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कोई नहीं है भजनपुरा का फुरसा हाल लेने वाला...

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Anzar Bhajanpuri for TwoCircles.net

बिहार के कोसी क्षेत्र की पहचान दुनिया भर में है. 2008 की कोसी त्रासदी ने यहां की कठिन ज़िन्दगी और संघर्ष को सबकी आंखों के सामने ला दिया था. इस बाढ़ त्रासदी ने न सिर्फ़ इलाक़े को छितर-बितर कर दिया, बल्कि लोगों के भविष्य में भी अंधेरा बिखेर दिया था. लेकिन अब भी कोसी अंचल में जहां घूमिए गरीबी और भूख लोगों से लिपटी ही दिखाई देगी.

अंचल में एक से बढ़कर एक संघर्ष कथाएं हैं या फिर त्रासदियां. ऐसा ही एक हादसा है, जिसने इस अंचल को देश भर में फिर से सुर्खियों में ला दिया था.

3 जून, 2011 की तारीख़ थी. अररिया जिले के फारबिसगंज से लगे हुए गांव भजनपुरा में एक मामूली विवाद ने कई लोगों की जानें लील लीं. घटना के बाद दिल्ली से लेकर बिहार तक सियासत गरमा गई. भजनपुरा को लगा हादसे के बाद सियासतदां इस इलाक़े की सुध लेंगे. आलम यह है कि भजनपुरा मदद की आस में है और कोई फुरसा हाल लेने वाला नहीं...

3 जून 2011 को अररिया जिले में फारबिसगंज से लगे हुए भजनपुरा गांव में एक कारखाने की चारदीवारी को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था. कारखाने के निर्माण को लेकर गांव वालों में रोष था. एक तरफ़ गांव वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तो दूसरी तरफ़ कारखाने वालों की ओर से पुलिस प्रशासन पहुंच चुकी थी. इस बीच ग्रामीण वासी और पुलिस के बीच शुरुआती झड़प में पुलिस ने गोली चलाने का हुक्म दे दिया. इस गोली-बारी में 4 लोग हलाक हुए जबकि 15 से अधिक ज़ख्मी हो गए.

यह वही भजनपुरा है, जिस इलाक़े को सियासतदां मुख्य धारा से जोड़ देने का वादा करते रहे हैं. अब ज़रा इसकी हक़ीक़त भी जान लीजिए.

भजनपुर गांव में आज भी 80 फीसदी लोग छप्पर के घरों मे रहते हैं. इसमें से एक घर 38 वर्षीय भुट्टी बेगम का है. रहमो-करम पर जिंदगी काट रही भुट्टी बेगम का इस जिंदगी में कोई नहीं. मसलन जिस घर में वो जिंदगी काट रहीं हैं, वह भी उनका नहीं.

Bhajanpur

भुट्टी बेगम की 12 साल पहले समद नाम के एक आदमी से से शादी हुई थी. बदकिस्मती से दो साल बाद ही पति की मौत हो गयी. कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ. लिहाजा भाई की बेटी मदीना साथ रहती है, जिसका स्कूल से कोई नाता नहीं है.

सरकारी दावे भले ही बड़े-बड़े हों, लेकिन भुट्टी को किसी भी तरह की बुनियादी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सका है. न भुट्टी के पास कोई राशन कार्ड है न ही विधवा पेंशन. उनकी अपनी पहचान के लिए सरकार ने उन्हें मतदाता पहचान पत्र हाथों में थमा दिया है. लेकिन इस जम्हूरियत का रोना यह है कि यहां मतदाता सिर्फ बेबस इंसान है. यह तो एक बानगी भर है. कोसी क्षेत्र में जन-वितरण प्रणाली सिस्टम में भ्रष्टाचार लकड़ी में दीमक की तरह घुसा है.

Bhajanpur

तस्वीर खिंचवा कर भुट्टी अपना दर्द बयां करती हैं –कहती हैं कि कभी-कभी किसी के मार्फत मज़दूरी मिल जाती थी तो कभी खेत खलिहान में काम कर लेते थे. बाजार जाकर ईंट-पत्थर उठाते थे, लेकिन क़रीब चार महीने से कोई काम नहीं मिला है. आप सोचिए कैसे गुज़ारा होगा. कैसे पेट को रोटी मिले. पाई- पाई की मोहताजी चल रही है. वह उदास मन से रास्ते की तरफ़ देख रही हैं अब भी...

भुट्टी बेगम भजनपुरा की असली तस्वीर हैं. सरकार और प्रशासन का दावा है कि वह हमारी जिंदगी को बेहतर करने के लिए दिन-रात काम करता है. इस बात पर यक़ीन करने से पहले भुट्टी बेगम जैसे बेबस और लाचार लोगों की जिंदगी पर ज़रूर सोचना चाहिए...

(लेखक अंजर भजनपुरी 2011 से कोसी क्षेत्र मे सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियो मे संलग्न हैं. फिलहाल ‘मिसाल नेटवर्क’ के साथ जुड़े हैं. उनसे 7070507791 सम्पर्क किया जा सकता है.)


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