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समस्तीपुर में चुनावी तैयारियां पूरी, असल लड़ाई भाजपा-राजद में

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अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

समस्तीपुर:बिहार के समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार अभियान अब अपने अंतिम दौर में है. सबने जमकर वादे किए हैं और उन वादों के दम पर चुनाव जीतने का दावा भी है. लेकिन यहां की जनता मन बना चुकी है कि इस बार जीत का सेहरा किसके सर पर होगा.


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वैसे तो इस विधानसभा सीट से 17 उम्मीदवार मैदान में हैं. लेकिन लोगों से बात करने से पता चलता है कि लड़ाई राजद के वर्तमान विधायक अख्तरूल इस्लाम शाहिन और जदयू से बागी होकर भाजपा का दामन थामने वाली मंत्री रेणु कुशवाहा के बीच ही है.

रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी राम जतन पासवान बताते हैं, ‘अभी तो हमने तय नहीं किया है कि वोट किसे देना है. लेकिन इतना तो तय है कि यहां लड़ाई राजद व बीजेपी के बीच ही है.’ वे'बात-बात में बताते हैं कि मीडिया को यह जानने का अधिकार बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए कि हम वोट किसे देंगे? अब ज़माना ऐसा आ गया है कि फोन पर ही दो-तीन लोगों से बात करके उम्मीदवारों के जीत की घोषणा कर देते हैं. रामजतन पासवान आगे शुक्रियादा करते हुए कहते हैं, 'चलिए कम से कम आप गांव तक आए तो सही...’


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चाय की दुकान चलाने वाले मानिकलाल राय का कहना है, ‘इस बार भी यहां का माहौल विधायक शाहीन के पक्ष में ही है. आख़िर हम भाजपा को वोट क्यों दें? लोकसभा में तो दिया था पर हमारे सांसद रामचन्द्र पासवान 16 महीनों में यहां कभी नज़र भी नहीं आएं. रेणु भी यहां की नहीं हैं. बाहर से बुलाकर चुनाव लड़ाया जा रहा है.’

मजदूरी करने वाले रमाशंकर पासवान भी मानिक लाल की बातों से सहमत हैं. उनका कहना है कि लालू ही मजदूरों व गरीबों के नेता हैं. यहां नीतिश ने विकास के काम भी काफी करवाएं हैं.


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किराना चलाने वाले रामानुज ठाकुर का कहना है, ‘वोट तो हम भाजपा को देंगे.’ क्यों? तो इस सवाल पर उनका कहना है कि, 'नीतिश लालू के साथ जो मिल गए. लालू की पार्टी लूट-खसोट वाली पार्टी है.’ नीतिश अगर अकेले चुनाव लड़ते तो इस बार बहुमत में आते. पर वो गलत आदमी के साथ चले गए.’

मनोज कुमार भी यही बात दोहराते हैं. उनका मानना है कि लड़ाई कांटे की ज़रूर है. पर इस बार यहां बीजेपी की जीत तय है.

प्रतिमा देवी कहती हैं, ‘यहां सब औरतें नीतिश को वोट देंगी. इस बार तीर पर बटन दबेगा’ पर जब हमने उनसे पूछा कि यहां तो तीर है नहीं, इस पर वो तुरंत कहती है, ‘लालू भी तो नीतिश के आदमी है ना जी...’


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इस इलाके के ज़्यादातर युवा तर्क के साथ विकास की बात करते नज़र आए. छात्रा अपर्णा कुमारी बताती हैं, ‘नीतिश ने हम लड़कियों के लिए काफी कुछ किया है. आज हम उनकी साईकिल की वज़ह से घर से बाहर निकल पा रहे हैं. लेकिन उसके बावजूद कहना चाहूंगी कि हमारा क्षेत्र शिक्षा के मामले में काफी पिछड़ा है. मेडिकल कॉलेज की मंजूरी के बाद भी आज तक कुछ नहीं हुआ. अच्छे कॉलेज की यहां बहुत कमी है.’

छात्रा दिव्या कुमारी के मुताबिक़ समस्तीपुर में बिजली की हालत में काफी सुधार आया है. सड़के भी बनी हैं. लेकिन यहां ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने की दिशा में पहल अभी तक नहीं की गई.

राजनीतिक विश्लेषक अभय दूबे का कहना है, ‘विधायक शाहीन को पहले अपने धर्म के लोगों से लड़ना पड़ेगा, क्योंकि यहां 17 उम्मीदवारों में से 5 मुस्लिम उम्मीदवार हैं. भाजपा की उम्मीदवार रेणु भी किसी से कम नहीं हैं.’

स्पष्ट रहे कि अख्तरूल इस्लाम शाहिन ने 2010 में पहली बार में ही राजद के टिकट से जदयू के तत्कालीन मंत्री व कद्दावर नेता रामनाथ ठाकुर को 1827 वोटों से हराया था. रामनाथ ठाकुर सन् 2000 से ही यहां के विधायक थे.

दरअसल, समस्तीपुर ज़िला पिछड़ा एवं दलित बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ ही समाजवादियों के गढ़ के रूप में चर्चित रहा है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म भी यहीं हुआ था. समस्तीपुर विधानसभा क्षेत्र ज़िले का सबसे अहम क्षेत्र माना जाता है. पिछले विधानसभा में मतदान का प्रतिशत 55.19 था, उम्मीद है कि इस बार इसमें और इज़ाफ़ा होगा. यहां मतदान प्रथम चरण यानी 12 अक्टूबर को होगा.


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