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जमीअत ने भी किया कन्हैया का समर्थन, कहा –जबरन आरएसएस की सोच थोपी नहीं जा सकती

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TwoCircles.net Staff Reporter

नई दिल्ली :‘देश को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की किसी भी साज़िश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. विभिन्न धर्मों के मानने वाले अपनी धार्मिक प्रतीकों और पहचान के साथ संविधान के तहत ही ज़िन्दा रह सकते हैं, उस लिए देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए हम अपनी अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहेंगे. जहां तक देश के 25 करोड़ मुसलमानों और पांच करोड़ ईसाइयों की घर वापसी की बात है तो यह धमकी देने वाले इस बात को ध्यान में रखें कि केवल वे ही नहीं बल्कि दूसरों ने भी अपनी माँ का दूध पिया है.’

जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने सांप्रदायिक ताक़तों को यह चेतावनी आज दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित ‘राष्ट्रीय एकता सम्मेलन’ के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए दिया.

Jamiat Program

मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि –‘देश में सांप्रदायिकता का ऐसा नंगा नाच पहले कभी नहीं हुआ. हालात इस समय जितना चिंताजनक हैं, अतीत में इसकी कोई मिसाल नहीं मिलती. देश पूरी तरह फासीवाद की पकड़ में चला गया है. इसलिए ज़रूरत इस बात की है कि देश में धर्मनिरपेक्षता और क़ानून की सर्वोच्चता पर विश्वास रखने वाली राजनीतिक, सामाजिक संगठन व संस्थान सांप्रदायिक ताक़तों के खिलाफ़ एकजुट होकर उनके नापाक इरादों को नाकाम कर दें, क्योंकि अगर मुल्क में संविधान और कानून का शासन नहीं होगा तो यह देश के बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक दोनों के लिए विनाशकारी होगा.’

मौलाना मदनी ने सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि किसी को देशभक्ति का सर्टिफिकेट देने वाले या किसी देश का गद्दार क़रार देने वाले ये कौन होते हैं? पहले वो यह बताएं कि उन्होंने इस देश के लिए क्या किया है और उनके पूर्वजों ने देश की आज़ादी के लिए क्या बलिदान दिया है?

मौलाना मदनी ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार का समर्थन करते हुए कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान में जबरन आरएसएस की सोच थोपी नहीं जा सकती.

मौलाना मदनी ने हरियाणा और अन्य राज्यों में दलितों पर किए जा रहे अत्याचार की भी निंदा की.

इस मंच पर वर्षों से अपने चचा अरशद मदनी से नाराज़ होकर अपनी खुद की जमीअत उलेमा-ए-हिन्द चलाने वाले मौलाना महमूद मदनी भी नज़र आएं.

मौलाना महमूद मदनी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि –‘देश के जो हालात हैं, उसमें समस्या केवल मुसलमानों का नहीं, बल्कि मानवता का है. इस समय देश संकट में और मानवता मुश्किल में हैं.’

उन्होंने कहा कि अक्सर यह पूछा जाता है कि राष्ट्रीय एकता की बात सिर्फ मुसलमान ही क्यों करता है? तो इसका उत्तर यह है कि इस देश को आज़ाद कराने में हमारे पूर्वजों ने अपना खून बहाया है, यह हमारा देश है, हमें प्यार है, इसलिए हम मूकदर्शक कैसे रह सकते हैं?

दरअसल, अरशद मदनी के साथ मंच पर साथ नज़र आने के बाद मुसलमानों के एक तबक़े में यह उम्मीद फिर से जगी है कि चचा और भतीजा की जंग को अब विराम लग गया हैं और अब दोनों जमीअत फिर से एक साथ हो जाएंगे.

Jamiat Program

इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अपना संदेश भेजा, जिसे राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने पढ़कर सुनाया.

वहीं गुलाम नबी आज़ाद ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज़ादी की लड़ाई में जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के उलेमाओं के बलिदान और सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता. आज एक बार फिर देश कठिन परिस्थितियों से गुज़र रहा है, ऐसे में मौलाना सैय्यद अरशद मदनी के नेतृत्व में जमीअत उलेमा-ए-हिन्द की यह कोशिश सराहनीय है.

आज़ाद ने कहा कि देश में हिन्दू या मुसलमान के बीच कोई लड़ाई नहीं है, बल्कि लड़ाई सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता के बीच है.

उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता चाहे हिन्दूओं में हो या मुसलमानों में, हम दोनों की निंदा करते हैं.

आचार्य प्रमोद कृष्णन ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते कहा कि –‘कल ही उन्होंने कहा है कि पूरी दुनिया उनका परिवार है. वास्तव में यह एक अच्छी बात है, लेकिन अफ़सोस इस बात की है कि पूरी दुनिया को अपना परिवार बताने वाले नरेंद्र मोदी अपने खुद के परिवार को ही अपनाने में हिचक रहे हैं.’

उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि एक 'तथाकथित साधु'मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की बात कर रहा है. दो साल हो गए वह किसी मुसलमान को तो पाकिस्तान नहीं भेज सके, लेकिन खुद प्रधानमंत्री ज़रूर पाकिस्तान चले गए, वह भी बिना बुलाए और भारतीयों को बिना बताए.’

इस सम्मेलन में इनके अलावा जस्टिस कोलसे पाटिल, जॉन दयाल, सांसद मोहम्मद सलीम, मौलाना हबीब उर रहमान, मौलाना अशहद रशीदी, डॉ जफ़रूल इस्लाम, मणिशंकर अय्यर, नावेद हामिद, कासिम रसूल इलियास, गुलज़ार आज़मी सहित अन्य कई महत्वपूर्ण लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए.


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