TwoCircles.net News Desk
नई दिल्ली :‘देश का वर्तमान हालत 1947 से अधिक अलग नहीं है. और जो हिन्दू भाई सहिष्णुता से हटकर कट्टरता की ओर चले गए हैं, उनको वापस लाने की ज़िम्मेदारी भी हमारी ही बनती है.’
यह बातें रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में चल रही मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस की दो दिवसीय राष्ट्रीय कानफ्रेन्स ‘‘मानवता के विकास और शांतिपूर्ण समाज के गठन में इमामों व ख़तीबों की भूमिका और उनके अधिकार’’ में जनता दल (यूनाइटेड) के महासचिव के.सी. त्यागी ने कहा.
उन्होंने धार्मिक परम्पराओं को तोड़ने के प्रयासों की आलोचना करते हुए कहा कि हम इस सोच को कामयाब नहीं होने देंगे. देश का कानून सबको समान अधिकार देता है. ये क़ानून धर्म के नाम पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता.
इस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ‘मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द’ के महासचिव मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफी ने कहा कि –‘देश के अन्दर मौजूद विभिन्न संगठन चमन के रंग-बिरंग फूलों की तरह हैं और अपने-अपने कार्य क्षेत्र में मिल्लत और मानवता की सेवा कर रहे हैं. जब कभी मुल्क व मिल्लत के सामने कोई संकट की घड़ी आती है, तो यह सारे संगठन उठ खड़े होते हैं. दरअसल, यह संगठन देश की गंगा जमुनी सभ्यता के संरक्षक हैं.’
आगे उन्होंने कगा कि –‘देश और मानवता को आज आईएसआईएस जैसे अन्य आतंकी संगठनों से ख़तरा है तो उसके रोकथाम के लिये ‘मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द’ की दावत पर मुस्लिम नेतृत्व इकटठा हुआ है, जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं.’
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डा. क़ासिम रसूल इलियास ने कहा कि –‘देश में जो वर्तमान हालात हैं, उससे हर कोई परेशान है. देश के आदिवासी और किसान सभी परेशान हैं. मुसलमानों पर आतंकवाद का आरोप लगाया जा रहा है. इस देश के निर्माण में हमारी भी भूमिका है और इस माहौल को ख़त्म करने के लिए हमें संकल्प करना होगा कि हम अन्याय नहीं होने देंगे.’
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि –‘सरकार यह दावा कर रही है कि विकास हो रहा है, लेकिन यह कैसा विकास है कि गरीब मंहगाई से परेशान है और अमीर की दौलत में वृद्धि हो रही है.’
दारूल उलूम देवबन्द के प्रतिनिधि मौलाना मुफ्ती राशिद क़ासमी ने इमामों और ख़तीबों को सम्बोधित करते हुए कहा कि –‘वह कुरआन व हदीस की रोशनी में लोगों को समझाएं. इससे मिल्लत को फायदा होगा और हमारी कथनी-करनी में कोई विरोधाभास नहीं होना चाहिए, तभी हमारी बातों का असर होगा.’
जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर मौलाना सैय्यद जलालुद्दीन ने कहा कि –‘हमारा विरोधाभास हमारी सबसे बड़ी कमज़ोरी है. इसलिए हम अपने अन्दर बिखराव न होने दें. कुरआन ने एकजुट होकर रहने का संदेश दिया है और यह नसीहत की है कि यदि बिख़रे तो नुक़सान उठाओगे. कुरआनी शिक्षा पर अमल न करने के कारण हम सब कमजोर हैं. लिहाज़ा हमें किताब व सुन्नत की बुनियाद पर एकजुट होना चाहिये.’
अयोध्या के युगल किशोर शास्त्री ने षड़यंत्र के तहत मुस्लिम युवाओं को गिरफ़्तारी की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह की गिरफ़्तारी बन्द होनी चाहिये. आईएसआईएस अमेरीका की पैदावार है, इससे मुसलमानों का कोई सबंन्ध नहीं है.’
सांसद तारिक़ अनवर ने कहा कि धर्म के नाम पर आतंक का जो खेल खेला जा रहा है, उसका मुक़ाबला करना हम सबकी जिम्मेदारी है. आतंकवाद साम्प्रदायिकता का एक घिनौनी शक्ल है. साम्प्रदायिकता किसी भी धर्म में हो, वह निंदनीय है. लोग अपने हितों के लिए धर्म का ग़लत इस्तेमाल करते हैं. ऐसे लोगों के चेहरे को बेनकाब करने की ज़रूरत है.’
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कान्फ्रेंस को मुसलमानों के दिलों की आवाज़ बताते कहा कि –‘यह भारतीय मुसलमानों का सम्मान है कि वह जेलों में 14/20 साल तक बन्द होने के बावजूद संविधान पर पूरा भरोसा रखते हैं.’
उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को घबराने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि देश से अपना रिश्ता और अधिक मज़बूत करने की ज़रूरत है.
राज्यसभा सांसद सालिम अंसारी ने धर्म के नाम पर हिन्दू-मुस्लिम के बीच दीवार खड़ी करने की निंदा करते हुए कहा कि –‘भड़काऊ बयान पर सरकार द्वारा रोकने की कोशिश नहीं की जा रही है, जो चिंता का विषय है.’
इस अवसर पर जमीअत दो मुख्य पत्र मासिक हिन्दी और अंग्रेज़ी मासिक के विशेषांकों का लोकार्णपण हुआ, जिसमें आईएसआईएस और आतंकवाद के खिलाफ़ फतवे को विशेष रूप से प्रकाशित किया गया है.