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IMRC का स्वास्थ जागरूकता अभियान: तीन दिनों में हुआ 1500 मरीजों का इलाज

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By TwoCircles.net Staff Reporter

लखनऊ/बाराबंकी:भारत के कोनों-कोनों तक पहुंचकर राहत कार्य करने वाली अमरीका संस्था इन्डियन मुस्लिम रिलीफ एंड चैरीटीज़ यानी IMRC के सातवें सालाना स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के पहले ही दिन अमरीका के १० चिकित्सकों ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में तकरीबन 550 ज़रूरतमंदों का इलाज किया. जबकि अभियान के पहले चरण में कम से कम 1500 ज़रूरतमंदों को मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गयीं.

20 फरवरी से 23 फरवरी तक चलने वाले इस सालाना अभियान के पहले चरण में लखनऊ के पास बाराबंकी रोड पर स्थित जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कैम्प से इस अभियान की शुरुआत हुई.


IMRC का स्वास्थ जागरूकता अभियान: तीन दिनों मे ं हुआ 1500 मरीजों का इलाज

IMRC की मुहिम की शुरुआत साल 2010 में शुरू हुई थी. तब से लेकर आजतक कम से कम छः बार इस मुहिम के दम पर IMRC ने भारत के गाँवों, बस्तियों और शहरों में घूम-घूमकर ज़रूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा दी है. अभियान की ख़ास बात है कि इस से लोगों और क्षेत्र के लोकल डॉक्टरों को स्वास्थ्य सेवाओं की बारीक और मौलिक जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही लोगों को हेल्थ केयर की मौलिक जानकारी से रूबरू कराया जाता है. बीते साल हैदराबाद, बीजापुर और बांगरपेट में मिलाकर लगभग दस हजार मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं दी गयी थीं.

अलग-अलग क्षेत्रों के दस विशेषज्ञों के साथ इस कैम्प की शुरुआत की गयी है और रोचक बात यह है कि यह सभी डॉक्टर अमरीका से ताल्लुक रखते हैं. इन दस डाक्टरों में महिला रोग, शिशु रोग, सर्जरी, जनरल मेडिसिन के साथ अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं.

20 फरवरी को अभियान के पहले दिन डॉक्टरों ने मिलकर लगभग 550 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उन्हें ज़रूरी सुविधाएं मुहैया करायीं.


IMRC का स्वास्थ जागरूकता अभियान: तीन दिनों मे ं हुआ 1500 मरीजों का इलाज

65 साला शहाबुद्दीन की नज़रों के साथ दिक्क़त है, वे बाक़ायदा साफ़ नहीं देख पाते हैं. बाराबंकी के एक छोटे से गाँव से 35 किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद वे इस स्वास्थ्य कैम्प में आए, और अपने विचार हमसे साझा किए.

उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत सारे आँख के डॉक्टरों के यहाँ हो चुका हूँ. लेकिन किसी ने भी उस तरह का इलाज नहीं किया जैसे इस मेडिकल कैम्प के डॉक्टर बिना पैसों के कर रहे हैं. दूसरे अस्पतालों में ढेर सारे पैसे ऐंठने के बावजूद सही इलाज नहीं मिलता है, लेकिन यहां सभी सुविधाएं बिना पैसों के मिल रही हैं. दवाओं और ज़रूरी जांच के लिए मुझे एक रुपया भी नहीं देना पड़ा.’

22 साला मोहम्मद नूरियां लगभग 400 किलोमीटर का सफ़र करने के बाद इस कैम्प में पीलिया के बाद की कमजोरी से निजात पाने के लिए इस स्वास्थ्य कैम्प में आए थे. जांच के दौरान हुई बातचीत में उन्होंने बताया, ‘पहले मैं रोज़ दो घंटे फ़ुटबाल खेलता था लेकिन अब दो मिनट भी चल लेता हूं तो थकान हो जाती है. यहाँ दिखा लिया है, अब डॉक्टरों ने जांच कराने को कहा है जो अच्छा है कि मुफ्त है.’


IMRC का स्वास्थ जागरूकता अभियान: तीन दिनों मे ं हुआ 1500 मरीजों का इलाज

मुहिम में लगे डॉ. जॉन रॉज़ेन्बर्ग ने कहा, 'ये कोई छोटा और आसान काम नहीं है. हमने लगभग 550 मरीजों को पहले दिन देखा था. दर्द, एलर्जी और पेट की बीमारियों से परेशान रोगियों की संख्या ज्यादा थी. शुरुआत अच्छी और उत्साह से भर देने वाली हुई है. हम लगे हुए हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मुक़म्मिल सुविधाएं पहुंचा सकें.'

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कामिल अहमद ने जानकारी दी कि पेट, फेफड़ों और स्किन के संक्रमण के रोगी बच्चों की संख्या ज्यादा थी. कुछ रोगी ऐसे भी थे, जिन्हें किस्म-किस्म के दौरे आते थे.

लोगों को दवाइयों के साथ ज़रूरी मेडिकल जांच और एक्स-रे जैसे महंगे जांच मुफ्त में मुहैया कराए गए. स्वास्थ्य शिविर में कई सौ किलोमीटर का सफ़र तय करके आने वाले अशक्त और गरीब तबके के लोग शामिल थे, जो अभियान का हिस्सा बनने के बाद खुद को खुशनसीब मान रहे थे.

संस्था के निदेशक मंज़ूर ग़ोरी ने कहा, ‘भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की सुविधाएं पहुंचाने के लिए बहुत मेहनत और ऊर्जा की ज़रुरत है. लेकिन काम के बाद एक संतुष्टि का एहसास होता है कि इन लोगों के जीवन में हम कोई सुधार लाने का प्रयास कर सके. लखनऊ के बाद हमारा अभियान केरल और हैदराबाद की ओर कूच करेगा.’

लखनऊ के बाद हैदराबाद में ब्राईट फ्यूचर स्कूल(हसन नगर), इंडो-यूएस स्कूल(किशन बाग़), शाहीन नगर मरकाज़ और बाबा नगर इंडो-यूएस स्कूल में 26-29 फरवरी तक यह मेडिकल जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.

इसके बाद केरल के कोझिकोड शहर के कूदारंजी, मुक्कम और कोडियाथूर गाँवों में 3 मार्च से लेकर 6 मार्च तक अभियान का अंतिम सत्र चलेगा.

IMRC की नींव साल 1981 में रखी गयी थी. अमरीका की यह चैरिटेबल संस्था अन्य लगभग 100 संस्थाओं के साथ मिलकर भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कई किस्म के कार्यक्रम चला रही है. संस्था का उद्देश्य ज़रूरतमंद तबके को शिक्षा, आपातकालीन सेवाएं, स्वास्थ्य व न्यायसम्बंधी ज़रूरतें, खाना और छत की ज़रूरतें मुहैया कराना है. असम दंगे 2012, मुज़फ्फरनगर दंगे 2013, 2014 की कश्मीर बाढ़ और 2015 की चेन्नई बाढ़ के वक़्त संस्था ने घरों-घरों तक जाकर लोगों को ज़रूरी सेवाएं प्रदान की हैं. संस्था की लोगों से अपील है कि वे यदि भोजन या पैसों के रूप में IMRC को चन्दा देना चाहते हैं तो वे www.imrcusa.orgपर जाकर साथ निबाह सकते हैं.


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