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अलीगढ़ में अभियान थमना और ‘घर-वापसी’ की रस्साकशी

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By सिद्धान्त मोहन, TwoCircles.net,

आगरा/अलीगढ़: “धर्मान्तरण अपराध है, ‘घर-वापसी’ नहीं”, यह कहना था भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ का, जब वे किसी चुनावी मजलिस को संबोधित कर रहे थे. योगी आदित्यनाथ के इस बयान के कई अर्थ समझ में आते हैं. पिछले हफ़्ते उठे धर्मांतरण के बवाल के बाद जनता और विपक्ष सरकार से इस मामले पर जवाब मांग रही थी. नयी-नवेली सरकार से यह अपेक्षा भी की जा रही थी कि वह इस मामले में एक मजबूत पक्ष रखकर दोषियों पर उचित कार्रवाई करेगी.

सरकार और सदन में इस बात पर सहमति बनी कि धर्मांतरण के खिलाफ़ कानून बनाया जाएगा. हां, भारतीय समाज धर्मांतरण के लिए कानून की प्रतीक्षा कर रहा है. लेकिन जानकार कहते हैं कि सरकार आगरा धर्मान्तरण मामले में कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से बच रही है, इसलिए वह ‘कानून बनाने’ का चोगा जनता और मीडिया के सामने रख दे रही है.



पुलिस की गिरफ्त में नन्द किशोर वाल्मीकि (साभार - जागरण)

बात सही भी है, यदि पूर्ण बहुमत से आई सरकार किसी ज्वलंत मुद्दे पर कार्रवाई करने से बचे तो उसके कई अर्थ निकलते नज़र आते हैं. यह तब और भी साफ़ हो जाता है जब भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आपसी रिश्ते स्पष्ट हों, और तब तो और भी जब लोकसभा स्पीकर सदन में आरएसएस को मुद्दा न बनाए जाने की बात करें और वैंकेया नायडू यह कहें कि मुझे अपने संघी होने पर गर्व है.

अभी तक की तो खबर यह है कि धर्म जागरण समिति, जिसने अलीगढ में एक बड़े पैमाने पर आगामी क्रिसमस को ‘घर-वापसी’ का कार्यक्रम तय किया था, ने घोषणा कर दी है कि यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. समिति के संयोजक बृजेश कंटक और जिला समन्वयक सत्य प्रकाश ने मीडिया को यह जानकारी दी. आगरा के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने समिति के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि सवाल कार्यक्रम होने देने या न होने देने का है ही नहीं. यदि निजी स्तर पर भी कार्यक्रम किया जाता, उस हाल में भी हम इसे नहीं होने देते.

ज्ञात हो भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने भी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सहमति जताई थी. अलीगढ़ में कार्यक्रम के मद्देनज़र बंट रहे कार्डों और पर्चों में भी हर जगह बतौर मुख्य अतिथि योगी आदित्यनाथ का नाम लिखा है. अब इस मोड़ पर पहुंचने के बाद कार्यक्रम रद्द हो जाने के कई मानी हैं.

पहले तो यही बात अनिश्चित है कि क्या धर्म जागरण समिति ने कार्यक्रम रद्द किया है या उसे टाल दिया गया है? सूत्रों की मानें तो संघ के ऊपरी पंक्ति के दखल के बाद इस कार्यक्रम को स्थगित किया गया है, क्योंकि यह कार्यक्रम सरकार के गले की फांस बनता जा रहा था. लेकिन इन बातों के साथ यह भी सम्भावना ज़ोर पर है कि ऐन वक्त पर धर्मान्तरण सम्बन्धी दल पलटी मारकर कार्यक्रम को अंजाम दे सकते हैं.

अलीगढ़ में अब स्थगित हो चुके कार्यक्रम को लेकर एक बड़े स्तर की तैयारी चल रही थी. सूत्रों के मुताबिक धर्मांतरण के लिए एक मुख्य दल का गठन किया गया था. इस मुख्य दल के अलावा कई सहायक दलों का भी गठन किया गया था, ताकि धर्मांतरण के कार्यक्रम के मद्देनज़र यदि मुख्य दल किसी कानूनी कार्रवाई का शिकार हो जाता है तो सहायक दल उसकी जगह ले सकें. अलीगढ़ में कुछेक रोज़ पहले विहिप और संघ के नेताओं की बैठक भी हुई थी, जिसमें उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान उठ सकने वाली बाधाओं को पार करने पर बातचीत हुई थी.

लोगों को जुटाने के लिए ईसाईयों और मुस्लिमों को काम पर लगाया जा रहा था और संघ व बजरंग दल के कार्यकर्ता भी ज़मीनी स्तर पर लोगों के घर-घर जाकर उनसे मिल रहे थे. अपुष्ट खबर यह भी थी कि अलीगढ़ में इन नेताओं ने गोपनीय स्तर पर कई मीटिंग की थीं, जिनका प्रमुख एजेंडा मुहिम को सफल बनाने का था.

अब यह कार्यक्रम ठन्डे बस्ते में है, लेकिन सम्भावना अभी भी बनी हुई है इसलिए अलीगढ़ प्रशासन में व्यवस्था में कोई भी ढिलाई नहीं दी है और नगर में अभी भी निषेधाज्ञा लागू है.

आगरा ‘घर वापसी’ मामले में सदर थाने में दर्ज एफआईआर के अंतर्गत पुलिस ने मुख्य आरोपी नन्द किशोर वाल्मीकि को गिरफ़्तार कर लिया. ज्ञात हो नन्द किशोर एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार चल रहा था. 8 पुलिस टीमें कोर्ट के गैर-जमानती वारंट के साथ उसे लगभग पूरे ब्रज प्रांत में ढूंढ रही थी.

वाल्मीकि को ढूंढने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग हरेक प्रमुख हिंदूवादी नेता के घर पुलिस और खुफिया विभाग की ओर से दबिश भी दी गयी थी, जिसका संघ ने पुरज़ोर विरोध भी किया था. ‘घर-वापसी’ को लेकर उठे बवाल और सरकार के घेराव को धता बताने की नीयत से संघ, बजरंग दल, भाजयुमो, विहिप, हिन्दू जागरण मंच, संस्कार भारती, अभाविप के साथ-साथ भाजपा सदस्यों ने भी प्रदर्शन किया. वाल्मीकि पर 12 हज़ार रुपयों का इनाम भी रखा गया था. सदर थाने में वाल्मीकि पर 153 (बी), 415 और 417 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पुलिस से बचने के लिए वाल्मीकि कासगंज, एटा, अलीगढ़ और आगरा जैसे इलाकों में शरण ले रहा था.

एसएसपी शलभ माथुर ने बताया कि वाल्मीकि के खिलाफ़ पहले भी आगरा के कई थानों में मुक़दमे दर्ज़ किए गए हैं. 2001 में वाल्मीकि के खिलाफ़ शराब तस्करी का मामला, 2002 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. 2012 में वाल्मीकि ने पार्षद का चुनाव लड़ा लेकिन वह असफल हुआ. इस मामले में रोचक पहलू यह भी है कि ‘ऑन कैमरा’ दिख रहे बजरंग दल और संघ सदस्यों के खिलाफ़ अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी है. सूत्रों के मुताबिक वाल्मीकि ‘आसान शिकार’ है.

मनमोहन सिंह सरकार के बहाने ‘हनीमून’ पीरियड का राग अलापकर मौजूदा केन्द्र सरकार ने एक मुक़म्मिल वक्त अपने लिए सुरक्षित करने का प्रयास तो किया, लेकिन वह उसमें बेतरह नाकाम साबित हुई. केन्द्र सरकार, जो व्लादिमीर पुतिन और अन्य योजनाओं में लिप्त है, ने इस मामले में बयानी खानापूरिई तो की ही, साथ ही सरकार ने अपने मंत्रियों को सलाहियत भी दे दी कि आपने कुछ गलत नहीं किया है, आपको बचाव करने की कोई ज़रूरत नहीं है.



(Courtesy: The Hindu)

प्रश्न उठता है कि ‘गलत नहीं किया है’ का मतलब साफ़ अर्थों में क्या समझा जाए. सरकार और मंत्रियों ने पहले तो इस कार्यक्रम में भाजपा की संलिप्तता से इनकार कर दिया, लेकिन जब योगी आदित्यनाथ ने अपनी भाषा में बात रखनी शुरू की तो यह सम्बन्ध और संलिप्तता साफ़ हो गयी. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने तो सदन में यहा सवाल तक उठा दिया कि प्रधानमंत्री की घर-वापसी कब होगी? दरअसल विपक्ष इस मामले में लगातार प्रधानमंत्री की जवाबदेही पर अड़ा हुआ है, संसद के दोनों सदनों में भाजपा के अन्य नेताओं ने जवाबदेही के तुष्टिकरण का काम किया है, लेकिन यह अभी तक अधूरा प्रयास ही है.

यह मामला इतना पेचीदा है कि सरकार की जवाबदेही और असल दोषियों पर कार्रवाई की ज़रूरत लगातार बनी हुई है. चाहे मुद्दा ‘धर्मांतरण’ का हो या ‘घर-वापसी’ का, यह प्रैक्टिस अपनी मर्ज़ी की पसंद का है. इसे थोपा नहीं जा सकता है, न ही इसके लिए लुभाया जा सकता है.

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