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मेरे जेल जाने के बाद बच्चे पढ़ाई छोड़ सिलाई का काम करने को मजबूर हो गए -शेख मुख्तार हुसैन

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TwoCircles.net News Desk

लखनऊ :‘फिर से जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए जो पैसा रुपया चहिए, वह कहां से आएगा? सरकार पकड़ते समय तो हमें आतंकवादी बताती है पर हमारे बेगुनाह होने के बाद न तो हमें फंसाने वालों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई होती है और न ही मुआवजा मिलता है.’

यह बातें आज 8 साल 7 महीने लखनऊ जेल में रहने के बाद देशद्रोह के आरोप से दोषमुक्त हो चुके शेख मुख़्तार ने रिहाई मंच द्वारा आयोजित लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान कहा.

पत्रकारों द्वारा सवाल पूछने पर कि मुआवजा की लड़ाई लड़ेगे? इस पर शेख मुख्तार ने कहा कि –‘छोड़ने के वादे से मुकरने वाली सरकार से मुआवज़े की कोई उम्मीद नहीं.’

Sheikh Mukhtar Hussain

मिदनापुर निवासी शेख मुख्तार हुसैन जो कि मटियाबुर्ज में सिलाई का काम करते थे, ने बताया कि उसने एक पुराना मोबाइल खरीदा था. उस समय उसकी बहन की शादी थी. उसी दौरान एक फोन आया कि उसकी लाटरी लग गयी है और लाटरी के पैसों के लिए उसे कोलकाता आना होगा.

इस पर उसने कहा कि अभी घर में शादी की व्यस्तता है अभी नहीं आ पाउंगा. उसी दौरान उसे साइकिल खरीदने के लिए नंद कुमार मार्केट जाना था तो उसी दौरान फिर से उन लाटरी की बात करने वालों का फोन आया और उन लोगों ने कहा कि वे वहीं आ जाएंगे.

फिर वहीं से उसे खुफिया विभाग वालों ने पकड़ लिया. जीवन के साढे़ आठ साल बर्बाद हो गए. उनका परिवार बिखर चुका है. उन्होंने अपने बच्चों के लिए जो सपने बुने थे, उसमें देश की सांप्रदायिक सरकारों, आईबी और पुलिस ने आग लगा दी. उनके बच्चे पढ़ाई छोड़कर सिलाई का काम करने को मजबूर हो गए, उनकी बेटी की उम्र शादी की हो गई है. लेकिन साढे आठ साल जेल में रहने के कारण अब वे पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. अब उनके सामने आगे का रास्ता भी बंद हो गया है.

शेख मुख्तार से यह पूछने पर कि अब आगे जिंदगी कैसे बढ़ेगी, तो उन्होंने कहा कि बरी होने के बाद भी हमें ज़मानत लेनी है और अभी तक हमारे पास ज़मानतदार भी नहीं है. हम एडवोकेट मोहम्मद शुऐब के उपर ही निर्भर हैं.

इस सिलसिले में मोहम्मद शुऐब से पूछने पर कि ज़मानत कैसे होगी? ये कहते हुए वो रो पड़े कि आतंकवाद के आरोपियों के बारे में फैले डर की वजह से मुश्किल होती है और लोग इन बेगुनाहों के ज़मानतदार के बतौर खड़े हों. इसीलिए मैंने इसकी शुरूआत अपने घर से की. मेरी पत्नी और साले ज़मानतदार के बतौर खड़े हुए हैं.

इन भावनाओं से प्रभावित होते हुए पत्रकार वार्ता में मौजूद आदियोग और धर्मेन्द्र कुमार ने ज़मानतदार के बतौर खड़े होने की बात कही.

मो. शुऐब ने समाज से अपील की कि लोग ऐसे बेगुनाहों के लिए खड़े हों. इस मामले में अभी और ज़मानतदारों की ज़रूरत है. अगर कोई इनके लिए ज़मानतदार के बतौर खड़ा होगा तो ये जल्दी अपने घर पहुंच जाएंगे.


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