहते हुए सामाजिक सरोकारी कार्यो से जुड़ी हैं. फिलहाल ‘मिसाल नेटवर्क’ से जुड़ी हुई हैं. उनसे ई-मेल sabarudauli200@gmail.comपर संपर्क किया जा सकता है.


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