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समस्तीपुर लाइव : 'छोटी जातियों'का समर्थन महागठबंधन को

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पहले चरण के मतदान से पूर्व बातचीत में रोसड़ा के दलितों ने दिए इशारे

राजन झा,

रोसड़ा, समस्तीपुर:दलितों के वोट की मदद से बिहार चुनाव जीत लेने के सपना देख रही भाजपा के लिए राहें इतनी आसान नहीं दिख रही हैं. दलितों के वोटिंग बिहेवियर को स्थानीय मुद्दे, जीतनराम मांझी और रामविलास पासवान के चेहरे से कहीं अधिक प्रभावित करते दिख रहे हैं.

यह रुझान प्रथम चरण के मतदान से चंद घंटे पूर्व समस्तीपुर के रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र (अनुसूचित जाति) कुछ इलाके में किये गए मतदाताओं से बातचीत के दौरान उभर कर सामने आए हैं.

ख़याल रहे कि रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव प्रथम चरण के 49 विधानसभा क्षेत्रों के साथ आज यानी 12 अक्टूबर को होना है. रोसड़ा विधानसभा के अंतर्गत जहांगीरपुर उत्तर के एरौत गांव के नंदलाल पासवान से जब मैंने यह जानने की कोशिश कि कल होने वाले मतदान में वे किस दल या गठबंधन को अपना वोट देंगे तो उनका जवाब था कि गांव में उच्च जाति के वर्चस्व के कारण उनका समर्थन महागठबंधन को जाएगा.

नंदलाल को जब मैंने रामविलास पासवान के भाजपा के साथ होने की बात बताई तो उनका कहना था कि रामविलास के NDA के साथ होने से गांव की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता. नंदलाल के मुताबिक़ आज भी गांव में ऊंची जातियों का वर्चस्व है और अपनी सुरक्षा के लिए वे अपना मत लालू – नीतीश गठबंधन को देंगे.

नंदलाल से जब असुरक्षा के बाबत हमने कुछ और जानने की कोशिश की तो पहले तो उन्होंने कहा, “हम लोग यहां कुछ ही घर हैं और मेरे भाई की हत्या भी उच्च जाति के लोगों द्वारा कर दी गई, हम लोग तो चौक–चौराहे पर यह भी नहीं कह सकते कि हम अपने मत किसे देंगे, वह तो आप लोग मीडिया वाले हैं इसीलिए आप लोगों से बता रहा हूं."

नंदलाल पासवान के भाई छोटेलाल पासवान नें कहा कि वोट किसे देना है ये हम लोग मिलकर तय करेंगे. नंदलाल पेशे से मजदूरी करते हैं और उनके लिए सुरक्षा ही एकमात्र मुद्दा है जिसके आधार पर पर वो कल अपना मतदान करेंगे. ऐरोत गांव के अन्य दलितों से बात करने पर भी कमोबेश इसी प्रकार का रुझान देखने को मिला.

नंदलाल और छोटेलाल का यह वक्तव्य इस बात की ओर इशारा करता है कि यह समझ लेना कि रामविलास पासवान और जीतनराम मांझी के भाजपा के खेमे में आ जाने से दलितों का वोट एनडीए की तरफ एकतरफा जाएगा, इस बात की पुष्टि होती नहीं दिख रही है.

(लेखक जेएनयू में शोध छात्र हैं)


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