TwoCircles.net Staff Reporter
‘देश में जो वर्तमान सरकार है, वो आरएसएस के इशारे पर काम कर रही है. उनके विचारधारा को ही आगे बढ़ा रही है. इस सरकार को आम जनता से कोई मतलब नहीं है. देश में दहशत का माहौल है. हर कोई ख़ौफ़ज़दा है. विशेषकर दलित, आदिवासी व अल्पसंख्यक तबक़ा... ये ख़ौफ़ का पैदा होना लोकतंत्र के लिए ख़तरा है. लोकतंत्र शांति चाहती है, इंसाफ़ चाहती है.’
यह बातें आज जामिया नगर के जोगाबाई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज़ के कांफ्रेस हॉल में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के जेनरल सेकेट्री डॉ. मंज़ूर आलम ने कहा.
उन्होंने कहा कि ‘आज मुल्क जिन हालात से गुज़र रहा है, इससे हम सभी अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं. हम अपने दिल में महसूस भी करते हैं कि मुल्क के लोगों को दो हिस्सों में तक़सीम करने की कोशिश की जा रही है. एक पार्टी हिन्दुओं व मुसलमानों के दरम्यान नफ़रत की दीवार खड़ी करके अपना भविष्य संवारने में लगी है. हम अपनी आंखों से यह सारा मंज़र देख रहे हैं और यह सोच कर रह जाते हैं कि धरना, जुलूस और रैली हमारा काम नहीं है. यह काम तो सियासी पार्टियों व मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संस्थाओं का है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि इन सियासी पार्टियों व संस्थाओं को ताक़त हमसे मिलती है. अगर हम ही अपनी ताक़त को न समझ सकें तो क्या सरकार क्या तवज्जो देगी?’
दरअसल, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल 28 फरवरी 2016 को नई दिल्ली के मालवंकर हाल में ‘शांति एवं न्याय की मांग और हमारी ज़िम्मेदारियां’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. आज का यह प्रेस कांफ्रेंस इसी के संदर्भ में था.
इस एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में जस्टिस राजेन्द्र सच्चर, जस्टिस अहमदी, स्वामी अग्निवेश, के. रहमान खान, जॉन दयाल जैसे 35 से अधिक अहम वक्ताओं के नाम शामिल हैं.
इस प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए डॉ. मंज़ूर आलम ने कहा कि –‘इस भारत में जिस तरह अशांति और अविश्वास का पैदा हो रहा है, वो ख़तरे की घंटी है. इस सरकार पर विशेष रंग चढ़ा हुआ है. और सरकार का हर फैसला उसी रंग के उत्थान और विकास से जुड़ा है. जो लोग इस दायरे से बाहर हैं, उन सबके सामने गंभीर सवाल हैं और उनका जवाब नहीं मिल पा रहा है. लेकिन हम उन्हीं का जवाब तलाशने के लिए 28 फरवरी को जमा होंगे.’
इस प्रेस वार्ता में डॉ. मंज़ूर आलम ने रोहित वेमुला व जेएनयू के मुद्दे पर भी बात की और पत्रकार के कई सवालों के जवाब भी दिएं. और आख़िर में कहा कि –‘आप पत्रकारों के क़लम की नोंक भले ही टूट जाए, लेकिन झुकनी नहीं चाहिए.’
डॉ. मंज़ूर आलम के कुछ अहम बातों को आप नीचे के वीडियो क्लिपों में सुन सकते हैं.