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जंग-ए-आज़ादी में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ पहला फ़तवा मौलाना शाह अब्दुल क़ादिर लुधियानवी ने जारी किया था...

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TwoCircles.net News Desk

लुधियाना :‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम 1857 ई0 में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ पहला फ़तवा मौलाना शाह अब्दुल क़ादिर लुधियानवी ने जारी किया था और आज दुनियाभर में अरबी भाषा सीखने के लिए पढ़ा जाने वाला क़ायदा ‘‘नूरानी क़ायदा’’ लुधियाना के ही मौलाना नूर मुहम्मद ने लिखा था.'

ऐसे अनेकों जानकारियां समेत लधुनियाना का समस्त इतिहास को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभा चुके ‘मौलाना हबीब परिवार’ से संबंधित शाही इमाम पंजाब के सुपुत्र मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी की लिखी पहली पुस्तक ‘काफिला-ए-ईलमों हुर्रियत’ उर्दू भाषा में प्रकाशित हो गई है.

यह जानकारी स्वयं नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिए दी.

Book Release on Ludhiyana

उन्होंने बताया कि लुधियाना के इतिहास पर उन्होंने 15 वर्ष पूर्व काम शुरू किया था और इस रिसर्च के दौरान उन्होंने भारत की तकरीबन सभी प्रसिद्ध लाइब्रेरियों में जाकर इतिहास की जानकारी एकत्रित की.

मौलाना उसमान ने बताया कि यह ऐतिहासिक पुस्तक 1720 ई0 से शुरू की गई है और इसमें 1947 ई0 तक लुधियाना में पैदा हुए उन सभी प्रसिद्ध इस्लामी विद्वानों का वर्णन है, जिन्होंने लुधियाना को दुनियाभर में पहचान दिलवाई.

मौलाना उसमान ने बताया कि यह पुस्तक प्रकाशित होकर अब आ चुकी है. इस पुस्तक के कुल 993 अध्याय हैं और कुछ ऐतिहासिक चित्र भी हैं.

उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में लुधियाना की स्थापना से लेकर 1947 ई0 तक के सभी अहम तथ्य क़लमबंद किये गए हैं और विशेषकर लुधियाना में बनी इंडस्ट्री की शुरूआत किन लोगों ने की, उनका भी वर्णन है. अंग्रेज़ शासन में हुए जुल्म और स्वतंत्रता संग्राम में दी गई लुधियानवियों की कुरबानियों का संक्षिप्त वर्णन किया गया है.

मौलाना उसमान रहमानी ने बताया कि जल्दी ही उनकी इसी विषय पर दूसरी पुस्तक ‘‘दास्तान-ए-लुधियाना’’ हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने जा रही है, जिसमें 1857 ई0 से 1947 ई0 तक चले स्वतंत्रता संग्राम में लुधियानवियों के योगदान का वर्णन होगा.

उन्होंने बताया कि दास्तान-ए-लुधियाना हिन्दी में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रइस-उल-अहरार मौलाना हबीब-उर-रहमान लुधियानवी, महान सपूत लाला लाजपत राय, नामधारी समाज के सतगुरू राम सिंह जी, शहीदे वतन सुखदेव थापड़, रहीम जोए, करीम जोए, लाला पूला राम जैसे उन सभी जांनिसारों की जीवनी होगी. जिन्होंने हमारे आज के लिए अपना सब कुछ देश पर न्योछावर कर दिया.


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