By अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net,
कलकत्ता के एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी अख़बार ‘टेलीग्राफ़’ ने आज अपने पहले पन्ने पर पहली ख़बर के ज़रिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछा है कि –‘प्रधानमंत्री, आज आपकी पार्टी कौन सा चेहरा दिखाएगी?’
इस ख़बर में बीजेपी के बुरे व अच्छे दोनों चेहरों को दिखाया गया है. शाहरूख़ खान के मसले पर बीजेपी नेताओं के आए बयानों के आधार पर बीजेपी की रणनीति भी दिखाई गई कि कैसे पार्टी के नेता पहले भड़काउ बयान देते हैं, फिर दूसरे नेता आकर उसे नीजि बयान बताकर उसकी निन्दा कर देते हैं. लेकिन तब तक वो ‘भड़काउ’ बयान अपना काम कर चुका होता है. जो लाभ उनको चाहिए वो उन्हें मिल चुका होता है.
इस ख़बर को राजनीति के जानकार बिहार चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं. साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए एक के बाद एक आए विज्ञापन से भी इसे जोड़ कर देखा जा रहा है कि कैसे बीजेपी पहले ‘विकासवाद’ को चुनावी मुद्दा बताती है, लेकिन जब बिहार की जनता इनके इस मुद्दे को महज़ ‘चुनावी जुमला’ समझकर सिरियसली नहीं लेती है तो यह विकास का यह मुद्दा गायब हो जाता है. सारी पॉलिटिक्स ‘गौ-माता’ के इर्द-गिर्द घूमने लगती है. लेकिन जब इससे काम नहीं बनता तो आखिरी बचे चरणों में इस पार्टी के पास एक ही मुद्दा बच जाता है कि कैसे हिन्दू व दलितों को लामबंद किया जाए और उनका वोट किसी भी तरह से हासिल करके सत्ता की फ़सल काटने की कोशिश की जाए.
क्योंकि अब इस आख़िरी चरण में जहां मतदान होने थे, वहां अधिकतर विधानसभा सीटों पर दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों की ही जनसंख्या अधिक थी, बल्कि अधिकांश सीट मुस्लिम बहुल थे. इस पार्टी को यह पता है कि मुसलमान तो किसी तरह से उनके साथ आएगा नहीं. ऐसे में किसी भी तरह से दलितों-पिछड़ों को अपने साथ करना ही अधिक लाभदायक होगा.
फिर बीजेपी आतंकवाद को मुद्दा बनाती है. पर जब इसे भी सिरियसली नहीं लिया जाता है तो पॉलिटिक्स में ‘पाकिस्तान’ आ जाता है. लेकिन इन सबसे जब कोई खास लाभ नहीं दिखता तो सबसे आखिर में फिर से ‘गौ-माता’ का ही सहारा लेना मुनासिब समझा जाता है.
ऐसे में किसी अख़बार के पहले पन्ने पर पहली खबर के रूप में प्रधानमंत्री से इस तरह का सवाल कई तरह के सवालों को जन्म देता है. साथ ही इस बात का भी आशंका व्यक्त करता है कि कैसे बीजेपी सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है.
आज ख़त्म हो रहा बिहार विधानसभा चुनाव का पांचवा व आख़िरी चरण कई मायनों में महत्वपूर्ण है. राजनीति के जानकार बताते हैं कि जो इस चरण में जो आगे निकल गया, समझो वो बहुत आगे निकल गया. शायद तब उसे गद्दी पर बैठने से कोई नहीं रोक पाएगा. यानी आज का मतदान बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाला है.
इस बीच आज के आखिरी चरण का मतदान अपने आखिरी पायदान पर है. बिहार के लोगों में मतदान को लेकर ज़बरदस्त उत्साह है. खास तौर पर महिलाएं काफी संख्या में घर से निकल कर मतदान कर रही हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ें बताते हैं कि दोपहर 12 बजे तक 32 फीसदी मतदान हो चुका है.