By TwoCircles.net Staff Reporter
किशनगंज:‘हमारी पार्टी 'ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (मजलिस)'ने बिहार के चुनाव में हिस्सा लिया, ताकि सीमांचल के साथ इंसाफ़ हो. मैं इस बात का वादा करता हूं कि जो मक़सद कल था, वो आज भी रहेगा. बल्कि हम तमाम लोग साथ मिलकर सीमांचल की लड़ाई को आगे भी जारी रखेंगे. हमारी ये लड़ाई उस वक़्त तक जारी रहेगी, जब तक सीमांचल के आवाम को इंसाफ़ नहीं मिल जाता.’
यह बातें शनिवार को मजलिस के सरबराह सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने किशनगंज के टाउनहॉल में पार्टी के ‘कार्यकर्ता सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहीं.
इस सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘इलेक्शन में जीत-हार लगी रहती है. लेकिन हमें मायूस होने की हरगिज़ ज़रूरत नहीं है और न ही अपनी ज़बान से यह अल्फ़ाज़ निकालने की ज़रूरत है कि हम इलेक्शन हारे. क्योंकि हमारा मज़हब इस बात की तालीम देता है कि अल्लाह की रहमत से मायूस न हों. इसलिए मायूस होने की ज़रूरत नहीं है. अल्लाह की रहमत से हमें उम्मीद रहना चाहिए.’
अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ओवैसी ने पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद की जिन्दगी में आने वाले परेशानियों से भी आगाह किया और सुझाव दिया कि हमें उनकी ज़िन्दगी को देखना चाहिए और सीखना चाहिए.
ओवैसी ने आगे यह भी कहा कि बिहार चुनाव में पार्टी की हार हुई है, हौसले की नहीं. पार्टी राज्य के दलितों एवं अक़्लियतों के साथ किसी तरह का नाइंसाफी नहीं होने देगी.
इस मौक़े पर ओवैसी ने बिहार की नीतीश सरकार को मुबारकबाद देते हुए यह चेतावनी भी दी कि नई सरकार दलित एवं अल्पसंख्यकों के साथ बेइंसाफी बंद करे. उन्होंने लालू-नीतिश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सूबे में 11 फीसदी यादव के वोट में 61 विधायक विधानसभा पहुंचे है, लेकिन 17 प्रतिशत मुसलमानों का वोट होने के बावजूद 24 विधायक ही जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं. जबकि आबादी के अनुरूप विधानसभा में कम से कम 55 मुसलमान विधायक होना चाहिये. उन्होंने यह भी कहा कि पांच वर्ष लम्बा वक़्त नहीं होता है. इंतजार कीजिये. हम अपना हक़ लेकर रहेंगे.
मजलिस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अख्तरुल ईमान ने इस मौक़े पर कहा कि उनकी पार्टी आगामी ग्राम पंचायत चुनावों में पूरे दमखम से उतरेगी और अच्छी कामयाबी हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि सीमांचल क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में मज़बूती से संगठन खड़ा करेगी.
दरअसल, कहा जा रहा था कि ओवैसी चुनाव के बाद बिहार का रूख नहीं करेंगे, लेकिन चुनाव हारने के बाद भी उनका सीमांचल के किशनगंज में आकर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलना यह बताता है कि आगे वाले चुनावों में ओवैसी मुसलमानों के लिए विकल्प बने रहना चाहते हैं.
पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ओवैसी 2016 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी सीमांचल से सटी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं. 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में कूदने का ऐलान वह पहले ही कर चुके हैं. बल्कि 2016 में होने वाले यूपी के उपचुनाव में भी ओवैसी अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं. ऐसे में ओवैसी चाहते हैं कि बिहार में कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज तैयार की जाए ताकि उनका इस्तेमाल पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश में किया जा सके. इतना ही नहीं, आदिल हसन आज़ाद की मानें तो ओवैसी अभी से ‘मिशन-2019’ का भी आगाज़ करने का इरादा रखते हैं.