Afroz Alam Sahil, TwoCircles.net
भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी उद्योगपतियों, कारोबारियों व व्यापारियों की पार्टी कही जाती है. बड़े-बड़े उद्योगपति, कारोबारी और व्यापारी हमेशा से इस पार्टी को चंदा देते आए हैं. क्योंकि कांग्रेस की तरह यहां पार्टी के नेताओं द्वारा चंदा देने की रिवायत बिल्कुल न के बराबर है. लेकिन इस ‘न’ देने की रिवायत के विपरित नरेन्द्र मोदी ने गुजरात का सीएम रहते हुए पार्टी को न सिर्फ गुजरात से चंदा दिलवाया है, बल्कि खुद कई बार चंदा भी दिया है.
TwoCircles.netको चुनाव आयोग से मिले बीजेपी के चंदे की सूची बताती है कि नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के पूर्व साल 2013-14 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के दो चेकों के माध्यम से 1.42 लाख का चंदा अपनी पार्टी को दिया है. इससे पूर्व साल 2012-13 में नरेन्द्र मोदी ने 5.5 लाख का चंदा अपनी पार्टी के अकाउंट में डाला था.
हैरान कर देने वाली बात यह है कि 2009-10 में गुजरात सरकार ने भी स्टेट ऑफ इंडिया के चेक नम्बर 482811 के ज़रिए 25 हज़ार का चंदा बीजेपी के खाते में दिया है. यहां सवाल यह पैदा होता है कि क्या कोई सरकार किसी पार्टी को चंदा दे सकती है? चाहे चंदे की रक़म छोटी ही क्यों हो.
एक सच यह है कि पार्टी में चाहे किसी बड़े लीडर ने कभी कोई चंदा न दिया हो, लेकिन गुजरात की मुख्यमंत्री आनन्दीबेन पटेल पीएम मोदी की परम्परा को आगे ज़रूर बढ़ाने का काम किया है. उन्होंने भी साल 2013-14 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के दो चेकों के माध्यम से 1.42 लाख का चंदा अपनी पार्टी को दिया है.
हालांकि 2014-15 के चंदे की सूची में बीजेपी के किसी बड़े नेता का नाम नज़र नहीं आता. लेकिन 2013-14 के दानदाताओं की सूची में वर्तमान केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का नाम ज़रूर नज़र आता है. स्मृति ईरानी ने अपनी पार्टी को साल 2013-14 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के दो चेकों के माध्यम से 1.60 लाख का चंदा अपनी पार्टी को दिया है.
स्पष्ट रहे कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव के पूर्व दूसरे राष्ट्रीय दलों के तुलना में सबसे अधिक चंदा मिला था. 2014-15 में सभी दलों को 622.38 करोड़ रुपये चंदा मिला, जिसमें से 437.35 करोड़ रुपये सिर्फ़ बीजेपी को मिले हैं.
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के नियमित दानदाता बहुत कम हैं. अर्थात जो एक बार दे दिया दुबारा देना मुनासिब नहीं समझता. पार्टी ज्यादातर अपना चंदा देश भर के बिल्डर और उससे जुड़े उद्योगों, कारोबारियों व व्यापारियों से ही प्राप्त करती है. यदि कभी सच सामने आ सके तो यह जानना दिलचस्प होगा कि जिस-जिस साल में जो बड़ा व्यापारी चंदा देता है, वह उस साल क्या फायदा हासिल करता है?
दरअसल, बीजेपी 'पार्टी विथ द डिफ्रेंस'का नारा देती रही है. लेकिन जब हम इस पार्टी को मिलने वाले चंदे की सूची देखते हैं तो 'पार्टी विथ द डिफ्रेंस'की पोल खुल जाती है. विचारधारा, दृष्टिकोण और नीतियों की बात करने वाली इस पार्टी को पार्टी को कभी बीफ़ से परहेज़ था, लेकिन इस पार्टी को चंदे मिलने वाली चंदे की सूची बताती है कि बीफ़ एक्सपोर्ट कम्पनी से भी चंदा लेने में कोई परहेज़ नहीं है.